डीजी एम.के.बशाल को गुमराह करने का खेल शुरु: क्या सिर्फ डीटीसी के मंडलीय कमांडेंट गायब रहते हैं ?
क्या नये डीजी एम.के.बशाल मुख्यालय के अफसरों के चक्रव्यूह में फंस रहे हैं ?
द संडे व्यूज़ का सवाल
1– क्यों हो रही हैडीटीसी के मंडलीय कमांडेंंट के तैनाती स्थल पर मौजूदगी की जांच?
2- जिलों में तैनात मंडलीय कमांडेेंट,कमांडेेेंट कितने दिन तक कर रहे हैं नौकरी,इस पर होगी जांच?
3 –दर्जनों मंडल और कमांडेंंट जिला छोड़ रह रहे हैं लखनऊ में, सिर्फ चढ़ावा लेने जाते हैं…

संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। यूपी के होमगार्ड विभाग में बहुत दिनों की खामोशी के बाद फिर से बवाल शुरु होने वाला है। नये डीजी एम.के.बशाल सख्त हैं और अफसरों को हिदायत दे रखा कि जब मैं बुलाऊंगा तभी कोई आयेगा…। एक लाईन की बात से ही मुख्यालय पर तैनात अफसरों के होश फाख्ता हो गये लेकिन…यहां के कुछ अफसरों को विभाग की शांति रास नहीं आ रही, तभी तो 9 अक्टूबर को आईजी,संतोष कुमसा द्वारा जारी एक पत्र ने माहौल गरमा दिया है। देखा जाये तो पत्र में सिर्फ सूबे के 12 डीटीसी पर तैनात मंडलीय कमांडेंट से ही उनके तैनाती स्थल पर लिये गये सरकारी आवास या प्राइवेट आवास का पूरा पता तीन दिनों के अंदर मुख्यालय को प्रेषित करने का निर्देश दिया गया है। आखिर इस पत्र को जारी करने के पीछे अफसरों की मंशा क्या है ? यदि जांचना है कि डीटीसी के मंडलीय कमांडेंट जिले में रहते हैं या गायब रहते हैं, तो अच्छी बात है लेकिन…। इस पर भी पत्र जारी होना चाहिये कि जिलों में तैनात मंडलीय कमांडेंट और जिला कमांडेंट अपने-अपने जिलों में तैनात हैं या नहीं? पत्र में आधी-अधूरी बात पर डीटीसी पर तैनात मंडलीय कमांडेंट गुस्से में हैं।

सभी का कहना है कि मुख्यालय के अफसर तेज तर्रार डीजी को गुमराह करने का खेल शुरु कर दिया है। कोई कहता है कि सभी डीजीसी से मुख्यालय के अफसरों को ‘माल’ नहीं मिल रहा, इसलिये पत्र बम दाग कर दीपावली मनाने का घटिया कुचक्र रच रहे हैं। बात जो भी हो, लगता है दीपावली तक होमगार्ड मुख्यालय के अफसरों के खिलाफ बड़का वाला बम दगेगा। एक बात बताऊं गुरु,जिस तरह एक तरफा मोहब्बत सफल होता,आखिर में हंगामा खड़ा करता है,ठीक उसी तरह एक तरफा लेटर बम भी सुलग गयी है…।
मुख्यालय पर तैनात आईजी,होमगार्ड संतोष कुमार ने पत्र जारी किया जिसमें सभी मंडलीय कमांडेंट,मंडलीय प्रशिक्षण केन्द्र को निर्देशित किया गया है कि तीनों के अंदर अपनी इकाई में आपलोगों ने जो सरकारी आवास या प्राइवेट आवास ले रखा है,पूरा पता के साथ भेजने का कष्टï करें। सवाल उठता है कि क्या विभाग में केवल डीटीसी के मंडलीय कमांडेंट ही अपने तैनाती स्थल पर नहीं रहते हैं ? आजमगढ़, अयोध्या, बरेली, झांसी, आगरा, कानपुर डीटीसी के मंडलीय कमांडेंट तो पाक्षिक दौरा करते हैं और हिसाब करके वापस हो लेते हैं। यदि सही -सही देखा जाये तो मंडलीय कमांडेंट, डीटीसी वाराणसी, गोरखपुर, मुरादाबाद, मेरठ को छोड़कर अन्य कोई भी अपने तैनाती के स्थान पर नहीं रहता है। लखनऊ डीटीसी पर तैनात ए. के. पाण्डेय भी यदि लखनऊ के स्थान पर अन्य जगहों पर तैनात होते तो न मिलते। इस तरह से 20-25 ऐसे जिला कमांडेंट भी मिल जायेंगे जो अपने तैनाती स्थल पर नहीं रहते हैं और लखनऊ में बने रहते हैं।

फिर ऐसा क्या हुआ कि केवल मंडलीय कमांडेंट, डीटीसी को ही खोजा जा रहा है ? यदि देखा जाये तो बनारस, अयोध्या, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा, प्रयागराज, मिर्जापुर, कानपुर, देवीपाटन के मंडलीय कमांडेंट भी लखनऊ में ही विराजते हैं और महीने में 2 बार जाकर अपना हिसाब कर आते हैं। बुझ रहे हैं ना…कौन सा हिसाब-किताब ? ‘द संडे व्यूज़’ सवाल करता है कि तेज तर्रार डी.जी. एम. के. बशाल यह बात कब समझेंगे ! क्या वे भी बी. के. मौर्या की तरह मुख्यालय पर तैनात विभागीय अधिकारियों के हाथ का मोहरा ही बन के रह जायेंगे !