बलिया-‘क्लर्क’ अजय पाण्डेय ने ‘पूर्व’ बीएसए मनीराम सिंह को ‘मनी’ देकर किया फर्जीवाड़ा


2006 से अल्पसंख्यक विद्यालयों को नहीं किया ‘ऐडेड’ फिर पाण्डेय जी ने 2023 में कैसे कर दी भर्ती !

अभ्यर्थियों को भेजा गया खाली लिफाफा, साक्षात्कार के लिये नहीं आ पाये अभ्यर्थी, शिद्धार्थ पांडेय का कर लिया चयन

संजय श्रीवास्तव \ पिन्टू सिंह

बलिया। पूर्वांचल, भ्रष्टाचार की नई-नई कहानियों के लिये आज कर खूब चर्चा में है। जहां पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर एक दिन में प्रति ट्रक 500-500 वसूली कर महीने में करोड़ों रुपये की अवैध वसूली करने का तोड़ रहे थें वहीं, शिक्षा विभाग में बीएस के ‘दुलारे क्लर्क’ भी अवैध वसूली कर करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जब क्लर्क ‘करोड़पति’ बन सकता है तो बीएसए के अवैध संपत्ति का अंदाजा लगाना ‘पहाड़ का सीना चीर राह’ बनाने जैसी बात हो सकती है। फर्क इतना है कि योगी के जांबाज आईपीएस अफसरों ने छापेमारी कर नरही थाने के इंस्पेक्टर पन्नालाल सहित पूरा का पूरा थाना सस्पेंड़ कर दिया लेकिन बलिया में शिक्षा विभाग के पूर्व बीएसए मनीराम और भ्रष्टाचार कराने की ‘राह’ दिखाकर उसे ‘अंजाम’ तक पहुंचाने वाले क्लर्क अजय पाण्डेय के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी ? सवाल बड़ा है, क्योंकि जिलों में तैनात बीएसए का नेटवर्क सीधे शासन से जुड़ा होता है, तभी तो इनकी संपत्ति करोड़ों तक पहुंच जाती है। खैर, हम बात कर रहे हैं बीएसए कार्यालय, बलिया में तैनात वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय की…।  उन्होंने वर्ष 2023 में अल्पसंख्यक विद्यालय, गौतमबुद्ध जूनियर हाई स्कूल, बालूपुर, सिकंदरपुर,बलिया में अपने पुत्र सिद्धार्थ पाण्डेय को शिक्षक पद पर तैनात करा दिया। उस समय शासन ने अल्पसंख्यक विद्यालयों में भर्ती पर रोक लगा रखी थी तो अजय पाण्डेय के लड़के सिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति शिक्षक पद पर कैसे हो गयी ? ये सीधे-सीधे षडय़ंत्रकारी सोच के साथ किया गया अपराध है। अजय पाण्डेय ने पुत्रमोह में शैक्षिक योग्यता रखने वाले होनहार नौजवानों का हक मारने का काम किया है और इसमें मुख्य दोषी इसका साथ देने वाले पूर्व बीएसएए मनीराम सिंह हैं। देखना है कि मामले की जानकारी होने के बाद बीएसए, बलिया मनीष सिंह, क्लर्क अजय पाण्डेय के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं ? 

बता दें कि सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल में शिक्षक की नियुक्ति करने का अधिकार बीएसए को नहीं है, क्योंकि इसका चयन आयोग करता है या फिर शासन…। सीधी बात करें तो जब सरकार ने अल्पसंख्यक विद्यालयों की भर्ती पर रोक लगा दी है तो तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह ने किस नियमावली के तहत शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति की ? वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय ने किस हैसियत से अपने ‘हस्ताक्षर’ से शिद्धार्थ पाण्डेय को नियुक्ति पत्र दिया ? बता दें कि बेसिक शिक्षा कार्यालय (बीएसए) बलिया में तैनात वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुये अपने बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल में करा दी है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सिकंदरपुर स्थित गौतमबुद्ध जूनियर हाई स्कूल,बालूपुर में अल्पसंख्यक विद्यालय में वर्ष 2023 में तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह की मिलीभगत से अपने बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति करा दी। खास बात यह है शासन ने वर्ष 2006 के बाद से प्रदेश में कोई सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल एडेड नहीं किया गया, बावजूद इसके बीएसएस ने शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति शिक्षक पद पर किस नियमावली के तहत की ? बताया जाता है कि अजय पाण्डेय को मालूम था कि सिकंदरपुर तहसील के ऐडेड विद्यालय में दो शिक्षकों के पद खाली है। उसके बाद श्री पाण्डेय ने न्यूज पेपर में भर्ती का विज्ञापन निकाला,जिसे देख शिक्षक पद पर मांगी गयी अर्हता रखने वाले बड़ी संख्या में छात्रों ने आवेदन किया। सभी फार्म सिकंदरपुर तहसील में मंगाये गये, जिस सीट के प्रभारी खुद अजय पाण्डेय थे। अब सवाल यह उठ रहा था कि यदि साक्षात्कार के दिन सभी अभ्यर्थियों को बुलाया जायेगा तो हो सकता है कि उसके बेटे से भी योग्य छात्र का चयन हो सकता है, इसलिये शातिर दिमाग वाले पाण्डेय जी ने चाल चली।

उन्होंने साक्षात्कार के दिन आने के लिये सभी अभ्यर्थियों के पते पर रजिस्ट्री से लेटर भेजा लेकिन लिफाफा खाली था…। जी हां, लिफाफा के अंदर साक्षात्कार का कोई पत्र ही नहीं था, जिसकी वजह से अभ्यर्थियों को मालूम ही नहीं चला कि ‘किस दिन’ और ‘कितने बजे’ साक्षात्कार होना है…। साक्षात्कार के दिन किसी और अभ्यर्थी के ना आने पर अजय पाण्डेय के बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय का चयन शिक्षक पद के लिये कर लिया गया। बस पाण्डेय जी हो गये अपने निहायत घटिया खेल में कामयाब और करा लिये अपने ‘लल्ला’ सिद्धार्थ पाण्डेय का शिक्षक पद पर चयन…।

                 

                                 पूर्व बीएसए मनीराम

शर्मनाक बात तो यह है कि इस खेल में पैसे की लालच में ‘धृतराष्ट’ बनें तात्कालीन बीएसए मनीराम भी बराबर के दोषी हैं। सवाल यह है जब बीएसए को मालूम था कि ऐडेड स्कूलों में भर्ती पर शासन ने रोक लगा रखी है तो फिर उन्होंने शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति करने की जुर्रत कैसे की ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टॉलरेंस ना अपनाने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फरमान जारी किया है, उसके बाद भी बीएसए और वरिष्ठ लिपिक को डर नहीं लगा कि फर्जी तौर पर भर्ती करने का अंजाम क्या होगा ? खैर, ‘द संडे व्यूज़’ बलिया के बीएसए कार्यालय द्वारा किये गये फर्जी भर्ती के प्रकरण को शासन स्तर तक पहुंचाने का काम करेगा ताकि ऐसे भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सके।

सवाल इस बात का भी है कि बलिया में ही पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर पन्नेलाल सहित पूरा थाना वसूली कांड़ में निलंबित कर दिया गया तो फिर मुख्यमंत्री के आदेश को नजरअंदाज करने वाले बीएसए और क्लर्क अजय पाण्डेय के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गयी ? फर्जी तरीके से किये गये भर्ती सिद्धार्थ पाण्डेय को निलंबित क्यों नहीं किया गया ? इससे साबित होता है कि बलिया के बीएसए मनीष सिंह का पूरा संरक्षण क्लर्क अजय पाण्डेय पर है। बात जो भी हो,अब शासन इस पूरे फर्जीवाड़े पर क्या रुख अपनाती है, इस पर ‘द संडे व्यूज़’ की नजर बनी रहेगी।

अगले अंक में ‘पूर्व’ और ‘मौजूदा’ बीएसए का लाड़ला क्लर्क कैसे बना करोड़पति ! ,कितने करोड़ की है कोठी !


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *