लखनऊः प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ने अपने मानक को बनाए रखा है। इसने अपने कार्यों से निरंतर ख्याति और प्रतिष्ठा को अर्जित किया है। एसजीपीजीआई चिकित्सा क्षेत्र में प्रदेश का एक गौरव है, जहां प्रदेश ही नहीं अपितु देश व विदेशों से भी मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान के डायरेक्टर से लेकर सभी फैकल्टी मेंबर का लक्ष्य होना चाहिए कि किसी भी रेफरल या गंभीर मरीज को एडमिट करने से मना न किया जाए। उन्होंने कहा कि मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने आज यहां एसजीपीजीआई में मैरिड हास्टल के उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में यह विचार व्यक्त किया।
खन्ना ने कहा कि परिसर में आवासों के उपलब्ध होने से डाक्टर्स की रोगियों की देखभाल करने में न केवल समय की बचत होगी अपितु आकस्मिकता की स्थिति में चिकित्सक रोगी तक शीघ्र पहुंच सकेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि संस्थान में बेड की संख्या के साथ-साथ अन्य सभी सुविधाओं को और अधिक बेहतर किया जाए।
उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में इस संस्थान के लिए 821 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। कोविड-19 के संक्रमण के कारण प्रदेश सरकार के वित्तीय संसाधनों में कमी होने के बावजूद इसके बजट में कोई कमी नहीं की गई। इसका उद्देश्य है कि लोगों को बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो सके।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि संस्थान में जितनी भी सुविधाएं हो सके उन्हें बढ़ाया जाए। संस्थान द्वारा प्रदेश के रोगियों के हित में उन्हें नवीनतम तकनीकी से अत्याधुनिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रारम्भ करने का निर्णय लिया गया है, जिनमें आपातकालीन चिकित्सा विभाग की स्थापना, रोबोटिक सर्जरी की स्थापना, रीनल ट्रांसप्लाण्ट सेन्टर की स्थापना एवं लीवर प्रत्यारोपण केन्द्र को क्रियाशील करने के लिए उपकरणों की व्यवस्था करना शामिल है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण की दर प्रदेश में घटी है, प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में मृत्यु दर भी काफी कम है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रिकवरी रेट बढ़ा है। प्रारम्भ में प्रदेश में जहां 01 दिन में मात्र 72 टेस्ट किए गए थे, वहीं यह संख्या बढ़ाकर लगभग डेढ़ लाख से अधिक टेस्ट प्रतिदिन पहुंचायी गयी। पश्चिमी देशों के साथ-साथ देश के कुछ राज्यों में कोरोना संक्रमण की दर घटने के उपरांत पुनः बढ़ी है। इस आशंका को देखते हुए ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए हमें तैयार रहना होगा।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने अपेक्षा की कि चिकित्सकों को मरीजों के साथ आत्मीयता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। प्रत्येक सप्ताह के प्रथम और तीसरे शनिवार को मेडिकल कॉलेजों में एथिक्स पर कार्यशाला आयोजित किए जाने का निर्देश शासन स्तर पर दिया गया है। जिसे सभी मेडिकल कॉलेजों ने शासन की मंशा के अनुरूप आयोजित कराया है।
इस अवसर पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह, राज्य मंत्री चिकित्सा शिक्षा संदीप सिंह, सांसद मोहनलालगंज कौशल किशोर, अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ रजनीश दुबे, निदेशक एस०जी०पी०जी०आई०एम०एस० प्रो० राधा कृष्ण धीमन एवं अन्य उपस्थित रहे।