बाराबंकी। अर्जुन सिंह: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में सरयू नदी का तांडव जारी है, 61 सेमी खतरे का बढ़ा हुवा जलस्तर आज भले ही खतरे के निशान से 7 सेमी नीचे पहुँच चुका है। लेकिन बाढ़ का पानी गाँवो में अभी भी भरा हुवा है। जिससे संक्रमण जैसी गम्भीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। बाराबंकी जिला मुख्यालय से सरयू नदी पर बने संजय सेतू पुल पार कर जब हम माँझारायपुर पहुँचे तो यहां की तस्वीरे डराने वाली थी आज भी लोंगो के घर पानी में डूबे है। गांव से पानी निकास की कोई व्यवस्था न होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गयी है।
यूपी के बाराबंकी जिंले में बहने वाली सरयू नदी भले ही आजकल शांत हो गयी हो लेकिन इसके तांडव से लोग आज भी डरे और सहमे है। इस वर्ष बाराबंकी जिले में सरयू नदी का जलस्तर सबसे ज्यादा 61 सेमी खतरे को पार कर चुका है। हालांकि मौजूदा समय में ये जलस्तर बढ़ने का खतरा कम हो गया है। एल्गिन बाँध पर बने कंट्रोल रूम केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक सरयू नदी खतरे के 7 सेमी नीचे पहुँच चुकी है केंद्रीय जल आयोग के कर्मचारी पवन ने बताया की बाढ़ की इस वक्त सामान्य स्थिति है।
भले ही जलस्तर कम हो लेकिन बाढ़ से प्रभावित लोगों की मुश्किलें कम नहीं हुई। जिले के रामनगर ,फतेहपुर और सिरौलीगौसपुर के सैकड़ो गांव इस बाढ़ से प्रभावित होते है। इस बार भी बाढ़ से लगभग 5 दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आये, जलस्तर कम होने से सिरौलीपुर के तमाम गाँव कटान से सरयू में समाने के लिए तैयार है। तो वही हजारों बीघा फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी है। बाराबंकी से 65 किलोमीटर दूर घाघरा नदी उस पार हम गोंडा बहराईच होते हुए वापिस तराई क्षेत्र के माँझारायपुर गाँव पहुँचे, जहां आज भी गांव में पानी भरा हुवा है। लोंगो की झोपड़ी पानी में डूबी है। लोग परेशान है और ऊपर से हो रही बरसात के बीच बंधे पर रुके है।
वही सबसे बड़ी समस्या बाराबंकी-गोंडा दो जिले की सीमा नकहरा और रायपुर गाँव के बाढ़ प्रभावित लोगों की है। ऐसे ही पीड़ित में से एक बबलू भी है। जो गोंडा के नकहरा और बाराबंकी के रायपुर में रहते है। उनका गोंडा प्रशासन पर आरोप है की बाराबंकी जिले के लोगों को बाढ़ राहत सामग्री मिल भी जाती है लेकिन गोंडा में वो भी नही मिलती। जब भी अधिकारियों से बात होती है तो सिर्फ आस्वासन ही मिलता है।