‘हिन्दुत्व कार्ड’ को जिंदा रखकर भाजपा 2027 में प्रचंड़ जीत दर्ज करने की बना रही रणनीति
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावी राह भाजपा के लिये आसान नहीं है। भाजपा के गलियारों में चकल्लस तेज है कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘अजेय’ नहीं हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शक्तिशाली कंधों पर ही उत्तर प्रदेश में भाजपा के भविष्य की खूबसूरत तस्वीर दिख रही है। कुछ दिनों से ‘शांत’ चल रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब ‘आक्रामक’ हो गये हैं।। यूपी की सियासत में क्या उथल-पुथल चल रही है, ये जानने के लिये दो तस्वीरों पर नजर गड़ानी पड़ेगी। पहली तस्वीर- कभी वे ‘कटेंगे तो बंटेंगे’… का बयान देते हैं तो कभी ‘जिन्ना’ को ले आते हैं…और तो और कभी सपा की ‘लाल टोपी के काले कारनामे’…बताने लगते हैं। दूसरी तस्वीर-योगी के खिलाफ आक्राम दिख रहे यूपी के ही उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्य और बृजेश पाठक का सुर बदला-बदला सा नजर आ रहा है। चर्चा है कि भाजपा हाईकमान ने भी 2024 के चुनावी परिणाम में बुरा हश्र देख योगी को पूरी छूट दे दी है। यही वजह है कि उप- मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने चुप्पी साधकर योगी जी वाह योगी जी… की प्रशंसा कर रहे हैं। सीधी बात करें तो भाजपा हाईकमान और संघ ने अब पूरी कमान ताकतवर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हांथों में सौंप दी और वे अभी से ही हिन्दुत्व कार्ड को धार देने के साथ ही अपने मिशन में लग गए हैं।
उत्तर प्रदेश की सियासत में राजनेताओं को शांति बर्दाश्त नहीं होती। कुछ साल शांति रहेगी लेकिन सत्ता की लालसा और बड़ी कुर्सी पाने की ललक से खिंचतान शुरु हो जाती है। भाजपा की बात करें तो जिस तरह से देशभर में जिस हिन्दुत्व कार्ड को आक्रामकता के साथ धार देकर सत्ता में आयी,वो धीरे-धीरे कम होता दिखा। परिणाम सामने था,2014 और 2017 में इसी के दम पर बड़ी जीत हासिल हुयी थी। 2019 तक हिन्दुत्व में धार तेज दिखा लेकिन 2024 आते-आते इस मुद्दे पर से भाजपाईयों की पकड़ ढीली पडऩे लगी और हश्र क्या हुआ,बताने की जरूरत नहीं है…। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी परिणाम देखने,टिकट बंटवारे में उनके लिस्ट की अनदेखी करने और अपनी ही पार्टी के बड़े ओहदे पर बैठे माननीयों के बदले सुर के बाद शांत बैठ गये थे लेकिन…वे अपने मिशन में लगे रहें। अचानक से योगी ने सभी दलों पर हमलावर होकर बयान देने लगें जबकि फिलवक्त ना तो कोई चुनाव है और ना ही उप-चुनाव है…। योगी सपा मुखिया अखिलेश यादव पर हमलावर होकर बयान देते हैं कि सपा की लाल टोपी के काले कारनामे …। कभी वह कटेंगे तो बंटेंगे का बयान देते हैं तो कभी जिन्ना के भूत पर बोलते हैं…।
दरअसल योगी आदित्यनाथ 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का यूपी में हश्र देख चुके हैं और उन्हें पता है कि यदि हम हार्ड हिंदुत्व के मुद्दे से हटेंगे तो यही हाल होगा। 2024 के चुनाव में इस मुद्दे पक पकड़ ढीली की गयी और परिणाम सामने हैं। इसी रिपोर्ट के सामने आने के बाद से भाजपा हाई कमान ने भी उन्हें पूरी छूट दे दी है और उनके विरोध की चिंगारी सुलगाने वाले उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक को नसीहत दे दी है कि यूपी में रहना है तो योगी-योगी कहना है। यही वजह है कि अब दोनों उप-मुख्यमंत्रियों के सुर बदल गये है और फोटो भी खिंचवाते हैं तो चेहरे पर जबरदस्त मुस्कान होती है। बैठकों में उनकी हंसती मुस्कराती फ ोटो मुख्यमंत्री के बगल दिखने लगी है। वास्तव में देखें तो योगी और संघ दोनों अब खुलकर खेल रहे है और एक- दूसरे के अमल पर काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री केवल सपा पर करारे हमले ही नहीं कर रहें बल्कि यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि समाजवादी पार्टी अगर सत्ता में आयी तो हिंदुत्व खत्म हो जायेगा। वह पूरे हिंदू समाज को जातियोंं में नहीं बंटने देना चाहते, इसीलिये वह ओबीसी और अन्य जातियों की बात नहीं करते और कहते हैं कि बंटोगे तो कटोगे। मुख्यमंत्री जब किसी सभा में हमलावर होकर बयान देते हैं तो अपनी योजनायें गिनाना भी नहीं भूलते।
यानि,वह बताते हैं कि हमारे पास काम भी है और हार्डकोर हिंदुत्व भी। उनको पता है कि दूसरा पक्ष योजना का लाभ तो लेता है पर वोट नहीं देता, इसीलिये वह सीधे उस समाज पर हमला बोलते हैं। तीन माह बाद यूपी में 10 सीटों की उप- चुनाव होनी है और इसीलिये मुख्यमंत्री उप-चुनाव को प्रतिष्ठा बनाकर चल रहे हैं । अगर उप- चुनाव में 10 में से 7- 8 सीटों पर भाजपा जीत गयी तो वह भरोसा दिला देंगे कि पीडीए फेल हो गया है। इसीलिये वह तीन महीने पहले से जमीन तैयार कर रहे हैं। इनकी पूरी कोशिश रहेगी कि पीडीए के सहारे चल रही सपा को करारी शिकस्त दें। दरअसल भाजपा चाहती है कि लोकसभा चुनाव में जो हुआ, वो फि र न हो। लोकसभा चुनाव में भाजपा के कमजोर प्रदर्शन के बाद आरएसएस और सरकार के बीच तल्खी सामने आयी थी। सर संघचालक मोहन भागवत के बयान से भी साफ हो गया कि उन्हें सरकार का रवैया पसंद नहीं आया। इसे उन्होंने अपने भाषण में जाहिर भी किया था। उन्होंने कहा कि हमें इस मानसिकता से छुटकारा पाना होगा कि सिर्फ हमारा विचार ही सही है, दूसरे का नहीं।
कुछ इसी तरह की सोच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी रही। लोक सभा चुनाव में यूपी ने भाजपा को बड़ा झटका दिया है। इस झटके को मुख्यमंत्री ने टिकट बंटवारे के वक्त ही भांप लिया था। मुख्यमंत्री ने 10 से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट पर असहमति जतायी थी। इनमें प्रतापगढ़, श्रावस्ती, कौशांबी, रायबरेली और कानपुर जैसी सीटें शामिल थीं। कानपुर के अलावा सभी सीटों पर भाजपा कैंडिडेट की हार हुई है। उनका कहना था कि कुछ सांसदों को छोड़कर, हमें नये लोगों को टिकट देना चाहिये, जैसे दिल्ली में किया है। हालांकि, टिकट बंटवारे के मामले में भी मुख्यमंत्री बेबस ही दिखे, लेकिन अब मुख्यमंत्री कमजोर नहीं है। अब यूपी की पूरी जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ के शक्तिशाली कंधों पर है। उनको मालूम है कि पीएम के भरोसे अब 2027 नहीं छोड़ा जा सकता।