स्वतंत्रता दिवस और व्यवस्था परिवर्तन का संकल्प


लखनऊ। शिक्षा विभाग में शून्य पंजीकरण वाले 99 स्कूलों और दो से पांच संख्या विद्यार्थियों वाले 460 स्कूलों को बंद करके सरकार अपने राजस्व की बड़ी राशि की बचत करने जा रही है। सरकार द्वारा कर्मचारियों के स्टडी लीव पर जाने पर वेतन का 40 फीसदी देने के फैसले से भी करोड़ों का खर्चा बचेगा। यह समय का तकाजा है कि राज्य की माली हालत को पटरी पर लाने के लिये सरकार कुछ ठोस करे। भारत आज अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस दिवस की धूम भारत के सभी राज्यों सहित विश्व भर में फैले भारतीय दूतावासों और उच्चायोगों में भी रहेगी। इस बार हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता दिवस का राज्य स्तरीय समारोह जिला कांगड़ा के देहरा में पहली बार आयोजित किया जा रहा है। देहरा के नागरिकों के लिए यह उत्सव इसलिये भी खास है क्योंकि देहरा विधानसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर का गृह विधानसभा क्षेत्र भी है और वह पिछले महीने ही देहरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गयी हैं।

यह सच है कि पिछला एक साल मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश के लिए भारी उथल पुथल के दौर वाला रहा है, लेकिन इस बार उन्हें हिमाचल की आर्थिक स्थिति के दृष्टिगत अपने व्यवस्था परिवर्तन वाले संकल्प को निभाना होगा और इसके लिए उन्हें कड़वे निर्णयों को लेना होगा। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमाचल प्रदेश के नाम आज बड़ी-बड़ी उपलब्धियां दर्ज हैं, लेकिन कर्ज का बढ़ता बोझ भी एक लाख करोड़ के आंकड़े की दहलीज को छूने के लिये बेताब है। 15 अप्रैल, 1948 में जब हिमाचल प्रदेश अस्तित्व में आया था, तब प्रदेश में न तो अच्छी सडकें थी, न ही ज्यादा शिक्षण संस्थान थे और न ही उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं थीं। लेकिन बीतते वक्त के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश आगे बढ़ा और 288 किलोमीटर लंबी सड़कों की लंबाई बढ़कर आज लगभग 40 हजार किलोमीटर के आंकड़े को पार कर चुकी है। कांगड़ा हवाई पट्टी के विस्तारीकरण की दिशा में तीव्र गति से काम हो रहा है, तो हिमाचल प्रदेश अब जलविद्युत उत्पादन से हरित एवं सौर ऊर्जा राज्य बनने की दिशा की ओर अग्रसर है। हिमाचल प्रदेश को 2010 में भारत का पहला कार्बन-तटस्थ राज्य घोषित किया चुका है। हिमाचल प्रदेश में ई-विधानसभा, ई-कैबिनेट और ई-बजट की व्यवस्थाएं पूर्ण हो चुकी हैं। हिमाचल प्रदेश पूरे देश का पहला धुंआमुक्त राज्य भी है और यहां हर घर में गैस का चूल्हा है। हिमाचल प्रदेश के हर घर तक नल की और बिजली की सुविधा पहुंच चुकी है। हिमाचल को 2016 में भारत का दूसरा खुले में शौचमुक्त राज्य घोषित किया गया था। हिमाचल में गरीबी दर 2013-14 में 10.14 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.88 प्रतिशत रह गई है। हिमाचल में अब कैंसर रोगियों का नि: शुल्क उपचार हो रहा है और राज्य सरकार ने कैंसर के उपचार के लिए 42 दवाएं नि: शुल्क देने का फैसला लिया है। इसमें ट्रैस्टुजुमाब का टीका भी शामिल है, जिसका मूल्य लगभग 40 हजार रुपए है। हिमाचल प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को तेजी से बढ़ावा देकर पर्यटकों का आंकड़ा पांच करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। हिमाचल प्रदेश में तंबाकू के पदार्थों पर पूर्ण रूप से रोक है और प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। सरकार को चाहिये कि वह एपीएल कार्ड धारकों को सब्सिडी पर उपलब्ध राशन के लिये दिये जा रहे अनुदान की व्यावहारिकता पर सर्वेक्षण करवाए। हिमाचल के लगभग 9 लाख से ज्यादा बेरोजगार युवाओं के लिये रोजगार के साधन उपलब्ध करवाना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए स्वरोजगार को बढ़ावा देना होगा। वर्ष 2023 के मध्य में आई भीषण प्राकृ तिक आपदा के मोर्चे पर भी लड़ाई लडऩी पड़ी थी तो इसी मोर्चे पर अभी भी राहत की खबर नहीं है। सरकार के सामने जहां निरंतर घटते राजस्व की चुनौती है तो दूसरी तरफ बढ़ते कर्ज और देनदारियों का दबाव भी है। बढ़ती महंगाई के आलम में सरकार के समक्ष अपने कर्मचारियों को पिछले वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप उनके देय वित्तीय लाभ और डीए देने की बाध्यताएं भी हैं। इन परिस्थितियों में आर्थिक हालात को दुरुस्त करने के दृष्टिगत अब सुक्खू सरकार ने कु छ कड़वे और जन अलोकप्रिय निर्णयों को लागू करने की ओर कदम बढ़ाये हैं। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि हिमाचल में पानी पर चार्ज लगेंगे और हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों, करदाताओं और जो लोग गरीबी रेखा से ऊपर हैं, उनको पानी फ्री में नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें पानी के लिए 100 रुपए मासिक शुल्क देना होगा। इसी प्रकार से हिमाचल प्रदेश में पिछली भाजपा सरकार में शुरू हुई 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना को कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने संपन्न वर्ग के लिए बंद कर दिया है। वहीं एचआरटीसी की बसों में सफर करने वाले पुलिस जवानों को केवल सरकारी कार्य के लिए मुफ्त सेवा मिलेगी। सरकार ने हिमकेयर योजना से निजी अस्पतालों, सरकारी कर्मचारियों एवं पेंशनरों को बाहर कर दिया है। हिमाचल सरकार ने खजाना भरने के लिए कुछ बड़े निर्णय लिये हैं। इनके लागू होने से सरकार को इस वित्तीय वर्ष में करीब दो हजार करोड़ का अतिरिक्त राजस्व लाभ अर्जित होगा। सरकार राजस्व जुटाने के लिए अवैध खनन पर शिकंजा कसने के लिये नई नीति लेकर आई है। सरकार द्वारा इस वर्ष नई आबकारी नीति लागू करने से शराब के ठेकों की इस वर्ष नीलामी से सरकार को 600 करोड़ की अतिरिक्त आय होगी। शिक्षा विभाग में शून्य पंजीकरण वाले 99 स्कूलों और दो से पांच संख्या विद्यार्थियों वाले 460 स्कूलों को बंद करके सरकार अपने राजस्व की बड़ी राशि की बचत करने जा रही है। सरकार द्वारा कर्मचारियों के स्टडी लीव पर जाने पर वेतन का 40 फीसदी देने के फैसले से भी करोड़ों का खर्चा बचेगा। यह समय का तकाजा है कि राज्य की माली हालत को पटरी पर लाने और 2032 तक हिमाचल को भारत का विकसित राज्य बनाने का सपना देखने वाली सुखविंदर सरकार फिजूलखर्ची से बचते हुए लोकलुभावन घोषणाओं को करने से परहेज बरते और आर्थिक विशेषज्ञों की सलाह से जनहित में कड़वे फैसले ले। तभी प्रदेश सुखी और खुशहाल राज्य बनेगा।


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