होमगार्ड विभाग में ‘याचना’, ‘मेडिकल’ और ‘ट्रांसफर’ का गठबंधन


होमगार्ड विभाग में याचना पर ट्रांसफर पर सवाल : क्या विभाग के 2000 कर्मचारियों के परिजन बीमार हैं ?

घाघ अफसरों के बोल: डीजी बी.के. मौर्य हैं दयालु, मेडिकल के आधार पर तुरंत करते हैं तबादला…

अफसरों का सेफ गेम: मेडिकल,याचना के नाम पर 50 हजार से एक लाख रुपये की हो रही वसूली

संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। होमगार्ड विभाग में इस समय याचना,मेडिकल और ट्रांसफर का गठबंधन जोरों पर चल रहा है। अधिसंख्य निरीक्षक,प्लाटून कमांडर,बीअेा,हवलदार प्रशिक्षक,चपरासी और बाबूओं ने मनचाही जगह तैनाती के लिये मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा लिया हैं। अधिकारियों का तर्क है कि मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा कर ले आओ,काम हो जायेगा। डीजी साहेब दयालु प्रवृत्ति के अधिकारी हैं, मेडिकल आधार पर वे तुरंत तबादला कर देंगे। बताया जाता है कि इस खेल याचना और मेडिकल के आधार पर तबादला कराने के नाम पर अधिकारी 50 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक डकार रहे हैं। होमगार्ड विभाग में लगभग 3500 कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं,जिनमें से 1500 पद रिक्त पड़े हैं। फिर भी प्रति वर्ष 50-50 कर्मचारियों का याचना,मडिकल के आधार पर ट्रांसफर का खेल खेल कर अधिकारी 20 से 25 लाख रुपये बटोर रहे हैं। यदि डीजी साहेब पिछले 10 साल का आंकड़ा मांग कर देख लें तो हर साल पचासों कर्मचारियों का याचना और मेडिकल के आधार पर ही ट्रांसफर किया गया है और अफसरों ने अपनी थैली भर ली। ‘द संडे व्यूज़’ घाघ अधिकारियों द्वारा वसूले जा रहे रकम की पुष्टि नहीं करता लेकिन अवाम के सामने ईमानदार कर्मचारियों की बेबसी को सिलसिलेवार तरीके से जरुर रखता रहेगा। 

नई ट्रांसफर पॉलिसी के तहत तृतीय श्रेणी के 10 प्रतिशत कर्मचारियों का ट्रांसफ र होना है। विभाग में निरीक्षक, प्लाटून कमांडर, बीओ, हवलदार, चपरासी, बाबू एक- एक जिले में 20-20 साल से पड़े हुये हैं। इस साल भी मेडिकल का खेल चालू हो गया है। मुख्यालय के तीन अधिकारी जोर- शोर से अपने चेलों को सलाह दे रहे हैं कि अपने मां- बाप, बीबी- बच्चे का भी मेडिकल बनवा कर लाओ और खर्चा जमा करो, ट्रांसफर हम करा देंगे। बताया जाता है कि इस समय मुख्यालय पर तैनात अधिकारियों ने मेडिकल का खेल करके उनसे काफ ी कर्मचारियों का ट्रांसफर करा दिया और मध्यस्थता में 50 हजार से 01 लाख प्रति ट्रांसफ र डकार गये हैं। पिछले वर्ष डीजी ने हटाने की मुहिम चलायी थी, लेकिन उनकी मुहिम पूरी तरह से सफल नहीं हो पायी। होमगार्ड विभाग में ट्रांसफर- पोस्टिंग जिले की आवश्यकता के अनुसार कभी नहीं किया जाता है, बल्कि रकम की मोटाई देखकर किया जाता है। इसके अलावा प्रमोशन पर निरीक्षक, बीओ, बाबू भी मनचाही जगह पोस्टिंग पाने के लिये अपना हिस्सा जिम्मेदार अधिकारी तक पहुंचा चुके हैं और बेफिक्र होकर घूम रहे हैं। कई कर्मचारियों ने तो यहां तक बताया कि मेरा खर्चा जमा हो चुका है, मनचाही जगह पोस्टिंग होना तय है। 

मुख्यालय के अधिकारी लोगों को समझा रहे हैं कि डीजी साहब मेडिकल वालों का ट्रांसफ र तुरंत कर देंगे, इसलिये किसी भी तरीके से मेडिकल बनवा कर लाओ। विश्वस्त सूत्रों से द संडे व्यूज को पता चला है कि होमगार्ड विभाग में लगभग 3500 कर्मचारियों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 1500 से अधिक पर रिक्त पड़ें हैं, फि र भी हर साल 50- 50 कर्मचारियों का याचना और मेडिकल के आधार पर ट्रांसफर का खेल चल रहा है और 20 से 25 लाख रुपए बटोरे जा रहे हैं। याचना और मेडिकल का फूलप्रूफ खेल इतना निराला और सेफ है कि मुख्यालय के अटैची वाले अधिकारी बिना लाग लपेट के हर साल अंधा- धुंध खेल खेलते चले आ रहे हैं। लखनऊ सहित अन्य महानगरों में 20- 20 बाबू, अनगिनत चपरासी और कर्मचारी अटे- पड़े हैं और छोटे – छोटे जिलों में कोई भी बाबू, प्लाटून कमांडर और कर्मचारी नहीं हैं। छोटे जिलों के कमांडेंट किसी तरह से अपना काम चलाते हैं, हर साल मुख्यालय के अधिकारियों से गिड़गिड़ाते हैं कि उनके यहां भी कुछ स्टाफ दे दिया जाये लेकिन मोटी थैली न दे पाने के कारण उनका जिला…।

सवाल ये है कि 1500 से 2000 की संख्या वाले विभाग में क्या सभी कर्मचारी या उनके परिजन बीमार रहते हैं ? या सभी याचना करने वाले ही है ? कारण एकदम साफ है, मेडिकल और याचना की आड़ में मुख्यालय के जाबांज अधिकारी खेल करने में माहिर हैं। पुराने आईजी, डीआईजी लोगों को इस खेल महारत हासिल थी, क्योंकि मुख्यालय के अधिकारी जानते हैं कि डीजी साहब दयालु हैं। वे मेडिकल, याचना के मामलों की कोई जांच नहीं करायेंगे और उनका साल भर का काम हो जायेगा। यदि डीजी पिछले 10 साल का आंकड़ा मांग कर देख लें तो हर साल पचासों कर्मचारियों का याचना और मेडिकल के आधार पर ही ट्रांसफर किया गया है और अफसरों ने अपनी थैली भर ली।

‘द संडे व्यूज़’ होमगार्ड मुख्यालय के तथाकथित भ्रष्ट अफसरों की सच्चाई से पर्दा उठाने और कमजोर व ईमानदार अधिकारियों,कर्मचारियों की बेबसी से हमेशा पर्दा उठाने की एक छोटी से कोशिश करता रहा है। कुछ अफसरों ने अपने जूनियरों के साथ मिलकर मुख्यालय स्तर पर ट्रांसफर,पोस्टिंग,मेडिकल और याचना के आधार पर लंबे समय से गंदा खेल खेलते चले आ रहे हैं। शुक्र है कि डीजी बी के मौर्य की ईमानदारी और सख्ती और ‘द संडे व्यूज़’ के कलम से निकलती आग से भ्रस्टाचार के आकंठ में डूबे तथाकथित अफसर,प्रमोटी जिला कमांडेंट भ्रयाक्रांत रहते हैं वर्ना…।

क्रमश:


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