प्रधानमंत्री को संबोधित कर ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा कहां कि यदि जल्द मांग पूरी नहीं हुई तो होगा जंगी प्रदर्शन
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ललितपुर पृथक बुंदेलखंड की मांग को लेकर समय-समय पर यहां कई पार्टियों द्वारा प्रदर्शन किए जाते रहे हैं जिसमें सबसे ज्यादा प्रदर्शन करने वालों में बुंदेलखंड विकास सेना का नाम प्रथम है। बुंदेलखंड विकास सेना ने ही पृथक बुंदेलखंड की अलख जगाई और लगातार प्रदर्शन भी किए। कई सरकारें आई और बदलती गई क्षेत्रीय सांसद विधायक यहां तक कि राज्य मंत्रियों ने भी पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण की बात कही लेकिन आज तक उस पर कोई अमल नहीं किया गया। जिसके बाद क्षुब्ध होकर एक बार फिर बुंदेलखंड विकास सेना ने अपनी आवाज बुलंद की। रविवार को बुन्देलखण्ड विकास सेना के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने बुन्देलखण्ड विकास सेना प्रमुख हरीश कपूर टीटू के नेतृत्व में पृथक बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण की माँग को लेकर अर्धनग्न होकर जंगी प्रर्दशन किया । इस मौके पर बुन्देलखण्ड विकास सेना के कार्यकर्ताओं के गगनभेदी नारों से पूरा वातावरण गुंजायवान हो गया ।
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विकास सेना प्रमुख हरीश कपूर टीटू ने कहा कि हमारा संगठन पिछले 25 वर्ष से बुन्देलखण्ड प्रान्त बनाओ की मांग को गाँधीवादी तरीके से उठाता आ रहा है । आजादी के पहले और आजादी के बाद के बुन्देलखण्ड क्षेत्र का तुलनात्मक अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि देश के इस सबसे पिछड़े भूभाग की व नागरिकों की दिशा और दशा में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं आया है ।
उन्होंने ने कहा कि राष्ट्र को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने व अँग्रेज शासकों को लोहे के चने चबाने को मजबूर करने वाली महारानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली, रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, हाकी के जादूगर दद्दा मेजर ध्यानचंद, महान उपन्यास सम्राट बाबू वृन्दावनलाल वर्मा की जन्मस्थली व कर्मस्थली बुन्देलखण्ड की पावन धरती अपनी उपेक्षा बदहाली और दुर्दशा पर खून के आँसू बहाने को मजबूर है । उद्योगशून्यता उच्च व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा सड़क बिजली पानी ,स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताएं बेरोजगारों की लंबी फौज कभी सूखा तो कभी बाढ़ जैसी विभीषिकाएं सामंतशाही ,दबंगई सूदखोरी भ्रष्टाचार व अत्याचार जैसे शूलों के दंश की पीड़ा सहने को हम बुन्देलखण्डवासी मजबूर हैं ।
हमारे झांसी ललितपुर क्षेत्र की पूर्व सांसद उमाभारती जी ने बुन्देलखण्ड की वास्तविक स्थिति को देखा व जाना है तथा बुन्देलखण्ड प्रान्त की आवश्यकता को जानकर इस दिशा में कार्य करने का आश्वासन भी दिया परन्तु राजनैतिक रोटियां सेकने के अलावा कोई धरातलीय कार्य नहीं हुआ।सिर्फ व सिर्फ पैबन्द लगाकर संतुष्ट किये जाने की कोशिशें की जाती रहीं।