देश के 65 करोड़ अन्नदाताओं की आवाज को दबा रही है, कुचल रही है केंद्र सरकार :सुनील सिंह


लखनऊ: कृषि कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले दिल्ली की ओर कूच रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा आंसू गैसों का इस्तेमाल वाटर कैनन के द्वारा अन्नदाता के ऊपर उपयोग करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुनील सिंह ने कहा है कि सरकार को भी किसानों की मन की बात को सुनना चाहिए। उनकी मांगों को अनसुना कर रही सरकार अब तक सरकार के द्वारा मनमानी तरीके से लागू की गई योजनाओं का दुष्परिणाम देश ने देखा है।

मनमानी तरीके से लागू की गई नोटबंदी और जीएसटी के कारण देशभर में रोजी रोजगार के गंभीर संकट उत्पन्न हो गए हैं। बेरोजगारी एक विकराल समस्या बन गई है। अर्थव्यवस्था तबाह हो गया है। अब भाजपा की सरकार वन नेशन वन मार्केट का नारा लगाकर कृषि क्षेत्र को बर्बाद करने में तुली है। चंद पूंजीपतियों के हाथों में अन्नदाता के भविष्य को गिरवी रख रही है। किसानों को अडानी अम्बानी जैसे चंद पूँजीपत्तियो के गुलाम बना रही है। देश के 65 करोड़ किसानो को बेबसी बेरोजगारी के ओर ढकेल रही है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के तीन काला कानून का वही लोग समर्थन कर रहे हैं जो पूंजीपतियों के बिचौलिए हैं, एजेंट है जिनको पूंजीपतियों की तिजोरी और गोदामों की चिंता है। किसान पर अत्याचार हो रहा है। किसानों को रोज नई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सिंह ने कहा कि लगातार मन की बात सुनाने वाली सरकार कम से कम एक बार किसान, मजदूर, बेरोजगार युवाओं और शोषित वंचितों की तो बात सुन ले। सरकार अपनी मुश्किल बताएं उनकी भी दिक्कत समझे और एक राह तो निकाले।

सरकार एक तरफ तो कह रही है कि यह सभी कृषि कानून सरकार ने किसानों के हित के लिए लागू किया पर इनसे किस प्रकार से किसानों का हित होगा या आज तक और बता नहीं पा रही है। सरकारी खरीद कम करते जाने, मंडी में कारपोरेट का घुसपैठ करा देना, जमाखोरों की जमाखोरी की छूट दे देना, बिजली सेक्टर में जन विरोधी कानून बना देने से किसानों का कौन सा हित होगा। कम से कम यही सरकार बता दे पर यहां तो एक ऐसा माहौल बना दिया गया है जो कि अपनी बात कहने के लिए खड़ा होगा उसे देशद्रोही कहा जाएगा।


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