होमगार्ड मंत्री,डीजी की ‘ईमानदारी’ को ‘साईड’ में रखकर विनय मिश्र ने ‘ट्रांसफर नीति’ की उड़ाई धज्जियां


मंत्री और डीजी को गुमराह कर एसओटूसीजी ने ट्रांसफर में किया बड़ा ‘खेला’…

मंत्री के छापे में सीटीआई से हटाये गये अधिकारियों का भी करा दिया तबादला

समूह ग,घ में नहीं निकाला ‘विकल्प’, ‘याचना’,’जनहित’ को आधार बनाकर ट्रांसफर में किया गया खेल

कई अधिकारियों का उसी जनपद के दूसरे ‘इकाई’ में ट्रांसफर किया गया

 संजय पुरबिया

लखनऊ। मुख्यमंत्री के ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चलने वाले होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति,ए.सी.एस. अनिल कुमार और डीजी बी. के . मौर्य ने ट्रांसफर पॉलिसी में जिस तरह से ‘ईमानदारी’ बरती,उसके ‘कायल’ सभी अफसर हैं। जनपदों में जिस कमांडेंट का ‘जुगाड़’ नहीं था, जो सीधे मंत्री या डीजी से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे, उनका भी तबादला कर दिया गया। लेकिन, मुख्यालय पर तैनात स्टॉफ आफिसर टू कमांडेेेंट जनरल विनय कुमार मिश्र ने मंत्री, ए.सी.एस. और डीजी के जीरो टॉलरेंस से ‘जीरो शब्द चुराकर ‘खूब माल’ कमाया। सीधी बात करें तो विनय मिश्र ने सीएम के जीरो टॉलरेेेंस की जमकर धज्जियां उड़ायी और इस बात की जानकारी डीजी को भी नहीं लग पायी। बता दें कि मंत्री एवं शासन द्वारा स्थानांतरण के संबंध में निर्देश दिये गये थे कि समूह ग एवं घ के अधिकारी व कर्मचारी जो एक जनपद, मंडल में 15 वर्ष या उससे अधिक समय से तैनात हैं,उनका स्थानांतरण किया जाये। नियमत: समूह ग एवं घ के कर्मचारियों से स्थानांतरण के लिये तीन विकल्प मांगा जाता है लेकिन श्री मिश्र द्वारा कोई विकल्प नहीं मांगा गया। जिसकी वजह से प्रदेश भर के कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनी रही। उन्होंने अपने दलालों से अफवाह भी फै ला दी कि मंत्री व शासन द्वारा निर्देशित किया गया है कि जो अधिक समय से जनपद, मंडल में तैनात हैं, उनका स्थानांतरण किया जाये। अफवाह फै लाने के बाद श्री मिश्र ने स्थानांतरण रुकवाने एवं स्थानांतरण कराने का ‘खेल’ शुरु कर दिया। उन्होंने अधिसंख्य आवेदनों में ‘याचना’ और ‘जनहित’ दिखाकर बड़े पैमाने पर ट्रांसफर कर रकम वसूलाजो कर्मचारी लंबे समय से एक ही जनपद में तैनात हैं,उन्हें उसी जनपद में यथावत रखा गया, जिसकी सेवा एक वर्ष या उससे अधिक समय तक थी, उसका भी ट्रांसफर कर दिया गया। इसके अलावा जिन कर्मचारियों का वर्ष 2023 में ट्रांसफर हुआ था उन्हें एक वर्ष के बाद ही मनचाही रकम लेकर पुन: तैनात कर दिया गया, तो कई ऐसे कर्मचारी हैं जो लंबे समस से जिस जनपद में तैनात हैं, उनका स्थानांतरण उसी जनपद की ‘दूसरी इकाई’ में कर दिया गया। श्री मिश्र के हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी कि मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने जनवरी 2024 को मुख्यालय के सीटीआई में छापामारी के दौरान आश्रित कैंप में जवानों को घटिया खाना खिलाकर पैसा हड़पने वाले जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों का तबादला किया था,उनका भी ट्रांसफर कर दिया।

द संडे व्यूज़’ के पास दस्तावेज हैै जो साबित करता है कि मुख्यमंत्री, होमगार्ड मंत्री की ‘ईमानदार सोच’ को दरकिनार कर मुख्यालय स्तर के सिर्फ एक अधिकारी विनय कुमार मिश्र द्वारा भ्रष्टाचार किया गया। सवाल यह है कि क्या खबर सच साबित होने पर इनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत कोई जुटा पायेगा? सवाल यह भी है कि जब श्री मिश्र पूर्व की सरकारों में भी भ्रष्टाचार के मामले में घेरे में आ चुके हैं तो क्या इन्हें मुख्यालय पर इस पद पर रखना उचित है? द संडे व्यू$ज सिलसिलेवार भ्रष्टाचार का खुलासा करता रहेगा,फिलवक्त ‘ट्रांसफर पॉलिसी’ में विनय कुमार मिश्र द्वारा बड़े पैमाने पर बरती गयी धांधली पर बात करता हूं…

ट्रांसफर पालिसी में खेल की शुरुआत तब हुयी जब मुख्यालय पर तैनात विवेक सिंह-आईजी,होमगार्ड,जिनके पास डीआईजी का भी अतिरिक्त प्रभार है, 25 जून से तीन जुलाई तक अवकाश पर गये। डीआईजी का अतिरिक्त प्रभार स्टाफ आफिसर टू कमांडेंट जनरल विनय कुमार मिश्र को मिल गया। फिर क्या था, मिश्रा जी ट्रांसफर पॉलिसी में जमकर बैटिंग की। श्री लाल साहब,वैतनिक निरीक्षक कानपुर में 10 वर्ष से तैनात है,इसका तबादला मंडलीय प्रशिक्षण केन्द्र,कानपुर में कर दिया गया,प्रभात कुमार मंडलीय प्रशिक्षण केन्द्र कानपुर में वर्ष 2008 से तैनात हैं,इनका तबादला जिला कमांडेेंट होमगार्ड कानपुर नगर कर दिया गया है। दोनों का तबादला नियम विरुद्ध है और कहने को हो गया कि हमने दोनों का ट्रंासफर कर दिया है…। अशोक चौधरी,प्लाटून कमांडर, जिसके भ्रष्टïाचार की शिकायतें मुख्यालय पर प्रत्येक कार्य दिवस पर होती रहती है और जांच में दोषी भी पाया जाता है,उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। गत वर्ष मेरठ से बदायूं ट्रांसफर किया गया था लेकिन इससे मोटी रकम लेकर उसका ट्रांसफर पुन: हापुड कर दिया गया। इसी तरह, मेरठ में तैनात अशोक कुमार यादव- बीओ जिसका वर्ष 2023 में मेरठ से मुरादाबाद ट्रांसफर किया गया था,इस सत्र में मुजफ्फरनगर ट्रांसफर कर दिया गया। इसी तरह, सौरभ तेवतिया- बीओ जो हवलदार प्रशिक्षक के पद से प्रोन्नत हो कर वर्ष 2023 में जनपद हापुड में तैनात किया गया परन्तु 1 वर्ष में जनपद हापुड़ से जनपद मेरठ में तैनात कर दिया गया। सुश्री मोनिका मिश्रा- हवलदार प्रशिक्षक को वर्ष 2023 में मंडलीय प्रशिक्षण केन्द्र, लखनऊ स्थानांतरित किया गया था, जिसे जनपद गाजियाबाद में स्थानांतरित कर दिया गया। अब बात लखनऊ मंडल की करते हैं…। लखनऊ में हुये भष्ट्राचार के मामले में  वर्ष 2019 में लिपिक उत्कर्ष तिवारी को लखनऊ से श्रावस्ती भेजा गया था, उसका भी ट्रांसफर सीतापुर कर दिया गया है। है। इसी तरह, अलीगढ में हुये भष्ट्राचार, जिसमें राजकुमार एवं धमेन्द्र विश्वकर्मा को निलंबित किया गया था। लिपिक देवकी नन्द को मथुरा स्थानान्तरित किया गया था, उसे विगत वर्ष कासगंज में ट्रांसफर किया गया और इस वर्ष पुन: जनपद अलीगढ़ में तैनात कर दिया गया। सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि जनवरी 2024 में मंत्री धर्मवीर प्रजापति द्वारा आश्रित के कैम्प संचालन में मेस के खाने में हुयी शिकायत पर स्वयं मंत्री द्वारा छापा मारा गया था। जिससे दोषी पाये गये अधिकारियों एवं कर्मचारियों का ट्रांसफर कर दिया गया। विनय मिश्र ने सभी का स्थानान्तरण पुन: निम्नानुसार कर दिया गया है। सुरेश सविता- बी.ओ. का ट्रांसफर जनवरी 2024 में जनपद चित्रकूट किया गया था, जिसे श्री मिश्र द्वारा जून 2024 में जनपद अमेठी में कर दिया गया। इसी तरह,राजेश कुमार त्रिपाठी- बी.ओ. का ट्रांसफर जनवरी 2024 में बहराइच किया गया था, जिसे श्री मिश्र द्वारा जून 2024 में प्रतापगढ़ स्थानान्तरित कर दिया गया।

मुख्यालय पर तैनात भरोसेमंद अफसरों ने बताया कि विनय कुमार मिश्र, जो वर्तमान में होमगार्ड मुख्यालय पर एसओटू सीजी के पद पर तैनात हैं। उनके द्वारा राजपत्रित पटल का कार्य देखा जाता है। उनके द्वारा राजपत्रित अधिकारियों से जो मंडलीय कमांडेंट लखनऊ, कानपुर, अयोध्या मंडलों में तैनात हैं और उनका कार्यकाल मंडल में 7 वर्ष से अधिक का हो चुका है और जनपद में 2 वर्ष से अधिक समय से तैनात हैं,उनको फर्जी धौंस देते हैं कि तुम्हारा स्थानांतरण मंडल से बाहर किया जा रहा है यदि रूकवाना है तो सेवा भाव करना होगा, जो ऊपर तक पहुंचाना है। इस झांसे में आने वाले अधिकारियों से भी रकम वसूल की गयी है। श्री मिश्र द्वारा मुख्यमंत्री एवं शासन द्वारा पारित स्थानान्तरण नीति के नियमों को ताक पर रखकर तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के अधिकारियों, कर्मचारियों से स्थानांतरण विकल्प तक नही मांगा गया।

अगले अंक में…मुख्यालय पर कौन है एसओटूसीजी का ब्रोकर !


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *