कछुए के मांस की तस्करी करने वाले 6 शातिर तस्कर गिरफ्तार


बाराबंकी। अर्जुन सिंह: ज़िंदा कछुओं की तस्करी के बारे में तो आपने अक्सर ही सुना और देखा होगा। लेकिन बाराबंकी पुलिस ने तस्करों के एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है जिसके बारे में जान कर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे। क्योंकि ये गिरोह ज़िंदा कछुओं को नही बल्कि उन्हें मार कर काफी बड़े पैमाने पर कछुए के मांस की तस्करी के कारनामे को अंजाम दे रहा था। इन तस्करों के कब्ज़े से पुलिस ने 120 किलो कछुए का मांस भी बरामद किया है। जिसके बाद पुलिस ने सभी 6 तस्करों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम और भारतीय वन अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया है ।

बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ0 अरविन्द चतुर्वेदी ने बताया कि टर्टल सर्वाइवल अलायन्स (TSA) के माध्यम से उन्हे बाराबंकी और आसपास के जनपदों में सॉफ्ट शैल टर्टल की बड़ी मात्रा में तस्करी होने का इनपुट मिला था। इस इनपुट के आधार पर पुलिस ने रायबरेली से बाराबंकी की तरफ आ रहे एक हाफ डाला (छोटा हाथी) को रोककर गुड्डू और रामानन्द भगत नाम के दो व्यक्तियों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ करी। तो उन्होंने गाड़ी में लदी थर्माकोल की पेटियों में मछलियों के नीचे कछुए का मांस छिपा कर ले जाने की बात कबूली।

पूछताछ के दौरान गिरफ्तार तस्करों ने पुलिस को बताया कि जनपद पीलीभीत और उत्तराखंड की बंगाली बस्तियों में कछुए के मांस की भारी मांग रहती है। इसी लिए गिरफ्तार तस्कर बाराबंकी और आसपास के जनपदों में स्थानीय मल्लाहों से सम्पर्क कर कछुओं का शिकार कराते थे फिर उनके मांस के छोटे छोटे टुकड़े कर उसे ड्राई आइस में पैक कर पुलिस से बचने के लिए बाराबंकी के ग्रामीण इलाकों से होते हुए सीतापुर, लखीमपुर खीरी और फिर वहां से पीलीभीत और उत्तराखंड ले जाते थे।

वहीँ एसपी बाराबंकी डॉ0 अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि कछुओ के मांस की तस्करी का गोरखधंधा अभी तक उत्तर प्रदेश पुलिस, वन विभाग, TSA और वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो की जानकारी में नही था। इस महत्वपूर्ण बरामदगी के बाद केंद्रीय एजेंसियों और एनजीओ के लिए नयी चुनौती पैदा हो गयी है क्योंकि जीवित कछुओ की तुलना में मांस की तस्करी ज्यादा आसान और सुरक्षित है। ऐसे में कछुओ के मांस की तस्करी रोकने के WCCB दिल्ली हेडक्वार्टर को सूचित कर दिया गया है।


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