नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कूटनीति से लेकर सैन्य, हर मोर्चे पर सबक सिखाया है। भारत ने सिंधु जल संधि को रद कर दिया है। इसका असर अब पाकिस्तान में दिखना शुरू हो चुका है। पाकिस्तान के अंदर सिंधु नदी प्रणाली में जल वितरण के प्रबंधन के कामकाज को देखने वाली इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी ने जानकारी दी है कि देश में इस समय 21 प्रतिशत जल की कमी महसूस की जा रही है, जिसका असर आने वाले समय में फसलों की पैदावार पर देखने को मिल सकता है। चिनाब नदी में पानी की कमी देखी गई है।

पंजाब और सिंध प्रांत में सिंचाई की पूरी व्यवस्था सिंधु रिवर सिस्टम पर आधारित है। ये दोनों प्रांत झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों से पानी प्राप्त करते हैं। मई से सितंबर तक चलने वाले खरीफ सीजन की बुआई पर इसका सीधा असर पड़ा है.
पाकिस्तान में पानी की भारी कमी
इरसा के प्रवक्ता खालिद इदरीस राणा ने जानकारी दी है कि भारत द्वारा चिनाब के जल प्रवाह में कमी से न केवल खरीफ फसलों, विशेष रूप से चावल पर खतरा मंडरा रहा है बल्कि इसका असर मंगला डैम के जल भंडारण पर भी पड़ सकता है। इरसा ने जानकारी दी कि 2 जून 2025 को पंजाब प्रांत में पानी की कुल उपलब्धता सिर्फ 1,28,800 क्यूसेक थी, जो पिछले वर्ष इसी महीने उपलब्ध जल की तुलना में 14,800 क्यूसेक कम है। पानी के इस कमी से किसानों का हाल बेहाल हो सकता है।
जल संकट का समाधान नहीं किया, तो हम भूख से मर जाएंगे
कुछ दिनों पहले पाकिस्तान में सीनेट सत्र के दौरान सीनेटर सैयद अली जफर ने कहा कि अगर हमने जल संकट का समाधान नहीं किया, तो हम भूख से मर जाएंगे। सिंधु बेसिन हमारी लाइफ लाइन है। हमारा तीन चौथाई पानी देश के बाहर से आता हैं।जफर ने कहा कि 10 में से 9 लोग अपने जिंदगी के लिए सिंधु के पानी पर निर्भर है। हमारी 90 फीसदी फसलें इसी पानी पर निर्भर हैं। हमारे सारे पावर प्रोजेक्ट और बांध भी इसी पर बने हैं।
क्या है भारत का स्टैंड ?
सिंधु जल समझौते को स्थगित किए जाने के बाद भारत ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों पर कार्रवाई नहीं करता तब तक ये समझौता स्थगित रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र ने दुनिया को साफ तौर पर संदेश दिया है कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता।