योगी के रत्न


 संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। प्रदेश की सत्तारूढ़ योगी सरकार ने बीती 25 मार्च को अपने दूसरे कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे कर लिये। प्रदेश में अब तक जितने भी मुख्यमंत्री हुये उनमें योगी आदित्यनाथ ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जो लगातार 8 वर्ष से इस पद पर आसीन हैं। मुख्यमंत्री के इतने लंबे कार्यकाल के पीछे उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति के अलावा उनकी कार्यशैली के पीछे उनके मातहत अधिकारियों की सकारात्मक सोच भी है। कहा गया है कि जन मानस की उम्मीदों को साकार करने वाली सरकार को लंबे समय तक चलाने में जितनी महति भूमिका मुख्यमंत्री की होती है, उससे कमतर नौकरशाहों की कार्यशैली को नही आंका जा सकता। शासन में बैठे नौकरशाह ही हैं,जो सकारात्मक सोच के साथ सरकारी योजनाओं को पूरा कराने में युद्ध स्तर पर जुटे रहते हैं। सीधी बात करें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद नौकरशाहों में चुनिंदा अफसर हैं, जिनके सख्त व सराहनीय तेवर से यूपी में अमन-चैन व सरकारी योजनाएं जन-जन तक पहुंच रही है। पेश है द संडे व्यूज़ की स्पेशल रिपोर्ट…

1- संजय प्रसाद- प्रमुख सचिव एसपी गोयल के मुख्यसचिव बनने के बाद अब मुख्यमंत्री सचिवालय में सबसे ताकतवर अधिकारी के रूप में संजय प्रसाद का नाम शामिल है। अभी तक वे गृह, सूचना सहित मुख्यमंत्री सचिवालय के प्रमुख सचिव का दायित्व संभाल रहे थे लेकिन एसपी गोयल के मुख्य सचिव बनने के बाद उनके मुख्यमंत्री सचिवालय के सारे दायित्व संजय प्रसाद के पास है। सूचना, गृह के बाद अब उनके पास राज्य सम्पत्ति जैसा महत्वपूर्ण विभाग भी है। अपनी कार्यशैली को लेकर संजय प्रसाद आम जनमानस के साथ ही जनप्रतिनिधियों के बीच खासे लोकप्रिय है। प्रमुख सचिव, गृह होने के नाते प्रदेश की कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त रखने में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। यूपी की योगी सरकार में इसे सबसे पॉवरफु ल आईएएस माना जा रहा है। संजय प्रसाद का नाम यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के सबसे खासम खास अधिकारियों में शुमार है। संजय प्रसाद 1995 बैच के आईएएस हैं। संजय प्रसाद मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले हैं। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सर्विसेज परीक्षा दी और उनका सेलेक्शन 1995 में आईएएस के लिये हो गया। संजय प्रसाद ने भूगोल से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। सेलेक्शन के बाद संजय प्रसाद की टे्रनिंग 5 सितंबर 1995 से 31 मई 1996 तक (एलबीएसएनएए)में हुई। इसके बाद सबसे पहले 13 जून 1996 को उनकी नियुक्ति आजमगढ़ में असिस्टेंट मजिस्ट्रेट एंड असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में हुई। इसके बाद वे अलग- अलग जगहों पर कार्यरत रहें। संजय प्रसाद और योगी आदित्यनाथ का परिचय गोरखपुर में तब हुआ था, जब योगी आदित्यनाथ सांसद हुआ करते थे। उस समय 22 अग्रैल 1999 को संजय प्रसाद गोरखपुर के मुख्य विकास अधिकारी बने थे। हालांकि वह यहां दो साल ही रहे और 4 मई 2001 को उनका तबादला लखनऊ के लिये हो गया था। इसके बाद 11 मई 2002 को उन्हें लखीमपुर खीरी का डीएम बनाया गया। इसके बाद वह महाराजगंज, बहराइच, अयोध्या, आगरा आदि जिलों के भी जिलाधिकारी रहे। आईएएस संजय प्रसाद को पहले सीएम का सचिव बनाया गया। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रधान सचिव बनाया गया। वह बाद में सचिव सूचना के पद पर भी रहे। वर्ष 2022 में संजय प्रसाद को गृह और सूचना विभाग दोनों का प्रमुख सचिव बनाया गया। तब से उन्हें भी ताकतवर अधिकारी माना जाने लगा। चुनाव आयोग के निर्देश पर उनसे यह विभाग ले लिया गया था। अब एक फिर योगी आदित्यनाथ ने आईएएस संजय प्रसाद को गृह विभाग का प्रमुख सचिव बनाया है। संजय प्रसाद ने अपने 29 साल के प्रशासनिक करियर में भाजपा के कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और राम प्रकाश गुप्ता, सपा के मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, बसपा की मायावती के कार्यकाल में भी काम किया है।

2- दीपक कुमार– मुख्य सचिव एसपी गोयल से लगभग सभी विभाग वापस ले लिये गये हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन विभागों की जिम्मेदारी सीनियर आईएएस अधिकारी दीपक कुमार को दी है। अब ऐसे में उनकी चर्चा प्रदेश भर में हो रही है। अब वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव,एसीएस दीपक कुमार, मुख्य सचिव से भी ज्यादा पावरफु ल अधिकारी बन गये हैं। बेदाग छवि के आईएएस दीपक कुमार को वर्तमान पदों के साथ कृषि उत्पादन आयुक्त एपीसी का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया है। दीपक कुमार से बेसिक व माध्यमिक शिक्षा हटा ली गई है। उनके पास अब अपर मुख्य सचिव, वित्त के साथ अध्यक्ष पिकप, मुख्य कार्यपालक अधिकारी यूपीडा, अपर मुख्य सचिव नागरिक उड्डयन एवं समन्वय विभाग और परियोजना निदेशक यूपीडास्प का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। दीपक कुमार पिछले लोकसभा चुनाव में गृह विभाग की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। बता दें कि बीती रात योगी सरकार ने 14 आईएएस और 6 पीसीएस अधिकारियों के तबादले कर दिये थे, जिसमें सबसे पहला नाम आईएएस दीपक कुमार का था। दरअसल, दीपक कुमार 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वो बिहार के पटना जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने इतिहास और अंतर्राष्ट्रीय विकास नीति सब्जेक्ट से एमए की पढ़ाई की है। बता दें कि आईएएस में सेलेक्शन होने के बाद दीपक कुमार ने मसूरी में ट्रेनिंग की। इसके बाद उन्हें साल 1991 में गोरखपुर में कार्यकारी मजिस्ट्रेट के पद पर पहली जिम्मेदारी मिली थी। 1993 में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बाराबंकी और ज्वाइंट मजिस्ट्रेट कर्वी बांदा की जिम्मेदारी संभाली थी। साल 1997 में मजिस्ट्रेट पौढ़ी गढ़वाल और 1998 में मजिस्ट्रेट फैजाबाद की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। दीपक कुमार जालौन, गौतमबुद्ध नगर में भी मजिस्ट्रेट का पद संभाल चुके हैं। सीनियर आईएएस दीपक कुमार अब तक कई बड़े पदों पर रहकर जिम्मेदारी निभा चुके हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान संजय प्रसाद की जगह दीपक कुमार को गृह सचिव की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।

3- राजीव कृष्णा- पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार के सेवानिवृत होने के बाद शुरू हुई पुलिस महानिदेशक की खोज में राजीव कृष्णा के मिलने के बाद पूरी हुई। प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार न मिलने के बाद चुस्त- दुरूस्त कानून व्यवस्था और आम आदमी के जान- माल की सुरक्षा की भावना का जागृत करने की दिशा में नये पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्णा की कार्यशैली ने जहां अपराधियों, माफि याओं में भय का माहौल पैदा किया है वहीं लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है। कानून- व्यवस्था के मामलें में आज योगी माडल पूरे देश के लिये रोल माडल बन चुका है। बता दें कि राजीव कृष्ण 1991 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। नोएडा के रहने वाले और एक इंजीनियरिंग स्नातक होने के साथ- साथ, वे डीजी विजिलेंस और पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्हें अपनी मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड, हाई टेक पुलिसिंग के प्रयासों, और प्रशासनिक क्षमता के लिये जाना जाता है। श्री कृष्णा को डीजी विजिलेंस और यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष के साथ- साथ डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। उन्होंने अपने तीन दशक से अधिक के पुलिस करियर में विभिन्न जिलों में कप्तान और एडीजी के तौर पर काम किया है। पुलिस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की घटना के बाद, उन्हें यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उन्होंने परीक्षा प्रक्रिया को सकुशल संपन्न कराया। इतना ही नहीं, उन्होंने ऑपरेशन पहचान ऐप लॉन्च किया और ई- मालखाना प्रणाली के माध्यम से केस फाईलों के डिजिटलीकरण जैसे कई हाई.टेक पुलिसिंग पहलों का नेतृत्व किया। राजीव कृष्ण ब्यूरोक्रेट्स के परिवार से आते हैं, क्योंकि उनकी पत्नी एक आईआरएस अधिकारी हैं और वे उत्तर प्रदेश में एक कर्मठ और साहसी अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं।

4- पार्थसारथी सेन शर्मा- प्रमुख सचिव किसी भी सरकार की लोकप्रियता का पैमाना कानून व्यवस्था के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी होती है। आम आदमी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं कैसे मिले ,इस दिशा में पार्थ सारथी जब प्रमुख सचिव,चिकित्सा थे तो उन्होंने प्रभावी ढंग से सभी काम को अंजाम दिया। गांव-गांव में सरकारी अस्पतालों से लेकर शहर के नामी हॉस्पिटलों का काया कल्प इनके कार्यकाल में बदल गया। मरीजों को सभी चिकित्सा सुविधाएं मिलती रही । पार्थसारथी सेन शर्मा की खासियत ये रही कि सरकार द्वारा जनता के लिये जो भी स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की गयी थी, उन्हे समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने की दिशा में खासे सक्रिय रहें। श्री शर्मा की सार्थक पहल का नतीजा है कि राजधानी लखनऊ से लेकर जिलों में आम जनता को सस्ता सुलभ इलाज मिल रहा था। श्री शर्मा की कुशल रणनीति को देखते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुये अब माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग का प्रमुख सचिव बना दिया है। सभी को उम्मीद है कि श्री शर्मा अब शिक्षा विभाग में भी सरकार की प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाकर ले जायेंगे और शिक्षकों की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे।

5- अमिताभ यश- एडीजी, कानून-व्यवस्था चुस्त- दुरूस्त कानून व्यवस्था से राज्य के कुशल शासन, प्रशासन का अंदाजा लगाया जा सकता है। आज यूपी की कानून व्यवस्था देश के दूसरे राज्यों के लिये रोल माडल बन रही है। जीरो टालरेंस के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप डीजीपी राजीव कृष्णा के अलावा अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अमिताभ यश सरकार की मंशा के अनुरूप अपराधियों, माफि याओं के खिलाफ जो अभियान चलाया उससे या तो खूंखार अपराधी, माफि या सरेंडर कर रहे हैं या दूसरे राज्यो की ओर रूख कर रहे है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्तारूढ़ होने के बाद कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त रखने के लिये जिन अधिकारियों को इसका जिम्मा सौंपा है उनमें अमिताभ यश का शुमार तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों में है।

6 – शिशिर सिंह- सचिव खादी ग्रामोद्योग सरकार की उपलब्धियों और भावी योजनाओं के व्यापाक प्रचार प्रसार में सूचना निदेशक शिशिर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे । मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ के भरोसे में ऊंगलियों पर गिने जाने वाले जिन अधिकारियों का नाम लिया जाता है, उनमें एक नाम शिशिर सिंह का भी है। लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड अगर योगी आदित्यनाथ के नाम दर्ज हो रहा है तो लंबे समय तक सूचना निदेशक पद पर रहने का रिकार्ड शिशिर के नाम रहा। वे जितने योगी सरकार के पसंसदीदा अधिकारी हैं, उतनी ही उनकी लोकप्रियता मीडियाकर्मियों के बीच भी रही। हाल ही में सूचना निदेशक पद से स्थानांतरित हुये शिशिर ने अपने साढ़े छह साल के कार्यकाल में सरकार की उपलब्धियों और भावी योजनाओं के व्यापाक प्रचार- प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्तमान में शिशिर सुक्ष्म लघु उद्योग,खादी ग्रामोद्योग में सचिव के पद पर आसीन हैं।

7- विशाल सिंह- सूचना निदेशक सरकार की नीतियों के व्यापाक प्रचार-प्रसार की दिशा में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग विभाग की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। तत्कालीन सूचना निदेशक शिशिर के जाने के बाद उनके स्थान पर आये विशाल सिंह भी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का प्रचार- प्रसार सक्रियता से कर रहे हैं। उनके कार्यभार संभालने के बाद से विभाग की कार्यशैली बेहतर से और बेहतर हुई है। मीडिया से समन्वय बनाकर जिस तरह वे कार्यकर रहे हैं, उसके लेकर उनके अधीनस्थ भी उनकी कार्यक्षमता और कार्यदक्षता का लोहा मान रहे है। विशाल सिंह की खासियत है कि वे पत्रकारों के हित के लिये किसी भी तरह का फैसला लेने से हिचकते नहीं हैं। यही वजह है कि वे पत्रकारों के बीच अपनी साफगोई,स्पष्ट वक्ता के तौर पर लोकप्रिय हो गये हैं।


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