आखिर क्या बात हुयी कि रिटायरमेंट से दो माह पूर्व ही डीजी ने विनय मिश्रा से ‘सीटीआई’ का चार्ज ‘छिना’ ?


डीजी के स्टॉफ अफसर,डीआईजी,पुलिस और सीटीआई के डीआईजी पदों पर काबिज विनय मिश्रा का कद डीजी ने घटाया

सीटीआई का चार्ज मिला अजय पाण्डेय को

विनय मिश्रा से चार्ज लेने के बजाये पाण्डेय जी ने संतोष सुचारी से लिया चार्ज

विनय मिश्रा से चार्ज ना लेने पर उठ रहा सवाल,क्या अजय पाण्डेय डीजी की उम्मीदों पर खरा उतर पायेंगे ?

पूरे विभाग में यह चर्चा का बिंदु बना हुआ है कि विनय मिश्रा से चार्ज क्यों हटा ?

  विवेक श्रीवास्तव

लखनऊएक अफसर पिछले डेढ़ दशक से होमगार्ड मुख्यालय पर डीजी के ‘स्टॉफ अफसर’, ‘डीआईजी,पुलिस’ और सीटीआई के ‘डीआईजी’ के पद पर कुंड़ली मारकर बैठा था। दोनों हाथ में मलाई से भरा कटोरा था और ‘दे धका-धक’, ‘दे धका-धक’ बटोरने की ‘बैटिंग’ कर रहे थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि रिटायरमेंट के दो माह पूर्व ‘मिश्रा जी’ से सीटीआई का चार्ज डीजी ने छिनकर अजय पाण्डेय को दे दिया ? सबसे बड़ी बात तो ये है कि अजय पाण्डेय को कायदे से विनय मिश्रा से चार्ज लेना चाहिये, लेकिन उन्होंने उनसे चार्ज ना लेकर आईजी, होमगार्ड संतोष सुचारी से प्रति हस्ताक्षर लिया। अजय पाण्डेय ने विनय मिश्र से चार्ज क्यों नहीं लिया,ये चर्चा का विषय बना हुआ है। ‘द संडे व्यूज’ इस पर अपनी पैनी और खुफि या नजर बनाए रखेगा और समय समय पर प्रिय पाठकों को जानकारी परोसता रहेगा।

फिलहाल अब प्रश्न यह है कि क्या अजय पाण्डेय डी.जी.एम.के.बशाल की अपेक्षा पर खरे उतर पाएंगे ? क्या अजय पाण्डेय, मुख्यालय पर बैठे धंधेबाज डीआईजी से सामंजस्य बना पाएंगे ? क्या अजय पाण्डेय, केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान की गरिमा को प्रदेश स्तरीय संस्थान के रूप में स्थापित कर पाएंगे ? क्या अजय पाण्डेय, केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान के कर्मचारियों पर अनुशासन और अंकुश बना पाएंगे ? क्योंकि पूरा विभाग जानता है कि केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान पर मुख्यालय के विभागीय अधिकारियों ने अपने चहेतों को चुन- चुन कर बैठाया है।

डीआईजी मुख्यालय, डीआईजी पुलिस, डीआईजी केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान और स्टॉफ ऑफिसर टू कमांडेंट जनरल का काम देख रहे विनय मिश्रा क्यों इतने कमजोर हो गये ? ‘द संडे व्यूज’ ने अपने स्रोतों से छानबीन करने का प्रयास किया है और पाया है कि केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान के डीआईजी बने बैठे विनय मिश्रा साहब कभी सीटीआई नहीं जाते थे। उनका एक सूत्रीय काम केवल और केवल चारों तरफ से ‘बटोरना’ था।

‘द संडे व्यूज’ यह भी नहीं दावा करता है कि अजय पाण्डेय दूध के धुले हैं। अजय पाण्डेय के खिलाफ भी बहुत से आरोप लगते रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने द संडे व्यूज को पूछताछ में साफ – साफ बताया है कि चाहे कुछ भी हो जाए, अजय पाण्डेय काम और अनुशासन से समझौता नहीं करते है।


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