बलिया। आसिफ हुसैन ज़ैदी: उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर किए गए शर्मनाक बल प्रयोग के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे, इसके लिए दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, किसान आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले किसानों को शहीद का दर्जा प्रदान करे, कारपोरेट के हित में बनाए गए कृषि सम्बन्धी नए काले कानूनों को तत्काल वापस ले, एमएसपी को कानूनी रूप दे और घोषणा करे कि आगे कृषि को लेकर बनने वाला किसी भी तरह का कानून किसानों को विश्वास में लेकर ही बनाया जाएगा। उन्होंने कहा है कि देश में सामान्य स्थिति बनाने के लिए ये फैसले अति आवश्यक हैं। भारत सरकार ने इन फैसलों में विलम्ब किया तो फिलहाल तक किसान और कारपोरेट पोषित सरकार के बीच चल रही इस लड़ाई में अन्न खाने वाले देश के सभी नेक लोग किसानों के साथ लामबन्द होने के लिए मजबूर होंगे।
अपने आवास पर गुरुवार को मिलने आए समाजवादी पार्टी के जिला प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय”कान्हजी” सहित पार्टी कार्यकर्ताओं से उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि इस देश का किसान मान रहा है कि नया कृषि कानून खेती बारी के हितों और उनके स्वामित्व पर हमला है। यह कानून बना रहा तो देशी विदेशी कंपनियां भारतीय नवरत्न कम्पनियों की तरह खेती बारी को भी निगल जाएगीं। इस कानून को वह काले कानून की संज्ञा दे रहा है। वह इसकी वापसी के लिए इस कानून के बनने के दिन से विरोध जता रहा है और शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहा है।
वह भारत सरकार से अपनी बात कहने के लिए दिल्ली आ रहा था। सरकार को बातचीत करनी चाहिए थी लेकिन सरकार ने बातचीत की जगह किसानों पर हमला बोलवा दिया। उन्हें आंदोलन से विमुख करने के लिए उनके ऊपर अति शर्मनाक बल प्रयोग किया गया। उन्होंने कहा कि इस अतिशर्मनाक बल प्रयोग की, इस हमले की जितनी भी निंदा की जाए कम है। इस अतिशर्मनाक बल प्रयोग को लेकर पूरे देश के किसानों में असहज स्थिति बनी हुई है। इसे सहज करने का एक मात्र रास्ता है कि भारत सरकार इस हमले के लिए, इस अतिशर्मनाक बल प्रयोग के लिए किसानों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।
उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि किसान अपनी खेती बारी से केवल खुद के लिए नहीं, पूरे देश के लिए अन्न पैदा करता है। उसके ऊपर हमला देश के लिए अन्न पैदा करने वालों पर हमला है,सबसे बड़े राष्ट्रवादी तबके पर हमला है, देश की आत्मा पर हमला है। इसलिए सरकार को अपने इस कुकृत्य के लिए माफी मांगने में देर नहीं करना चाहिए। उन्होंने कारपोरेट के जबड़े से अपनी खेती बारी को बचाने के लिए हो रहे आंदोलन में प्राणों की आहुति देने वाले किसानों को सैल्यूट किया और कहा कि इस देश का किसान और नेक नागरिक उनके इस बलिदान को कभी भुला नहीं पायेगा। भारत सरकार को भी उनके इस बलिदान को स्वीकार करना चाहिए और बेहिचक उन्हें शहीद का दर्जा प्रदान करना चाहिए।
रामगोविंद चौधरी ने कहा कि कृषि सम्बन्धी नए काले कानून के खिलाफ इस समय एक करोड़ से अधिक किसान सड़कों पर हैं। कारपोरेट समर्थकों को छोड़ दिया जाए तो जो अभी अपने घरों में हैं, उनमें से भी अधिसंख्य की सहानुभूति आंदोलनकारी किसानों के साथ है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह कारपोरेट का मोह छोड़कर देश के हित में, देश के किसानों के हित में नए कृषि कानूनों को तुरन्त वापस ले ले। उन्होंने कहा कि इसे लेकर भारत सरकार की जिद बेमतलब है। इस जिद की वजह से देश के किसानों में व्याप्त असहज स्थिति में हर रोज वृद्धि होगी जो किसी भी हाल में देश के हित में नहीं है।
प्रतिपक्ष ने कहा कि देश के किसानों में सहज स्थिति बनाने के लिए भारत सरकार को नए कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही यह भी घोषणा करनी चाहिए कि अब किसान उत्पादों के लिए निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम एस पी) को कानून का रूप दिया जाएगा, निर्धारित मूल्य से कम में खरीद को संज्ञेय अपराध माना जाएगा और इसके दोषियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रविधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को यह भी घोषणा करनी चाहिए कि आगे किसी भी तरह का कृषि कानून बनाने से पहले किसानों का विश्वास अवश्य हासिल किया जाएगा।