‘अखबार’ प्रकाशन में ‘स्वेच्छा’ से सहयोग करें लेकिन ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति ना तोड़े


 ब्यूरो, लखनऊ। साप्ताहिक समाचार पत्र ‘द संडे व्यूज‘ के प्रकाशन में समय-समय पर आर्थिक दिक्कतें आती रहती है लेकिन मित्रों के सहयोग से प्रकाशन बदस्तूर जारी है। सभी वर्ग के लोगों की समस्याओं को प्रमुखता के साथ उठाने की वजह से द संडे व्यूज विचार के तौर पर जाना जा रहा है। मेरी कोशिश रहेगी कि चाहें सरकारी विभाग में किसी स्तर का अधिकारी हो, यदि वो भ्रष्टाचार में शामिल है और अखबार प्रकाशन में सहयोग कर रहा है तो बता दूं कि जब उसके खिलाफ भ्रष्टाचार के दस्तावेज हमारे पास आयेंगे तो हर हाल में उसके खिलाफ कलम आग उगलेगी। कोई ये ना समझे कि अखबार प्रकाशन में स्वेच्छा से मुट्ठी भर सहयोग कर रहे हैं तो ‘द संडे व्यूज़’ में उनके खिलाफ खबरें नहीं प्रकाशित होंगी। द संडे व्यूज़ एक मिशन का नाम है…।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने की कोशिश करते हुये इस बात को सभी मित्रों के सामने रख रहा हूं क्योंकि मैंने देखा, स्वेच्छा से अखबार प्रकाशन में सहयोग करने वालों में अधिसंख्य भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हैं। तमाम सरकारी विभागों में गरीबों, मजबूर कर्मचारियों का खून चूस कर कई अफसर एक नहीं कई करोड़ की अकूत संपत्ति अर्जित कर रखे हैं। सीधी बात करें तो कर्मचारियों के मेहनत की कमाई को लूट अफसरों ने हवेली, जमीन के कारोबार से एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर रखा है। ‘द संडे व्यूज़‘ के पास कई विभाग के अफसरों के खिलाफ तमाम शिकायती पत्र आये हैं, जिसकी पड़ताल ‘द संडे व्यूज़‘ की टीम कर रही है। आशय ये है कि सहयोगी मित्रों यदि शिकायती पत्रों की जांच सही मिली तो कलम से प्रहार होगा…दिल पर मत लीजियेगा…।


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