स्टूडेंट्स की साइलेंट मेजोरिटी चाहती है परीक्षा : रमेश पोखरियाल निशंक


इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए होने वाली देश की सबसे बड़ी परीक्षा ज्वॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) मेन्स इस बार 1 से 6 सितंबर के बीच होनी है। वहीं, मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए होने वाली नीट यूजी की परीक्षा 13 सितंबर को होगी। कोरोना महामारी के बीच ये परीक्षाएं करवाने का स्टूडेंट्स और पैरेंट्स विरोध कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर गुरूवार को #PostponeNEET_JEEinCovid टॉप 5 ट्रेंडिंग में रहा। दोपहर 12:30 बजे तक 1.26 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स इस हैशटेग के साथ विरोध दर्ज करा चुके थे। इसके अलावा परीक्षा के विरोध में एक और हैशटेग #AntiStudentNarendraModi भी ट्रेंडिंग में रहा। इस हैशटेग के साथ 6 लाख से ज्यादा यूजर ट्वीट कर चुके हैं।

बुधवार को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा था कि स्टूडेंट्स की साइलेंट मेजोरिटी चाहती है कि परीक्षा हो। निशंक ने यह भी कहा कि मुझे रोजाना अनगिनत मेल ऐसे स्टूडेंट्स के आते हैं, जो इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे। लेकिन, वे किसी भी सूरत में यह नहीं चाहते कि इस साल जीरो ईयर घोषित हो।

शिक्षा मंत्री के साइलेंट मेजोरिटी वाले इस दावे पर बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स ने रिएक्ट किया। स्टूडेंट्स कह रहे हैं कि आप NTA की वेबसाइट पर पोल कराकर देख सकते हैं कि कितने स्टूडेंट्स परीक्षा कराने के पक्ष में हैं और कितने नहीं। कई स्टूडेंट्स ने तो ट्विटर पर खुद ही पोल कराना शुरू भी कर दिया।

ग्रामीण इलाके में नीट-जेईई की तैयारी कर रहे एक छात्र का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें छात्र कह रहा है कि कोरोना महामारी के चलते उसके पिता की नौकरी चली गई थी। घर में राशन तक का इंतजाम नहीं हो पा रहा। परीक्षा केंद्र तक जाने के लिए 10 हजार रुपए किराया लगेगा। इतना खर्च नहीं उठा सकता।


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