डीजी एम.के.बशाल ने सीटीआई पर छापेमारी पर कहा- पुराने इंचार्जों ने लूट लिया ?
होमगार्ड दिवस की तैयारी पर आये होमगार्डों की कामचलाऊ तैयारी से बेहद नाराज दिखें डीजी

विवेक श्रीवास्तव
लखनऊ। होमगार्ड विभाग के भ्रष्ट अफसरों की नींद उड़ी हुयी है। भ्रष्टाचार को ही अपना अधिकार समझने और इस विभाग को घर की खेती की तरह इस्तेमाल करने वाले अफसरों के गुलाबी चेहरों की रंगत उड़ी हुयी है। भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबकर ट्रेनिंग पर आने वाले जवानों का निवाला खाने वाले अफसरों की रंगत उड़ाने वाले कोई और नहीं बल्कि इस विभाग के तेज तर्रार डीजी, होमगार्ड एम.के.बशाल हैं। आज सुबह मुख्यालय के सीटीआई पर डीजी ने छापेमारी की। इस दौरान वहां पर होमगार्ड दिवस पर आये होमगार्डों के रख-रखाव की काम चलाऊ तैयारियों को देख गुस्से से भड़क उठे। पता चला कि डीजी ने सीटीआई के पुराने इंचार्ज विनय मिश्रा और विवेक सिंह आदि पर भयंकर नाराज हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि गुस्साये डीजी ने मौके पर कहा कि ‘सब लूट कर चले गये हैं’।

अपनी तेज तर्रार और अनुशासनिक कार्यशैली के लिये जाने जाने वाले डीजी, होमगार्ड एम. के. बशाल मुख्यालय और सीटीआई के लटकाऊ काम के कारण गुस्से में हैं। यह भी पता चला कि डी.जी. पुराने इंचार्जों विनय मिश्रा, विवेक सिंह आदि से भयंकर नाराज हैं, और कह रहे हैं कि सब लूट कर चले गये। डी.जी. साहब की कार्यशैली से हड़कंप मचा हुआ है, पुराने इंचार्ज जो लूट- लूट कर अपनी थैली भर चुके हैं, उनकी खैर नहीं है। विश्वस्त सूत्रों से पता चला कि आज सीटीआई पर डीजी ने फि र छापा मारा और मुख्यालय, सीटीआई के अधिकारियों, कर्मचारियों को बहुत डांटा।
फिलहाल आने वाला समय सीटीआई के लोगों के लिये बहुत महत्वपूर्ण और खतरनाक दिख रहा है, जो फेल हुआ, वह नपा। क्या वह डीजी की आशाओं पर खरे उतर पायेंगे या कमाने खाने में ही रह जायेंगे ? अब देखना है कि नये इंचार्ज अजय पाण्डेय क्या कर पायेंगे ?
सीटीआई को बपौती समझने वाले अफसरों ने एक जेई को कर दिया गस्टेड अफसरों सा कमरा
डीजी एम.के.बशाल के छापेमारी के दौरान सीटीआई पर अंदर घुसते ही सामने दो कक्ष बने हैं। एक में सीटीआई प्रभारी, डीआईजी ए.के.पाण्डेय हैं और उसी से सटे कक्ष में जूनियर इंजीनियर भौकाल काट रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि सीटीआई में जेई को कोई काम ही नहीं हैं,उसे तो मुख्यालय के अफसरों ने जबरियन यहां पर तैनात कर रखा है। और तो और उसे गस्टेड अफसरों का एक बड़ा से चैम्बर भी दे दिया गया है। ये सब मिर्जापुर के डिवीजनल कमांडेंट के इशारे पर डीआईजी विनय मिश्र ने किया गया है। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि जेई बिना काम किये सरकार से मोटी सैलरी ले रहा है और शायद इस बात की जानकारी अधिकारियों ने ईमानदार डीजी को नहीं दी है, क्योंकि जब डीजी छापेमारी पर पहुंचे थे तो जेई लापता हो गया था।