योगी सरकार का बड़ा एक्शन, हटाए गए आइएएस अनिल कुमार सागर


11 बिल्डरों का आवंटन कर दिया था रद्द

ब्यूरो, लखनऊ।प्रदेश सरकार ने अवस्थापना एव औद्योगिक विकास के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं इलेक्ट्रानिक्स और एनआरआइ विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार सागर को सभी पदों से हटा दिया है। प्रतीक्षारत किए गए सागर से यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के चेयरमैन की कुर्सी भी छिन गई है। माना जा रहा है कि प्राधिकरण के चेयरमैन रहते सागर द्वारा किए गए विवादित फैसले पर हाईकोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए सरकार ने कार्रवाई की है। फैसले के खिलाफ बिल्डर द्वारा दायर याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच सुनवाई करेगा।

वर्ष 1998 बैच के आइएएस अधिकारी अनिल पहली दिसंबर 2022 से अवस्थापना एव औद्योगिक विकास के प्रमुख सचिव पद का दायित्व संभाल रहे थे। सरकार ने उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं इलेक्ट्रानिक्स और प्रवासी भारतीय (एनआरआइ) विभाग की भी जिम्मेदारी सौंप रखी थी। इसके साथ ही अनिक यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के चेयरमैन भी थे। शनिवार को सागर को सभी पदों से हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया गया। चर्चा है कि यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन रहते सागर के विवादित फैसले के खिलाफ एक बिल्डर द्वारा दायर याचिका पर पिछले दिनों हाईकोर्ट की टिप्पणी को सरकार ने गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की है। संबंधित मामले में सोमवार को हाईकोर्ट फिर सुनवाई करेगा।

जानकारों के मुताबिक यमुना प्राधिकरण ने लाजिक्स बिल्डर को ग्रुप हाउसिंग भूखंड का आवंटन किया था। इसकी लीजडीड 2012 में की गई थी। बिल्डर से इस भूखंड का एक हिस्सा यूजी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. ने खरीदा था। इसके अलावा तीन अन्य बिल्डरों ने भी भूखंड का हिस्सा खरीदा था। इसकी लीजडीड 2014 में संपन्न हुई थी। प्राधिकरण के नियमानुसार, मुख्य आवंटी बिल्डर को निर्माण एवं मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए मिलने वाला दो साल का समय, उप क्रेता बिल्डर को दिया दिया जाता है, लेकिन ओएसिस को छोड़कर अन्य बिल्डरों ने मानचित्र व निर्माण शुरू नहीं किया। ओएसिस बिल्डर ने निर्माण कार्य कराकर प्राधिकरण से सीसी भी प्राप्त कर ली।
तय अवधि में मानचित्र स्वीकृत न कराने और निर्माण कार्य शुरू न करने पर प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डा. अरुणवीर सिंह ने 2022 में 11 बिल्डरों का आवंटन रद कर दिया था। इसके खिलाफ यूजी इन्फ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य ने चेयरमैन के यहां अपील की थी।आरोप है कि चेयरमैन ने समान मामलों की एक ही दिन में सुनवाई करते हुए एक के पक्ष व दूसरे के विरोध में फैसला दिया। यूजी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. के विरोध में फैसला होने पर उसके द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

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