सवाल
1-निर्वाचन 2023 में प्रत्याशियों से ली गयी चुनाव शुल्क पांच लाख छ: हजार रुपये का विवरण पूर्व अघ्यक्ष क्यों नहीं दे रहें ?
2- कर्मचारी कल्याण निधि परिषद में विनीत कुमार शर्मा को किस हैसियत से 52,000 रुपये दिया गया ?
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्ता का सर्वोच्च प्रतिष्ठान है ‘सचिवालय’। यहां पर ‘भ्रष्टाचार’ और ‘घोटाले’ का खेल खेला जा रहा है। सरकार चुनने के बाद मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और नौकरशाह यहीं विराजते हैं। यूं कहा जाये कि उत्तर प्रदेश की ‘आवाज’ को ‘मुखर’ करने और ‘इंसाफ’ दिलाने के साथ सरकारी योजनाओं की रुपरेखा यहीं से तय की जाती है। लेकिन…सूबे की आवाज को बुलंद करने और हजारों अधिकारियों व कर्मचारियों की मांगों के लिये सरकार से लोहा लेने वाले प्रमुख संगठन उ. प्र. सचिवालय संघ में ही घोटाले की ‘बू’ आ रही है। संघ के पूर्व पदाधिकारियों पर चुनावी खर्च का ब्यौरा ना देने और ‘कर्मचारी कल्याण निधि परिषद’ खाते से धड़ल्ले से फर्जी तरीके से रकम निकालने का गंभीर आरोप लग रहा है। इसी तरह, सचिवालय संघ का ‘फर्जी लेटर पैड’ बनाकर मुख्यमंत्री से लेकर नौकरशाहों तक पत्राचार करने की हिमाकत की बातें भी उठ रही है। सीधी बात करें तो सचिवालय संघ में पूर्व के पदाधिकारियों ने घोटाला किया है। इससे बचने के लिये ही वे लोग अपनों के बीच किसी पदाधिकारी को ‘सचिव’ बनाने की मांग पर अड़े रहे हैं। यूं कहा जाये कि सरकार जहां बैठती है, वहीं पर संघ के पदाधिकारी, मेहनत की गाढ़ी कमाई लूटते रहें और नौकरशाह धृतराष्ट की तरह आंखों पर पट्टी बांध कर बैठे रहें। खैर, संघ का ‘फर्जी लेटर पैड’ और ‘घोटाले’ की भनक लगते ही उ.प्र. सचिवालय संघ के अध्यक्ष अर्जुन देव भारती आक्रामक मुद्रा में आ गये हैं। सचिवालय कर्मचारियों के मेहनत की कमाई में सेंध लगाकर घोटाला करने और संघ का फर्जी लेटर पैड बनाने वाले पूर्व के पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के मूड में हैं। इतना ही नहीं,श्री भारती ने पिछले 10 वर्ष में कर्मचारी कल्याण निधि परिषद के खाते से निकाली गयी रकम की बैंक डिटेल भी मंगा ली है। प्र्रबल संभावना है कि इनमें से बड़े घोटाले का जिन्न बाहर निकलकर सचिवालय और लोकभवन के अंदर ‘भूचाल’ ला देगा। ‘द संडे व्यूज़’ से खास बातचीत में अर्जुन देव भारती ने संघ में पूर्व के पदाधिकारियों का असली चेहरा दिखा दिया है। पेश है बातचीत के मुख्य अंश…

उ.प्र. सचिवालय संघ में अर्जुन देव भारती के अध्यक्ष बनने पर विवाद क्यों खड़ा हो गया ? इस पर अध्यक्ष अर्जुन देव भारती ने दो टूक कहा कि आखिर मुझे सचिवालय के हजारों कर्मचारियों ने सर्व सम्मति से चुना है, फिर किस बात का विवाद। मैं किसी से नहीं डरता, क्योंकि मुझे अपने कार्यशैली पर पूरा भरोसा है। जब सचिव पद पर भी नई टीम में चुनाव हो गया था फिर पूर्व के पदाधिकारियों ने इस पद पर विवाद होने की वजह ? देखिये, जब आप सही रहेंगे तो किसी से नहीं डरेंगे लेकिन जब आपके द्वारा गलत काम होगा, तभी आप चाहेंगे कि अपने को बचाने के लिये ऐसे पद अपने पास रखें, जिससे आपका बचाव हो सके। पूर्व के पदाधिकारियों ने कई घोटाले किये हैं, इसीलिये सविव पद पर अपने पदाधिकारी को जबरन बिठाने का षडय़ंत्र रच रहे हैं लेकिन कामयाब नहीं होने दूंगा।
आपने पूर्व के पदाधिकारियों पर ‘घोटाले’ जैसे गंभीर ‘शब्द’ का इस्तेमाल किया है। खुलकर बतायें पूर्व के पदाधिकारियों ने किस तरह के घोटाले किये हैं ? अर्जुन देव भारती ने कहा कि मैंने कई बार पत्र लिखकर उ. प्र. सचिवालय संघ के पूर्व अघ्यक्ष यादवेन्द्र मिश्र से मांग की कि उ. प्र. सचिवालय संघ के निर्वाचन 2023 में प्रत्याशियों से चुनाव शुल्क के रुप में जमा करायी गयी धनराशि 5,06000 (पांच लाख छ: हजार रुपये) का खर्च का विवरण दें लेकिन डेढ़ वर्ष गुजर जाने के बाद भी अभी तक उनकी तरफ से व्यय विवरण पर कोई जवाब नहीं आया। यही वजह है कि संघ के सदस्यों में संदेह उत्पन्न होने लगा है कि आखिर किस वजह से पूर्व अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष व्यय एवं अवशेष धनराशि का विवरण नहीं दे रहे हैं। उधर से जवाब मिलता है कि विधानसभा में मानदेय बांट दिया गया है। क्यों और किस अधिकार से आपने मानदेय बांट दिया, इसका भी उनके पास कोई जवाब नहीं है।श्री भारती ने कहा कि साफ जाहिर होता है कि पूर्व अध्यक्ष ने पूरी रकम हड़प ली है।

श्री भारती ने कहा कि अब दूसरा मामला लीजिये… पूर्व के अध्यक्ष ने ‘कर्मचारी कल्याण निधि परिषद’ में भी घोटाला कराया है। सचिवालय के किसी अज्ञात कर्मचारी विनित कुमार शर्मा को 16 दिसंबर 2022 को 52,800 रुपये किसलिये दिये, स्पष्ट नही है। नियमावली में व्यवस्था है कि असमय मृत्यु होने पर 25 हजार रुपये दिया जाये। फिर पूर्व अध्यक्ष ने किस हैसियत से रुपये 52, 800 विनीत शर्मा को किस मद में दिया ? उसके बाद इसी खाते में से 9 मई 2023 एवं जून 2023 को दो बार 1200 रुपये चार बार निकाला गया। इसके अलावा भी बहुत सारी निकासी ऐसी की गयी हैं,जो संदिग्ध हैं। पैसा कहां गया और किसकी जेब में गया ? श्री भारती ने कहा कि पूर्व के पदाधिकारियों ने जो भ्रष्टाचार किया है, उसका खुलासा करके ही मानूंगा, क्योंकि मैंने ‘कर्मचारी कल्याण निधि परिषद’ का पिछले 20 वर्ष की बैंक डिटेल मंगा ली है। मुझे पूरी उम्मीद है कि बैंक डिटेल में दबे घोटाले का जिन्न जब बाहर आयेगा तो सचिवालय से लेकर लोकभवन में हड़कम्प मच जायेगा।

असली लेटर पैड
श्री भारती ने बताया कि सचिवालय में काम करने वाले सभी संवर्ग के अधिकारियों व कर्मचारियों की समस्याओं से लेकर उनकी जायज मांगों को सरकार तक दमदारी तरीके से उठाने के लिये ही 21 जुलाई 1938 में सर्व सम्मति से उ. प्र. सचिवालय संघ बनाया गया था। सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन संघ में ही पूर्व तथाकथित भ्रष्ट पदाधिकारियों ने मिलकर फर्जीवाड़ा कर दिया। इसी तरह संघ का ‘फर्जी लेटर पैड’ बनाकर मुख्यमंत्री से लेकर नौकरशाहों में पत्राचार करने की हिमाकत भी कर रहे हैं। ये गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।

‘फर्जी लेटर पैड’
सचिवालय के हजारों कर्मचारियों के मेहनत की कमाई में सेंध लगाकर घोटाला करने और संघ का ‘फर्जी लेटर पैड’ बनाने वाले पूर्व के पदाधिकारियों के खिलाफ क्या एक्शन लेेंगे ! इस पर अर्जुन देव भारती ने कहा कि इस पर कोई समझौता नहीं करूंगा। मैंने इसकी शिकायत प्रमुख सचिव,सचिवालय प्रशासन से कर कार्रवाई करने की की है। साथ ही घोटालेबाज पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराऊंगा। यदि एफआईआर दर्ज नहीं हुयी तब आप कौन सा रास्ता अख्तियार करेंगे? इस पर श्री भारती ने कहा कि फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाऊं गा।