लखनऊ। शनिवार दोपहर जब एनकाउंटर में मारे गए टिंकू के शव की सुपुर्दगी के लिए पुलिस दिलाराम बारादरी स्थित उसके घर पहुंची तो पिता ने हाथ जोड़ लिए। बोले, न टिंकू से कोई संबंध बाकी रह गया था और न ही उसके शव से कोई वास्ता है। उन्होंने बेटे का शव लेने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि, पुलिस उन्हें बहाने से अपने साथ चौक कोतवाली और फिर बाराबंकी ले गई जहां टिंकू का शव उनके सुपुर्द किया गया। टिंकू के परिवार में पिता के अलावा मां सीता, छोटा भाई विमल किशोर और एक बहन है। भाई ने बताया कि मां को कैंसर है और उन्हें टिंकू के एनकाउंटर में मारे जाने की कोई खबर नहीं है। उसने बताया कि दोपहर को पुलिस घर पर आई और टिंकू के बारे में बताया।
हालांकि, उन्हें कल रात ही इस बारे में जानकारी मिल गई थी। पुलिस वालों ने बाराबंकी चलकर शव की सुपुर्दगी लेने के लिए कहा तो पिता ने उससे किसी भी तरह का वास्ता होने की बात से इनकार कर दिया। वह जाना भी नहीं चाहते थे, लेकिन पुलिस उन्हें बहाने से चौक कोतवाली और फिर बाराबंकी ले गई।
पिता ने बताया कि टिंकू की वजह से उनका व परिवारीजनों का जीना हराम हो गया था। आए दिन पुलिस घर आकर टिंकू के बारे में पूछताछ करती थी। लखनऊ या उत्तर प्रदेश और बाहर के प्रदेशों में कोई भी लूट की वारदात होती तो पुलिस यहां आकर धमकाती थी।
टिंकू के एनकाउंटर में ढेर होने पर विमल ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। पिता तिलकराम श्रीवास्तव ने जरूर कहा कि उसने जैसा किया, वैसा ही अंजाम सामने आया। उधर, मुहल्ले के लोगों को भी टिंकू के खात्मे से सुकून मिला। आसपास रहने वालों का कहना था कि उसकी वजह से मोहल्ला बदनाम हो गया था।