छात्र आंदोलन से उपराष्ट्रपति तक का सफर, संगठन में अहम भूमिका
विनम्र और सुलभ नेता की छवि
नई दिल्ली। संघ से सक्रिय राजनीति में आए सीपी राधाकृष्णन ने भाजपा में संगठन में लंबे समय तक काम किया। 2004 से 2007 तक वह तमिलनाडु प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। इस दौरान 2007 में उन्होंने 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर लंबी रथ यात्रा की। इसका मकसद देश की नदियों को जोड़ना, आतंकवाद का उन्मूलन, समान नागरिक संहिता लागू करना, अस्पृश्यता निवारण और मादक पदार्थों के खतरों से निपटना था। 2020 से 2022 तक वह केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे। उन्हें संगठन और प्रशासन दोनों क्षेत्रों में मजबूत पकड़ वाला नेता माना जाता है। विनम्र और सुलभ नेता की छवि रखने वाले राधाकृष्णन को उनके समर्थक तमिलनाडु का मोदी कहकर पुकारते हैं।

ओबीसी समुदाय कोंगु वेल्लार (गाउंडर) से आने वाले राधाकृष्णन की शादी सुमति से हुई है और उनके एक बेटा व एक बेटी हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के प्रत्याशी चुने जाने से पहले तक वह महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। वह पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने थे। इससे पहले, फरवरी 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। झारखंड के राज्यपाल रहते उन्होंने तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उप राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार संभाला। राधाकृष्णन ने दक्षिण भारत में भाजपा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सार्वजनिक जीवन में उनका प्रवेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में हुआ था। वह 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। 1996 में उन्हें तमिलनाडु में भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद वह कोयंबटूर से 1998 और 1999 में दो बार लोकसभा के लिए चुने गए। हालांकि, 2004, 2014 और 2019 में लगातार तीन बार कोयंबटूर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। सांसद रहते हुए वह संसदीय स्थायी समिति (कपड़ा मंत्रालय) के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा, वह स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष संसदीय समिति के सदस्य थे।

जिस उम्मीद से रखा था मां ने नाम, बेटे ने उसे किया साकार
नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन यानी सीपी राधाकृष्णन का नाम सुनकर देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद आ जाती है। तमिलनाडु के तिरुप्पुर में सीके पोन्नुसामी और जानकी अम्माल के घर जब 20 अक्तूबर, 1957 को बच्चे का जन्म हुआ तो उन्होंने बेटे के नाम के साथ राधाकृष्णन जोड़ा, ताकि उनका बेटा भी डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तरह बने। माता-पिता ने जिस उम्मीद के साथ बेटे का नाम रखा था, बेटे ने उसे साकार कर दिया है। राधाकृष्णन जब उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के प्रत्याशी चुने गए थे, तब उनकी मां ने ही उनके नाम के पीछे की कहानी बताई थी। संयोग है कि दोनों ही राधाकृष्णन तमिलनाडु के हैं
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया
- 2004 में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में राधाकृष्णन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था।
- वह ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे।
- 2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, जहां उन्होंने चार साल तक काम किया। उनके नेतृत्व में भारत से नारियल रेशे के निर्यात रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई थी।
उच्च शिक्षा और खेलों के शौकीन
- राधाकृष्ण ने 1978 में तूतीकोरिन के वीओसी कॉलेज (मदुरै यूनिवर्सिटी) से बीबीए की डिग्री ली।
- राजनीति विज्ञान में उच्च शिक्षा हासिल की और सामंतवाद का पतन विषय पर पीएचडी की।
- कॉलेज में वह टेबल टेनिस के चैंपियन थे और लंबी दूरी की दौड़ में भी हिस्सा लेते थे। उन्हें क्रिकेट और वॉलीबॉल खेलना भी बहुत पसंद था।