भारत के महान दार्शनिक एवं क्रांतिकारी थे अरविंद घोष, आज है जयंती


15 अगस्त 1872 – भारत माता के महान सपूत अरविंद घोष महर्षि अरविंद को उनकी जन्म जयंती पर कोटि-कोटि नमन। बचपन में ही शिक्षा के लिए लंदन भेज दिए गए 23 वर्ष बाद लंदन से आकर गुजरात में नेशनल कॉलेज बड़ौदा में वाइस प्रिंसिपल बने। भगिनी निवेदिता के संपर्क में आने के बाद कोलकाता वापस आए और बम तमंचे की क्रांति के जनक बने।

महान क्रांतिकारी अरविंद घोष बम तमंचे की क्रांति के सभी क्रांतिकारियों के गुरु थे। उनके छोटे भाई बारीन्द्र घोष बहुत बड़े क्रांतिकारी थे और उन्हें काले पानी की सजा हुई थी।1908 में अरविंद घोष अलीपुर बम केस में गिरफ्तार किए गए ।अरविंद घोष का मुकदमा चित्तरंजन दास ने लड़ा था। अलीपुर जेल में ही अरविंद घोष का साक्षात्कार सूक्ष्म रुप(स्वामी विवेकानंद का 1902 में निर्वाण हो गया था) में स्वामी विवेकानंद से हुआ।

योगेश्वर श्रीकृष्ण की देख रेख में स्वामी विवेकानंद के प्रशिक्षण में अरविंद घोष ने अलीपुर जेल में योग सीखा और योगी हो गए। अलीपुर जेल से निकलने के बाद अरविंद घोष योगी अरविंद हो चुके थे। पांडिचेरी में अपना आश्रम बनाया और महर्षि अरविंद के नाम से पूरी दुनिया उन्हें जानती हैं ।

वंदे मातरम को जन जन का नारा और क्रांतिकारियों के बलिदान का मंत्र अरविंद घोष ने ही बनाया था। 3 साल की उम्र में ही लंदन चले गए, 25 साल की उम्र में लंदन से वापस आकर वडोदरा नेशनल कालेज में शिक्षक, महान क्रांतिकारी और क्रांतिकारियों के गुरु और महर्षि अरविंद के रूप में उनके जीवन में उत्तरोत्तर इतने परिवर्तन आए कि वह युगपुरुष बन गए।

आज 15 अगस्त है भारत का स्वतंत्रता दिवस। वर्षो पूर्व उन्होंने अपने शिष्यों को बता दिया था कि भारत मेरे जन्म दिन पर स्वतंत्र होगा किंतु दुख की बात यह होगी कि भारत खंडित हो जाएगा। ऐसे महान क्रांतिकारी, महान योगी को, महर्षि को स्वाधीनता दिवस के साथ उनके जन्म जयंती पर श्रद्धा सुमन।


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