वाराणसी। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की मान्यता धनतेरस की है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी इस बार 29 अक्टूबर मंगलवार को मिल रही है। प्रदोष काल में त्रयोदशी मिलने से भौम प्रदोष का भी संयोग बन रहा है। तिथि विशेष पर श्री-समृद्धि कामना से मां लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा। आरोग्य आशीष कामना से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाई जाएगी तो भौम प्रदोष के मान के कारण भगवान शिव व हनुमत प्रभु की आराधना ऋणों से मुक्ति दिलाएगी।
घी का नौ बत्तियों वाला दीप जलाएं
अबकी धनतेरस पर्व श्री-समृद्धि, आरोग्य के साथ ऋणमोचन का भी योग लेकर आ रहा है। सनातन धर्म में प्रत्येक माह की दोनों त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत का विधान है। भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना के साथ ऋण मुक्ति कामना से हनुमान जी को घी का नौ बत्तियों वाला दीप जलाना चाहिए। पर्व विशेष अनुसार विधि-विधान से मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर व भगवान धन्वंतरि के साथ भगवान शिव व संकटमोचक हनुमानजी की भी उपासना करना चाहिए।
दो घंटा 24 मिनट की अवधि प्रदोष काल
सूर्यास्त के पश्चात दो घंटा 24 मिनट की अवधि प्रदोष काल कही जाती है। इस काल में ही लक्ष्मी, कुबेर, भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। उनके आगमन के लिए दीप जलाए जाते हैं। बहुत से श्रद्धालु पारंपरिक रूप से प्रदोष व्रत रखने के साथ भगवान शिव की पंचोपचार पूजा करते हैं। धनतेरस पर बने संयोग में शिव आराधना के साथ बजरंगबली की उपासना कर उन्हें नौ बत्तियों वाला घी का दीप जला कर ‘ऋणमोचन अंगारकस्तोत्रम्’ का पाठ करना चाहिए।
कुंडली में हो मंगल दोष तो जरूर करें भौम प्रदोष व्रत
यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष हो तो उसे भौम प्रदोष का व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे भगवान शिव व बजरंग बली की कृपा प्राप्त होती है और मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।