एलडीए उपाध्यक्ष को धृतराष्ट समझकर अफसरों ने गोमतीनगर में ही आवासीय भूखण्ड को बनवा दिया व्यावासायिक
इस फ्राड में शामिल हैं मानचित्र अनुभाग, संपत्ति विभाग के अवर अभियंता,सहायक अभियंता,अधिशाषी अभियंता और जोनल अधिकारी
सवाल: जब हो रहे थे अवैध निर्माण तब क्षेत्रीय अवर अभियंता क्यों खामोश थे ?
सवाल:संपत्ति विभाग के अधिकारियों ने आवंटन रद्द करने की कार्रवाई क्यों नहीं की ?
सवाल: मानचित्र अनुभाग के अवर अभियंता ने नक्शा निरस्त क्यों नहीं किया ?
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। योगी राज में उत्तर प्रदेश की राजधानी की जान कही जाने वाली गोमतीनगर विस्तार के सेक्टर 5 में सभी अफसरों ने मिलकर करोड़ों रुपये का घोटाला कर दिया। ऐसा लगता है मानों एलडीए वीसी अफसरों की नजरों में धृतराष्टï की तरह हैं,तभी तो उनके कार्यालय से चंद कदम की दूरी पर गोमती नगर विस्तार में फ्राड का गेम खेला गया। बताया जाता है कि सेक्टर 5 में लगभग एक किलो मीटर तक आवासीय भूखण्ड को कामर्शियल में तब्दील कर एक नहीं कई सौ करोड़ रुपये मानचित्र अनुभाग और संपत्ति विभाग के अधिकारी खा गये। सदर तहसील से लेकर शहीद पथ से लगे हुये सर्विस रोड पर किलो मीटर तक मुंह बाये जितनी बहुमंजिला कॉम्प्लेक्स,होटल व दर्जनों की संख्या में दुकानें हैं,सब नियमों के विपरित बनाये गये हैं। इससे साबित होता है कि एलडीए के अफसरों के मन में रत्ती भर सरकार या अपने वीसी डर है। द संडे व्यू$ज का सवाल है जब अवैध निर्माण हो रहे थे तब क्षेत्रीय अवर अभियंता खामोश क्यों थे? संपत्ति विभाग के अधिकारियों ने आवंटन रद्द करने की कार्रवाई क्यों नहीं की? मानचित्र अनुभाग के अफसरों ने जारी नक् शा निरस्त क्यों नहीं की? सवाल तो बहुतेरे हैं और इसका सही जवाब तो एलडीए के उपाध्यक्ष ही संपत्ति विभाग और मानचित्र विभाग के अवर अभियंता,सहायक अभियंता,अधिशाषी अभियंता और जोनल अधिकारी से मांग सकते हैं। हम तो यही बोलेंगे कि योगी राज में भी एलडीए में मची है बंपर लूट…
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बता दें कि गोमतीनगर विस्तार के सेक्टर 5 में सदर तहसील से लेकर शहीद पथ पर लगे हुये सर्विस रोड पर किलो मीटर तक आपको कॉम्प्लेक्स,होटल सहित प्लंबर की दुकानें दिख जायेंगी। आप सोच रहे होंगे कि ये जगह एलडीए से कामर्शियल एलॉट हुयी होगी लेकिन ऐसा नहीं है। सेक्टर 5 में आवंटियों को आवासीय भू-खण्ड आवंटित किया गया था लेकिन एलडीए के भ्रष्टï अफसरों से सांठ-गांठ कर आवंंटियों ने यहां पर काम्प्लेक्स,होटल खोलकर व्यावासायिक गतिविधियां चला रहे हैं।
चौंकाने वाली बात तो ये है कि भू-खण्डों का नक्शा पास पास होने के बाद भी बिना स्वीकृति लिये नियम विरुद्ध निर्माण कराये गये हैं। इस सेक्टर को बनाने में एलडीए के क्षेत्रीय अवर अभियंता,सहायक अभियंता, जोनल अधिकारी, न्यायालय विहित प्राधिकारी कार्यरत थे तो फिर आवंटन नियमावली के विपरित आवासीय भू-खण्डों में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कैसे होने लगा ?
इसी तरह, आवंटन के संपत्ति अधिकारी द्वारा आवंटन नियमों का उल्लंघन आवंटियों द्वारा किये जाने पर संपत्ति से संबंधित संपत्ति अधिकारियों द्वारा अभी तक आवंटन रद्द करने की कार्यवाही क्यों नहीं की गयी? इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारियों की संलिप्तता है। ठीक इसी तरह,मानचित्र अनुभाग के अवर अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशाषी अभियंता द्वारा आवंटन नियमो के विपरित आवासीय से व्यावसायिक किये गये निर्माण का मानचित्र निरस्त करने की कार्यवाही क्यों नहीं की गयी ?
सीधी बात करें तो सेक्टर 5 के आवंटन से लेकर निर्माण तक की कार्यवाही में उक्त सभी अधिकारी पूरी तरह से शामिल हैं और फिलवक्त तक के अवैध निर्माण में ये लोग करोड़पति तो बन ही गये होंगे। देखने की बात होगी कि उपाध्यक्ष,एलडीए की जानकारी में आने के बाद महाभ्रष्टï अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी या फिर…।