होमगार्ड विभाग में मुख्यालय पर एसएसओ,जेएसओ,डीआईजी की कुर्सी पाने के लिये बिछ गयी शतरंज की चाल
लखनऊ कमांडेंट,मंडल सहित वाराणसी,इलाहाबाद,गाजियाबाद,कानपुर,नोयडा,मेरठ की कुर्सी पाने में लगे कई साहेब
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। मार्च खत्म होने की कगार पर और अप्रैल की तपीश शुरू होने जा रही है। ट्रांसफर का सीजन भी रफ्तार पकडऩे लगा है। सभी विभागों में नौकरशाहों से लेकर माननीयों को साधने और सिस्टम का चढ़ावा देने की रफ्तार भी फुट स्पीड में चल रही है। मनचाही और कमाऊ जनपदों का बॉस बनने के लिये दान-दक्षिणा का तौल भी शुरु हो गया है लेकिन सब कुछ बेहद सधे अंदाज में और सावधानीपूर्वक हो रही है। कोड वर्ड में बातें हो रही है लेकिन मोबाइल पर सीधे नहीं बल्कि व्हॅाटसअप पर…। एक बात तो है कि अवैध कमाई का रिकार्ड तोडऩे का दम भरने वाले और साहेब कहलवाने का दम भरने वालों में इस बात का खौफ तो दिख रहा है कि कहीं उनके दिल की मलाईदार बातें सीएम कार्यालय तक ना पहुंच जाये…। सीधी बात करें तो तबादला का मौसम शुरु और रेट तय करने का समय है और साहेब लोग दक्षिणा तो लेंगे ही, बिना इसके काम होने का सवाल ही नहीं उठता लेकिन इनका एक तुर्रा है कि जो भी लेंगे सब ऊपर जायेगा ? अब ऊपर कौन लेगा, ये रहस्य बना हुआ है…। इसी के आड़ में बड़े बनने वाले साहेब अपना भी हित साधने की पूरी जुगत लगा रहे हैं। हम सीर्फ देा विभाग की ही बात करेंगे। सभी विभागों में मलाईदार कुर्सी पाने के लिये ऊपर वालों को खुश करने की रफ्तार तेज हो गयी है। सहकारिता विभाग और होमगार्ड विभाग,ये ऐसे विभाग हैं जहां कुुछ अफसरों को छोड़ दे तो सब तबादले के मौसम में गुलाबी कंबल ओढऩे के लिये बेचैन हैं।

होमगार्ड विभाग की बात करें तो यहां की बात ही निराली है। मुख्यालय से बात शुरु करते हैं…। होमगार्ड मुख्यालय पर डीजी बी. के. मौर्या हैं,जिन्हें सख्त्त अनुशासन और ईमानदारी के लिये जाना जाता है। इनका खौफ विभाग में दिखता है और इसी वजह से इस बार साहेब लोग सावधान होकर ट्रांसफर का बैटिंग कर रहे हैं। जून में विभागीय आईजी विवेक सिहं रिटायर हो रहे है। विवेक सिंह के पास आईजी के अलावा डीआईजी मुख्यालय का अतिरिक्त चार्ज है। इनकी जगह पर प्रयागराज के डीआईजी संतोष सुचारी कार्यभार ग्रहण करेंगे। डीआईजी,मुख्यालय का चार्ज किसके पास होगा,इस पर संशय बना हुआ है लेकिन इस कुर्सी पर भी गिद्ध की नजर रखने वाले अधिकारियेां की नजरें गड़ी है। इसके अलावा मुख्यालय पर सीनियर स्टॉफ अफसर, जूनियर स्टॉफ अफसर की कुर्सी पर कई अधिकारियों की नजरें कायदे से गड़ी है। मुख्यालय पर बैठने का ठसक ही कुछ और होता है, और तो और भौकाल भी देखते बनता है। यहां बैठने वाले कई साहेब तो घनघोर तरीके से चौडिय़ा कर चलते हैं, जबकि तोंद अपनी बेबसी जाहिर कर वर्दी को बता ही देता है कि हद में रहिये…वर्दी की क्रीच खराब हो रही है…। यहां पर आने की जुगत में साहेब लोग अपना जिला छोड़ सचिवालय से लेकर मुख्यालय में जाकर जबरियन सलामी ठोंक रहे हैं।
यही हाल लखनऊ के मंडलीय कमांडेंट और जिला कमांडेंट की कुर्सी का भी है। लखनऊ कमांडेंट बनने पर अधिकारी सीधे शासन से लेकर विभागीय मंत्री और मुख्यालय से जुड़ जाता है। जलवा की तो बात ही क्या…। थोड़ा पीछे चलें तो हाल ही में कुछ घाघ अधिकारियों ने एक होमगार्ड को मोहरा बनाकर लखनऊ कमंाडेंट और सीनियर स्टॅाफ अफसर के खिलाफ आपराधिक मामले में फंसे एक होमगार्ड से जमकर खबरें चलवायी। मकसद इतना था कि दोनों अधिकारियों की साख खराब हो और उनका यहां आने का रास्ता साफ हो जाये। हालांकि वे अधिकारी ये नहीं जानते कि उनके द्वारा पूर्व में किये गये अवैध वसूली सहित अन्य कार्यों की गंध अभी तक विभाग में महक रही है। कुछ इसी तरह से शतरंज की चाल मथुरा, गाजियाबाद, मेेरठ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, नोयडा जिलों में बिछायी जा रही है। अधिकारियों की बात को सच मानें तो ये वे जिले हैं जहां पर तैनाती पाने के बाद साहेब लोगों को लगता है कि आगे चलकर वे कुछ करे या ना करें उनके सात पुश्तों को देशी घी में डूबी रोटी खाने का इंतजाम हो जायेगा। यही वजह है कि साहेब लोगों का छोटे जिलों में मन नहीं लग रहा है। सभी साहेब शासन से लेकर मुख्यालय पर दमदार अफसरों के प्रति मन में दुश्मनी का भाव रखने के बाद भी व्हाटसअप पर बुलंद आवाज में जै हिन्द सर... ठोंक रहे हैं।
आखिर में यही कहूंगा कि ट्रांसफर को रेट तो चलता ही है लेकिन होमगार्ड विभाग में यदि मुख्यालय की बात करें तो यहां पर डीजी बी के मौर्या बैठे हैं, किसी की हिम्मत नहीं कि शासन में बैठे अफसर भी इनसे लेन-देन की बात करने की हिमाकत कर सके…। तो फिर ऊपर वाला कौन है,जिसकी झोली में दान-दक्षिणा डाला जायेगा ?