बाढ़ राहत के लिए योगी सरकार की ‘टीम-11’ सक्रिय


24 जिले अति संवेदनशील, मुख्य सचिव ने परखी तैयारी

12 जिलों में मंत्रियों को मिली जिम्मेदारी

ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में बाढ़ की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहत व बचाव कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए अपने मंत्रियों की एक विशेष ‘टीम-11’ का गठन किया है। यह टीम बाढ़ प्रभावित 12 जिलों में राहत कार्यों की निगरानी करेगी।मुख्यमंत्री ने सभी प्रभारी मंत्रियों को तत्काल अपने-अपने जिलों का दौरा कर राहत शिविरों का निरीक्षण करने और वहीं रात्रि प्रवास करने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि सभी मंत्री प्रभावित परिवारों से सीधे संवाद स्थापित कर जमीनी स्थिति की समीक्षा की जाए।

जिलों के डीएम, एसपी, सीएमओ सहित समस्त वरिष्ठ अधिकारी फील्ड में रहें और 24 घंटे निगरानी व्यवस्था सक्रिय रखें। मुख्यमंत्री ने तटबंधों की 24 घंटे निगरानी, जलभराव वाले गांवों से पानी की शीघ्र निकासी, राहत शिविरों में भोजन, दवा, शौचालय, साफ-सफाई और महिलाओं व बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि बाढ़ से किसी भी जिले में जनहानि न हो।

टीम-11 में प्रयागराज, मीरजापुर व बांदा के लिए नन्द गोपाल गुप्ता ””नन्दी””, जालौन के लिए स्वतंत्र देव सिंह व संजय गंगवार, ओरैया के लिए स्वतंत्र देव सिंह व प्रतिभा शुक्ला, हमीरपुर के लिए रामकेश निषाद, आगरा के लिए जयवीर सिंह, वाराणसी के लिए सुरेश खन्ना, कानपुर देहात के लिए संजय निषाद, बलिया के लिए दया शंकर मिश्रा ””दयालु””, इटावा के लिए धर्मवीर प्रजापति और फतेहपुर के लिए अजीत पाल को प्रभारी मंत्री बनाया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा राहत कार्यों में किसी भी स्तर पर लापरवाही या शिथिलता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राहत सामग्री और भोजन पैकेट की आपूर्ति समयबद्ध और गुणवत्तायुक्त होनी चाहिए। किसी भी स्थिति में खाद्यान्न की गुणवत्ता या मात्रा से समझौता न किया जाए।

बाढ़ के कारण फसल तथा कटाव से भूमि के नुकसान, गृहस्थी का सामान नष्ट होने आदि सभी मामलों में 24 घंटे के अंदर सहायता राशि प्रदान की जाए। यह सहायता स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहभागिता के माध्यम से ही वितरित की जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि किसानों की फसलों का त्वरित सर्वेक्षण कराया जाए। जलभराव वाले गांवों में पशुओं को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए और चारे व उपचार की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। सभी चिकित्सालयों में एंटी स्नेक वेनम व एंटी रेबीज इंजेक्शन की उपलब्धता रहे और त्वरित उपचार की सुविधा दी जाए।

आपदा प्रबंधन की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि राहत आयुक्त द्वारा जारी अर्ली वार्निंग अलर्ट को संबंधित जिलों की जनता तक तत्काल पहुंचाया जाए। सभी विभाग आपदा प्रबंधन के प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करें। शहरी क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका को देखते हुए नालों की सफाई और पंपिंग स्टेशनों को क्रियाशील रखा जाए।

वैकल्पिक विद्युत आपूर्ति के लिए जेनरेटर की व्यवस्था की जाए। किसी भी प्रकार की अफवाह या भ्रामक सूचना पर त्वरित सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। बाढ़ के बचाव व राहत के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य, नगर निकाय और ग्रामीण विकास से जुड़े अधिकारी आपसी समन्वय और संवाद से कार्य करें। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन और इंटीग्रेटेड कंट्रोल रूम के माध्यम से जनता से सतत संपर्क बना रहे।

मुख्य सचिव एसपी गोयल ने शनिवार को संभावित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्यों की वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की। बताया गया कि बाढ़ की दृष्टि से प्रदेश के 24 जिले अति संवेदनशील हैं। इनमें महराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोंडा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं।

संवेदनशील श्रेणी में सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलंदशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज हैं। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि संभावित बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के सभी डीएम संबंधित विभागों व केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर पूरी सतर्कता के साथ राहत और बचाव कार्य कराएं।

व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण भी करें, जिससे कहीं पर भी जन-धन का नुकसान न हो। अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त राहत सामग्री की उपलब्धता रहे। इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबंध होना चाहिए।

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी फ्लड यूनिट और आपदा प्रबंधन टीमें 24 घंटे सक्रिय रहें। बैठक में प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग, प्रमुख सचिव राजस्व पी. गुरुप्रसाद, राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी आदि उपस्थित थे।


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