तुम्हारी ‘फ़ाइलो’ में परिषदीय स्कूलों का मौसम ‘गुलाबी’ मगर आंकड़े ‘झूठे’ हैं जनाब


‘नौनिहालों की कैसे सुधरेगी सेहत 6 माह से नहीं बंटा दूध और फल

बलिया। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही गांव के विद्यालयों की सूरत बदलने और नौनिहालों के भविष्य को चमकाने के लिये तमाम योजनाएं चलवा रखा है लेकिन जब तक शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी सोच नहीं बदलेंगे,सभी योजनाओं पर भ्रष्टाचार का ग्रहण लगता रहेगा। योजनाओं की बात करें तो सरकारी विद्यालयों में पढऩे वाले गरीब बच्चों को कॉपी-किताब,फल,दूध सब कुछ मुफ्त में देने की व्यवस्था की गयी है। सरकार का एक ही मकसद है कि बच्चे दूध-फल मिलने की चाहत में ही सही विद्यालय आकर पढ़ाई करें… लेकिन क्या बच्चों को मुख्यमंत्री द्वारा करायी गयी सारी सुविधा मिल रही है ? भारी-भरकम बजट भी स्वीकृत हो गया लेकिन बच्चों के हक का निवाला हड़पने वाले भ्रष्टाचारी लोग सब लील जा रहे हैं। इसके अलावा बलिया के बीएसए द्वारा किये गये भ्रष्टाचार पर भी पेश है पिंटू सिंह की स्पेशल रिपोर्ट…।

बलिया। क्रांतिकारी धरती बलिया के सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों की सेहत सुधारने का दावा फेल होता नजर आ रहा है। रसड़ा शिक्षा क्षेत्र अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय, नरला में अध्ययनरत बच्चों को ना तो दूध दिया जा रहा है और ना ही फ ल…। बच्चों के खान-पान का ध्यान रखने वाले रसोईयों को भी 6 माह से वेतन नसीब नहीं हुआ। शर्मनाक बात ये है कि प्राथमिक विद्यालय, नरला की प्रधानाध्यापिका यहां पर आने में अपनी तौहीन समझती हैं। बच्चों का भविष्य व सेहत सुधारने के लिये इन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों पर न तो विभाग और न ही प्रशासन ध्यान दे रहा है। आखिर प्रधानाघ्यापिका विद्यालय आने में क्यों शर्म महसूस कर रही हैं ? इतना ही है तो इस्तीफा दे दें ताकि वहां किसी और की तैनाती हो…। सरकार द्वारा दिये जा रहे भारी भरकम सैलरी लेने में तो इनलोगों को भरपूर आनंद आता है लेकिन बच्चों को पढ़ाने और उन्हें फल-दूध देने में अपनी तौहीन नजर आता है। सवाल यह है कि आखिर बलिया के बीएसए क्या कर रहे हैं ? क्या उन्होंने कभी सरकारी विद्यालयों में औचक निरीक्षण कर ये देखने की कोशिश की कि नौनिहालों को दूध-फल बांटा जा रहा है या नहीं ? यदि नहीं तो सरकारी पैसा कहां और किसकी जेब में जा रहा है ? सीधी बात करें तो बीएसए की शह पर ही जनपद में भ्रष्टाचार का खेल जमकर खेला जा रहा है। अब शासन को तय करना होगा कि सीएम की जीरो टॉलरेंस की धज्जियां उड़ाने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या होना चाहिये।

उत्तर प्रदेश सरकार सबका साथ सबका विकास के तहत शिक्षा विभाग पर पानी की तरह पैसा बहा रही है। सरकारी योजनाओं के तहत बच्चों को शिक्षा, ड्रेस, कॅापी -किताब, भोजन, फ ल,दूध, सब कुछ नि:शुल्क वितरण किया जा रहा, बावजूद इसके जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों को निर्वाहन नहीं कर रहे हैं। गरीबों के ब च्चों को पिछले 6 माह से दूध-फ ल नहीं मिल रहा है। इसके लिये जिम्मेदार कौन है ? आखिर किसके हवाले है बच्चों का भविष्य, सहायक अध्यापक या शिक्षा मित्रों के ? ग्रामीणों की शिकायत पर आज सुबह स्कूल का निरीक्षण किया तो शिक्षामित्र अकेले बच्चों को पढ़ा रही थीं। थोड़ी देर बाद सहायक अध्यापक भी पहुंच गये। सवाल करने पर बताया कि सर, हम क्या करें, किसी तरह बच्चों को एमडीएम व्यवस्था कर खिलाते हैं लेकिन दूध, फल नहीं देते हैं। प्रधानाध्यापिका के बारे में पूछने पर बताया कि उच्च अधिकारियों को अवगत कराते रहते हैं लेकिन अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं। बच्चों का भविष्य भगवान भरोसे है।

इस पर रसड़ा शिक्षा क्षेत्र के बीईओ माधवेन्द्र पाण्डेय का ध्यान आकृष्ट कराया तो उन्होंने कहा कि वेतन रोका गया है। काबी सवालों का जवाब बीएसए साहब देंगे।

अगले अंक में…  पूर्व बीएसए मनीराम को चेला अजय पाण्डेय किस कमाई से बनाई करोड़ों की कोठी …
 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *