ट्रांसफर पॉलिसी : डीजी की ‘ईमानदारी’ पर ‘ऊपर’ वाले पड़ेंगे भारी ? विंध्याचल पाठक और अंतिम सिह को मिलेगा बड़ा जिला ?


कमांडेंट  अंतिम सिंह और विंध्याचल पाठक के लिये ‘ऊपर’ वाले किस बड़े जिला के कमांडेंट का विकेट गिरायेंगे ?

संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। जिस तरह किसान के लिये रवी और खरीफ की फ सल होती है, जिसे वे बोने के बाद खाद पानी देते हैं, फि र काटते हैं। उसी तरह होमगार्ड विभाग में ट्रांसफ र की फ सल है, जिसे माननीय और विभागाध्यक्ष द्वारा बिना बोये खाद- पानी दिये, जैविक खेती की तरह मई और जून महीने में केवल काटा जाता है। उससे साल भर चलने वाली स्वर्ण भस्म वाली मिश्रित उम्दा शिकंजी की व्यवस्था की जाती है। होमगार्ड विभाग में जिला कमांडेंट के कुल 77 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 9 जिले, देवरिया, अम्बेडकर नगर, सोनभद्र, झांसी, बांदा, उन्नाव, मैनपुरी, नोएडा, कानपुर देहात अभी खाली हैं। 2 कमांडेंट अरुण सिंह और मनीष दूबे मुख्यालय पर संबद्ध हैं। एक कमांडेंट अमित पांडेय की पोस्टिंग होना बाकी है। इस तरह कुल 71 पद बचे हैं। ट्रांसफर पॉलिसी के अनुसार किसी राजपत्रित संवर्ग में कुल 20 पदों पर ट्रांसफर हो सकता है, इस तरह 71 पदों के सापेक्ष लगभग 14 जिला कमांडेंट का ट्रांसफर किया जा सकता है। सवाल ये है कि बड़े जिलों वाले वाराणसी, मेरठ, प्रयागराज, गाजियाबाद, कानपुर और मुरादाबाद के कमांडेंट का तीन वर्ष पूरा ही नहीं हुआ तो कैसे मिलेगा बड़ा जिला ? खबरियों ने बताया कि डीएनए के माध्यम से आने वाले कमांडेंट, महाराजगंज विंध्याचल पाठक और बस्ती, कमांडेंट, अंतिम सिंह ने तो मुख्यालय के चैनल से पिछले वर्ष ही इतना मोटा दक्षिणा चढ़ा चुके हैं कि हाए दईया…। एक बात तो तय है कि इस बार ‘ऊपर’ वाले का ना चाहते हुये भी दो बड़े जिलों के कमांडेंट को कुर्सी से हटाना ही पड़ेगा, चाहें इसके लिये नियमावली को तोडऩा पड़े। क्योंकि ऊपर वाले के पास दक्षिणा चला जाता है तो फिर वापस नहीं होता…। एक बात और,डी.जी. बी. के. मौर्य सिस्टम तोडऩे वाले को भले ही बर्दाश्त ना करें और नियमत: ट्रांसफर करें लेकिन मंत्री धर्मवीर प्रजापति और ‘ऊपर‘ वाले किसी भी तरह ‘अंतिम मुहर’ लगा ही देंगे।

शाहजहांपुर, बदायूं, इटावा, पीलीभीत, हमीरपुर, अलीगढ़, कुशीनगर, बाराबंकी, बस्ती, सुल्तानपुर, लखीमपुर, मिरजापुर, सहारनपुर, जौनपुर, सीतापुर, शामली, बागपत, संभल, संत कबीर नगर, महराजगंज, 2 पद मुख्यालय पर…। इस तरह कुल 22 लोगों का कार्यकाल 3 वर्ष का पूरा हो चुका है। प्रदेश के 20 जिलों में जिला कमांडेंट का कार्यकाल 3 वर्ष या उससे अधिक हो चुका है। मुख्यालय पर तैनात स्टाफ अफसर अवनीश सिंह और शैलजा सिंह भी 3 वर्ष से अधिक समय से तैनात हैं।

राजधानी में शुक्रवार को होमगार्ड मुख्यालय पर सूबे के सभी डीआईजी,मंडलीय कमांडेंट और कमांडेंट की बैठक बुलायी गयी है। शनिवार को विभाग के ही आईजी विवेक सिंह सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उनकी विदाई पार्टी को डीजी बी.के.मौर्य ने पुलिस विभाग की तरह यादगार पल बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। बैठक तो होगी ही लेकिन देर शाम के बाद फिर ‘ट्रांसफर’ और ‘बड़े जिले’ की चाहत रखने वाले मत्था टेक अभियान में जुटेंगे। सामने मुंह खोलने की किसी की जुर्रत नहीं लेकिन द संडे व्यूज़ के सामने दिल की पूरी भड़ास निकाल-निकाल कर…यूं कहिये कि कमांडेंट जार-जार से बस रो नहीं रहे हैं लेकिन…सभी कहते क्या हैं… हमका बड़का जिला चाहिं…।

शासन के भरोसेमंद अधिकारी ने बताया कि महराजगंज के कमांडेंट विंध्याचल पाठक ने एक वर्ष पहले ही मुख्यालय पर तैनात स्टाफ अफसर टू डीजी विनय मिश्रा के माध्यम से बड़े जिले में पोंटिंग के लिये बड़ा पैकेज का भुगतान कर चुके हैं। इसी तरह, बस्ती कमांडेंट अंतिम सिंह भी बड़े जिले में तैनाती के लिये उन्हीं के माध्यम से विंध्याचल पाठक से भी बड़ा भुगतान कर चुके हैं। पूरा दक्षिणा ऊपर वाले के पास पहुंच गया है। हालांकि ‘द संडे व्यूज़’ इस बात की कतई पुष्टि नहीं करता कि किसने कितने रुपये का और किसे चढ़ावा चढ़ाया है। लेकिन एक बात सच है कि पिछले ट्रांसफर सीजन में एक नहीं दर्जनों कमांडेंट ऊपर तक दक्षिणा पहुंचा चुके हैं।

अब सवाल ये है कि इस वर्ष कुल 22 जिला कमांडेंट का समय 3 वर्ष या इससे अधिक हो चुका है, इसलिये उनमें से ही 14 लोगों का ट्रांसफर होना है। सभी अफसर अपने स्तर से जुगत में लगे हैं और लगना भी चाहिये। शासन के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कमांडेंट साहेब तो मुख्यालय पर बैठे स्टाफ अफसर टू कमांडेंट जनरल विनय सिंह को साधकर पहले ही मोटा चढ़ावा चढ़ा आये हैं। पैरवी भी मिश्रा जी डी.जी. और मंत्री से धकाधक कर रहे हैं। देखना है कि ईमानदार डीजी पर मिश्रा की बातों को कितना प्रभाव पड़ता है लेकिन मंत्री जी तो दिल खोलकर ‘अंतिम मुहर’ लगाने के लिये तैयार बैठे हैं।

शासन के सूत्र ने यह भी बताया कि पिछले सीजन में ट्रांसफर- पोस्टिंग में डीजी के स्टाफ अफसर की अच्छी खासी चली थी, स्टाफ अफसर टू कमांडेंट जनरल ने मंत्री और डीजी के बीच तालमेल बिठा कर ऐसा सेतु बनाया कि कई लोगों का ट्रांसफर कराने में कामयाब भी हो गये। अभिलेश नारायण सिंह को मुरादाबाद, राजमणि सिंह को बरेली, बृजेश मिश्र को वाराणसी, रंजीत सिंह को प्रयागराज, राहुल कुमार को आगरा का कमान दिलाने में कामयाब रहें। सभी से मोटा दक्षिणा बटोरा था, जिसमें से 40 प्रतिशत स्वयं रख लिया।

क्रमशः


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