संवाददाता, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कॉलेज को इंस्टीट्यूट बनाने की पहल शुरू हो गई है। उच्चाधिकारियों के साथ इस मामले पर चर्चा होने के बाद शासन को प्रबंधन ने सुझाव भी भेज दिया है। पूर्व प्राचार्य ने भी इस संबंध में शासन को अपना सुझाव दिया था।
प्राचार्य डा. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि अब कालेज का बहुत ज्यादा विस्तार हो गया है, इसलिए इसे एक इंस्टीट्यूट में तब्दील कर देने से व्यवस्था केंद्रीयकृत हो जाएगी और दूसरे कालेज का तेजी से विकास होगा, क्योंकि यह स्वायत्तशासी हो जाएगा।बीआरडी मेडिकल कालेज अभी अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ से संबद्ध है। इसलिए नामांकन से लेकर डिग्री देने तक की जिम्मेदारी यह विश्वविद्यालय ही निभाता है। यदि किसी छात्र को अपनी डिग्री या नामांकन में संशोधन की जरूरत पड़ती है तो उसे अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय ही जाना पड़ता है।
इंस्टीट्यट बन जाने से नामांकन से लेकर डिग्री देने तक की व्यवस्था कालेज की अपनी होगी। विश्वविद्यालय पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। चूंकि बीआरडी मेडिकल कालेज का अब इंस्टीट्यूट जैसा विस्तार हो चुका है। पहले केवल नेहरू अस्पताल था।
अब सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक, नर्सिंग कालेज, फार्मेसी कालेज, पांच सौ बेड बाल रोग चिकित्सा संस्थान का निर्माण हो चुका है। 32 बेड का आइसीयू व 100 बेड का लेवल टू का ट्रामा सेंटर बनने जा रहा है। फार्मेंसी कालेज व नर्सिंग कालेज के संचालन के लिए अलग-अलग प्राचार्य नियुक्त हैं। इंस्टीट्यूट बन जाने से प्राचार्य की जगह डायरेक्टर की नियुक्ति होगी और यह संस्थान स्वायत्तशासी हो जाएगा। विश्वविद्यालय के समबद्धता खत्म हो जाएगी, इसलिए तेजी से विकास होगा।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज को इंस्टीट्यूट का दर्जा मिले, इसे लिए कालेज की कमियां चिह्नित कर उन्हें दूर करने के प्रयास शुरू हो चुके हैं। कालेज को क्लीन एंड ग्रीन करने के लिए इंस्टीट्यूट आफ मदर एंड चाइल्ड हेल्थ इंडिया व नार्डिक सेंटर फार सस्टेनेबल हेल्थ केयर (एनसीएसएच) स्वीडन से सर्वे कराकर कमियां तलाश ली गई हैं। उन्हें दूर करने के प्रयास चल रहे हैं।