सीवान। आर्यन सिंह राजपूत: लोक आस्था का महापर्व छठ आज उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सम्पन्न हो गया है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में व्रती 36 घंटे का कठिन व्रत करते हैं। इस साल 17 नंवबर को नहाय-खाय से शुरू हुआ ये पर्व आज सुबह (21 नवंबर) को भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद समाप्त हो गया है।
वैसे तो छठ पर्व की छटा पूरे देश में देखने को मिलती है लेकिन बिहार में इसका एक अलग ही रंग दिखता है। इस बार भी सीवान समेत पूरे जिले में शनिवार की सुबह छठ घाटों और तालाबों पर उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया। सीवान के जमसिकडी़ शिव मंदिर घाट, दाहा नदी पुलवा घाट, शिव व्रत साह घाट,आदि गंगा तट पर लोग पहुंचे। इसके अलावा तालाबों, झीलों और कई स्थानों पर तालाब बनाकर लोग छठ व्रत की। वहीं, सीवान के जमसिकडी़ गांव में छठ काफी धूमधाम से मनाया गया।
कुछ ऐसा ही नजारा लक्ष्मण मेला स्थल के छठ घाट समेत अन्य घाटों पर शाम से ही नजर आने लगा। बच्चों और बुजुर्गो के न आने पर प्रतिबंध के बावजूद उनके साथ व्रतियों ने छठ मइया की विधि विधान से पूजा अर्चना की। पुुरुष सिर पर टोकरी में लिए पूजन सामग्री और कलश पर जलते दीपक के साथ व्रती महिलाएं नंगे पैर छठ गीत गाते घाट की ओर आती नजर आई। पारंपरिक छठ गीतों …कांच की बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए…मारबउ रे सुगवा धनुष से …… होख न सुरुज देव सहइया… से पूरा शहर और सूबा भक्तिमय हो गया।
धार्मिक मान्यता है कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है।मान्यता है कि षष्ठी मां और सूर्य की उपासना करने से जातक को सौभाग्य व संतान की प्राप्ति होगी। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हुआ था। सूर्य की उपासना से उन्हें इस रोग से मुक्ति मिल गई। तभी से सूर्य देव की उपासना की जाने लगी।