उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ने को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पहली बार बयान दिया है. प्रियंका गांधी ने कहा कि मेरे कंधों पर पूरे यूपी में प्रचार की जिम्मेदारी है. एक नहीं 41 सीटों पर पार्टी को जिताने का जिम्मा है. एक स्थान पर रहकर ऐसा संभव नहीं था.
बता दें कि 28 मार्च को रायबरेली में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए प्रचार करने पहुंचीं प्रियंका गांधी से जब कार्यकर्ताओं ने चुनाव लड़ने की मांग की तो उन्होंने पलटकर कार्यकर्ताओं से ही पूछ लिया कि वाराणसी से चुनाव लड़ूं क्या? प्रियंका गांधी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच पूरी बातचीत अनौपचारिक तौर पर थी. प्रियंका के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा होने लगी थी कि प्रियंका वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं.
इस बात को और बल तब मिला था जब कांग्रेस प्रवक्ता और एमएलसी दीपक सिंह ने भी दावा किया था कि प्रियंका गांधी का वाराणसी से चुनाव लड़ना लगभग तय है. दीपक सिंह ने कहा था कि प्रियंका ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है. एक-दो दिन में बनारस से नामांकन करने के प्रक्रिया शुरू की जाएगी. लेकिन इन चर्चाओं के बीच प्रियंका लगातार कहती रहीं कि वह वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन बस पार्टी की हां का इंतजार है.
प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने को लेकर उनके पति रॉबर्ट वाड्रा ने भी कहा था कि प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्हें अब बस पार्टी की हां का इंतजार है. बता दें कि वाराणसी लोकसभा सीट देश की सबसे वीवीआईपी सीटों में से एक है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में इसी सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे और 2019 में एक बार फिर वह इस सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.
प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने की चर्चाओं पर विराम 25 अप्रैल को लगा जब कांग्रेस ने अजय राय को यहां से टिकट दिया. कांग्रेस ने इससे पहले 2014 में भी अजय राय को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वो अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे.
‘वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला खुद प्रियंका गांधी का’
कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने प्रियंका गांधी के वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ने की वजह साफ की थी. उन्होंने कहा कि वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला खुद प्रियंका गांधी का था. प्रियंका गांधी के चुनाव नहीं लड़ने के निर्णय के संबंध में जब पत्रकारों ने पूछा तो पित्रोदा ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष (राहुल गांधी) ने चुनाव लड़ने का अंतिम फैसला उनके (प्रियंका गांधी) के ऊपर छोड़ दिया था.
पित्रोदा ने बताया कि उन्होंने फैसला किया कि उनके पास कई तरह की जिम्मेदारियां हैं. एक सीट पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय उन्होंने अपने हाथ में जो जिम्मेदारियां ले रखी हैं, उस पर फोकस करेंगी. पित्रोदा ने कहा कि इसलिए अंतिम निर्णय प्रियंका का ही था और उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया.
प्रियंका को पूर्वांचल की जिम्मेदारी
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश खासतौर से पूर्वी यूपी में कांग्रेस का बेड़ा पार कराने के लिए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी को बड़ी जिम्मेदारी दी है. पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ के गढ़ कह जाने वाले पूर्वांचल की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी के हाथों में हैं. प्रियंका जिन 41 सीटों की बात कर रही हैं उनमें से 26 सीटें पूर्वांचल की हैं. पार्टी को उनसे उम्मीदें है. पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए प्रियंका यूपी में जमकर प्रचार कर रही हैं. उनकी मेहनत कितना रंग लाती है ये तो 23 मई को ही मालूम पड़ेगा जब चुनावी नतीजे आएंगे.