नई दिल्ली: एक तरफ पूरी दुनिया में जंगल के जीवों को बचाने की मुहिम छिड़ी हुई है। जंगली जानवरों के लिए काम करने वाले संगठन और सरकारें इनका कुनबा बढ़ाने की योजनाएं बना रहे हैं। वहीं, एक देश ऐसा भी है, जहां लगभग 50 हाथियों को मारने का फरमान जारी किया गया है। फरमान केवल इतना ही नहीं है। इन हाथियों को मारने के बाद, इन्हें काटा जाएगा और इनका मांस स्थानीय समुदायों के बीच वितरित किया जाएगा। वहीं, हाथियों के दांत सरकार को सौंप दिए जाएंगे। आइए, आपको बताते हैं कि क्या है इस फरमान की वजह ?

इस देश का नाम है जिंबाब्वे, जहां सेव वैली कंजर्वेंसी में 50 हाथियों को मारने का यह फैसला लिया गया है। दरअसल, इस फैसले के पीछे वजह है यहां हाथियों की बढ़ती संख्या। वन्यजीव अधिकारियों के मुताबिक, इस प्राइवेट रिजर्व में हाथियों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है, जिससे ईको सिस्टम पर दबाव बढ़ रहा है और मानव-वन्यजीव संघर्ष का खतरा पैदा हो रहा है।
जान दांव पर लगाकर बचाई जिंदगी
गांव के लोगों ने तुरंत वन विभाग को सूचना दी। समस्या यह थी कि गड्ढे के आसपास उस हाथी के परिवार के सदस्य भी खड़े थे, जो वहां से हटने को तैयार नहीं थे। ऐसे में खतरा था कि कहीं बेबी हाथी को बचाने की कोशिश करते हुए वे हमला ना कर दें। लेकिन, वन विभाग और गांव के लोगों ने तय किया कि भले ही कुछ भी हो जाए, हाथी के बच्चे को बचाया जाएगा। मौके पर एक बुलडोजर मंगवाया गया और गड्ढे के किनारे की जमीन को समतल करते हुए एक ऐसा रास्ता बनाया गया, जिससे बेबी हाथी आसानी से बाहर निकल सके।
50 घंटों का वो ऑपरेशन
बेबी हाथी को बचाने का यह ऑपरेशन, लगभग 50 घंटों तक चला और आखिरकार वन विभाग और गांववालों की कोशिश रंग ले आई। बेबी हाथी बाहर निकला तो एक और करिश्मा हुआ। दरअसल, बाहर निकलते वक्त बेबी हाथी ने अपनी सूंड से बुलडोजर को छुआ और उससे लिपटने की कोशिश की। ऐसा लग रहा था कि बेबी हाथी अपनी जान बचाने और उसके परिवार से उसे मिलाने के लिए बुलडोजर सहित पूरी टीम को धन्यवाद दे रहा है। उसे ऐसा करते हुए देखकर मौके पर मौजूद लोग भी भावुक हो गए।