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वाराणसी। उमेश सिंह: कोरोना महामारी इस बार पितृ विसर्जन पर भी पड़ता दिखाई पड़ रहा है। पुरोहितों ने भी पूरे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पितृ विसर्जन को करने का निर्णय लिया है।
काशी खंड में पिशाचमोचन विमल तीर्थ की कथा का वर्णन है।
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कथा के अनुसार बहुत पहले इस कुंड के पास एक वाल्मीकि नाम का कपारधीश्वर का भक्त रहता था। एक बार उसकी मुलाकात एक पिशाच से होती है। वह पिशाच वाल्मीकि को बताता है कि वह गोदावरी नदी के किनारे वास करता था, जहां उसने बहुत से पाप किये थे।
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वह वाल्मीकि से मदद की गुहार लगाता है। कथा के अनुसार पिशाच की मुक्ति के बाद इस कुंड को पिशाच मोचन कुंड के नाम से जाना जाने लगा। इसके साथ ही इस तीर्थ की अन्य कई मान्यताए और कहानी है। गरुड़ पुराण में भी इस प्राचीन पिशाचमोचन कुंड का उल्लेख आता है।
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