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बांदा। एक ओर जहाँ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बडे-बडे वादे करती है। वही पुलिस के आलाधिकारी भी अपनी पुलिस को पत्रकारों के साथ उचित ब्योहार करने सहित उनकी सुरक्षा के लिए कहते तो है, लेकिन उत्तर प्रदेश की पुलिस जिस तरह से माफियाओं के साथ मिलकर पत्रकारों के उत्पीड़न में लगी है। उसकी एक बानगी बाँदा जनपद के पत्रकारों में देखने को मिल रहा है। जिसके खिलाफ पत्रकारों ने एकजुट होकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करते हुए आमरण अनशन शुरू कर दिया है। पिछले तीन दिनों से बाँदा के अनशन स्थल अशोक लाट के नीचे आमरण अनशन पर बैठे है। लेकिन प्रशासन अभी तक पत्रकारों की सुध लेने भी नहीं पहुँचा।
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पूरा मामला बांदा जनपद के जसपुरा थाना क्षेत्र का है, जहां पिछले दिनों स्थानीय पत्रकार अंशु गुप्ता ने खनन माफियाओं के खिलाफ खबर करने गए थे। जिस पर खनन माफियाओं ने पत्रकार को घेरकर उसके साथ मारपीट की और पत्रकार का कैमरा मोबाइल घड़ी व सामान छीन लिया। पीड़ित पत्रकार ने इसकी सूचना पुलिस को दी तो पुलिस ने भी हीला हवाली करते हुए मामले को दबाने का प्रयास किया, लेकिन जब पत्रकारों ने उच्च अधिकारियों से बात की इसके बाद पीड़ित पत्रकार का मुकदमा दर्ज किया गया।
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लेकिन अभी तक अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं की गई, बल्कि स्थानीय विधायक जो खुद अवैध खनन में संलिप्त हैं। उनके दबाव के चलते खनन माफियाओं ने जसपुरा थाने में ही दरोगा अर्जुन सिंह से सांठगांठ कर 1 सप्ताह बाद पत्रकार को दबाव बनाने के उद्देश्य उसके खिलाफ भी झूठे मुकदमें लिखवा दिए ताकि दबाव बनाकर मामले को निपटाया जा सके। जिसके खिलाफ पत्रकारों ने एकजुट होकर अनशन स्थल अशोक लाट चौराहे पर पिछले 3 दिनों से सरकार और पुलिस की ज्यादती के चलते आंदोलन करने के लिए बाध्य हैं।
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पत्रकारों के इस आंदोलन को तमाम राजनीतिक पार्टियों ने भी अपना समर्थन दिया है। कांग्रेश के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित पूरी कांग्रेस पार्टी व समाजवादी पार्टी के लोगों ने सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को जिस तरीके से दबाने का प्रयास किया जा रहा है, उसको बचाने के लिए खुलकर के सामने आ गए हैं। जिस तरीके से पूरे प्रदेश में पत्रकारों के ऊपर हमले हो रहे हैं उनकी हत्याएं हो रही है, ऐसे में बाँदा कि स्थानीय पत्रकार अंसू गुप्ता पर भी हमला कर सच की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। जिस तरीके से माफिया हावी हैं यदि समय रहते उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई तो पत्रकार अंसू गुप्ता की हत्या भी हो सकती है जिसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन को लेनी होगी।
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