चिकित्सा विभाग की लापरवाही से हुई बालिका की मौत


अयोध्या । जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में 9 घंटे तड़पने के बाद एक बालिका की मौत हो गई। मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद रात भर परिजन अस्पताल परिसर में चिकित्सक और स्टाफ नर्स को तलाशते रहे। अगले दिन सुबह तक इमरजेंसी वार्ड में बालिका का इलाज करने जब चिकित्सक पहुंचा तो बालिका की मौत हो चुकी थी। मामले में परिजनों ने जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों और स्टाफ नर्स के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। वहीं सीएमओ ने इस लापरवाही की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। केंद्र और प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर और सर्वजन सुलभ बनाने का दम भर रही है। वहीं चिकित्सा विभाग की लापरवाही की कीमत मरीजों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है।

5 नवंबर रात 11:00 बजे अयोध्या कोतवाली नगर क्षेत्र के लालबाग निवासी किशोरी अनुष्का को उल्टी व पेट दर्द की शिकायत पर जिला चिकित्सालय के न्यू इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया। आरोप है कि वार्ड में भर्ती करने के बाद डॉक्टरों और नर्सों ने बीमार किशोरी को देखने की नहीं आए। जबकि किशोरी रात भर दर्द से तड़पती रही। अगले दिन सुबह करीब 8:50 बजे जब चिकित्सक पहुंचे तो उसकी मौत हो चुकी थी। सुबह 8:50 बजे चिकित्सकों ने जांच के बाद किशोरी को मृत घोषित कर दिया। यह सुनते ही परिजनों को सदमा लगा।

उन्होंने अस्पताल परिसर में ही हंगामा शुरू कर दिया। मौके पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट सत्य प्रकाश मृतक के परिजनों को समझाया और मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद वे शांत हुए। मृतका के परिजनों का कहना है कि रात भर चिकित्सक और स्टाफ नर्स न्यू इमरजेंसी वार्ड नहीं पहुंचे। उनकी लापरवाही के चलते किशोरी की मौत हो गई। उन्होंने जिला अधिकारी को पत्र लिखकर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. धर्मेंद्र कुमार, डॉ एके सिन्हा, राजेश कुमार सिंह, डॉ विपिन वर्मा, डॉ अजय तिवारी समेत 3 स्टाफ नर्सों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है।

बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रबंधन ने किशोरी के भर्ती करने के समय और तिथि में परिवर्तन कर दिया। जिला अस्पताल के मरीज भर्ती पंजिका में किशोरी के भर्ती होने का समय 6 नवंबर यानी आज सुबह सुबह 8:30 पर दिखाया गया। भर्ती करने की 10 मिनट बाद 8:40 बजे ऑक्सीजन लगाने और इसके ठीक 10 मिनट बाद 8:50 पर किशोरी की मृत घोषित करने की सूचना दर्ज है। जबकि मृतका के परिजनों का कहना है कि 5 नवंबर की रात 11:05 पर ही जिला अस्पताल में किशोरी को भर्ती कराया गया था। मामले में जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक रविंद्र कुमार का कहना है कि चिकित्सकीय परीक्षण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही किसी को मृत घोषित किया जाता है। किशोरी की मौत अगर चिकित्सकों व स्टाफ नर्स की लापरवाही से हुई है तो इसकी जांच आवश्यक है। मामले की जांच के लिए गठित कमेटी 3 दिन में रिपोर्ट दे देगी। जिसके बाद दोषी चिकित्सकों और स्टाफ नर्स के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की जाएगी। अगर उन पर दोष सिद्ध होते हैं तो शासन को भी उनके विरुद्ध एक्शन लेने के लिए लिखा जाएगा।


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