शिक्षित बेरोजगारों के लिए सरकार बताये कि उसकी नीति क्या है- सुनील सिंह
लखनऊ। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार हो या केंद्र की सरकार हो, चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, बेकारी की समस्या को हल करने और खाली पदों को भरने की कोई ठोस नीति बनाई ही नहीं। अगर पारदर्शिता हो, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जाये, चयन संस्थाओं में बाहरी ताकतों का हस्तक्षेप न हो, लोकतांत्रिक ढंग से संचालन किया जाता और समग्रता में सरकार बेकारी, नौकरी और चयन प्रक्रिया से जुड़े मामलों को हल करने के लिए एक निगरानी तंत्र विकसित करती, तो कम से कम विवाद होते और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगता। अगर ऐसी नीति बनाई जाती तो न्यायिक हस्तक्षेप भी कम से कम होता, युवाओं में भी इससे जिस तरह का विभाजन पैदा होता है, उससे भी बचा जा सकता है। मौजूदा दौर में भी जो मामले न्यायिक प्रक्रिया में उलझे हुए हैं इनके हल के लिए विधि विशेषज्ञों व जुडीशियल सिस्टम से जुड़े लोगों की राय ली जानी चाहिए।
फिलहाल इस भर्ती यों का भविष्य क्या होगा, सरकार के 3 वर्षों से ज्यादा का समय बिता चुकी है रोजगार कब मिलेगा युवाओं का भविष्य कब सुधरेगा अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। सरकार को प्रदेश में जो खाली पद हैं उन्हें भरने के बारे स्पष्ट तौर पर युवाओं से संवाद करके बताना चाहिए कि इसके बारे में क्या योजना है। इसके अलावा जो भी मामले माननीय सुप्रीम कोर्ट व माननीय उच्च न्यायालय में लंबित हैं उनके निस्तारण के लिए सरकार को वार्ता करने और इस संबंध में अपनी नीति न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए जिससे इन मामलों का त्वरित निस्तारण हो सके। रोजगार सृजन के बारे में भी सरकार अपनी नीति स्पष्ट करे, अगर युवाओं की अन्य कैटेगरी के रोजगार के बारे में छोड़ दे तो भी शिक्षित बेरोजगारों के लिए सरकार बताये कि उसकी नीति क्या है। वास्तव में आज बेकारी का सवाल युवाओं के लिए जीवन-मरण का प्रश्न बना हुआ है, उसको सरकार कब हल करेगी।