जिलों से गायब रहते हैं 60 प्रतिशत मंडलीय कमांडेेंट और कमांडेेंट
डीआईजी ग्रुप, मुख्यालय कंट्रोल रुम से हर दिन लिया जाता है अफसरों का लोकेशन
मंडल व कमांडेंट देते हैं फर्जी लोकेशन,रिपोर्ट पेश हो जाता है डीजी को …
आखिर वीडियो कॉल से क्यों नहीं लिया जा रहा है अफसरों का लोकेशन !
तबादला नीति आने को, अधिकांश मंडल,कमांडेंट लखनऊ में
पुनीत श्रीवास्तव
मेरठ। उत्तर प्रदेश के होमगार्ड विभाग में तैनात सभी परिक्षेत्र के डीआईजी प्रतिदिन अपने अधीन काम करने वाले मंडलीय कमांडेंट और जिला कमांडेंट की फर्जी रिपोर्ट भेज डीजी को गुमराह कर रहे हैं। ठीक इसी तरह मुख्यालय पर बनें कंट्रोल रुम पर तैनात बीओ भी अफसरों की फर्जी रिपोर्ट डीआईजी,मुख्यालय और एसओटू सीजी को भेजते हैं। सच जानना है तो वीडियो कॉल कर मंडल और कमांडेंट का लोकेशन जांचा जाये। सच्चाई तो ये है कि जिला में लगभग 60 प्रतिशत मंडल और कमांडेंट रहते ही नहीं, उनके मुंहलगे पीसी और बीओ जिला चला रहे हैं। सोचने की बात तो ये है कि आखिर मुख्यालय पर बैठे अफसर अपने ही ईमानदार डीजी बी .के. मौर्या को क्यों हर दिन गुमराह करते हैं। ‘द संडे व्यूज़’ के रिपोर्टर ने जब पड़ताल की तो पूरब से लेकर पश्चिम तक के अधिकांश मंडल और कमांडेंट रण छोड़ की तरह जिला छोड़ साहेब बन गये हैं। औचक निरीक्षण किया जाये तो अधिकांश जिला आज खाली मिलेगा और अधिकारी,फर्जी रिपोर्ट भेज चुके होंगे।

डीआईजी का ग्रुप बना है जिसमें हर दिन मंडल और कमांडेंट अपना फर्जी लोकेशन भेजकर सर जय हिन्द ठोंक देते हैं। पता चला कि तबादला सीजन है और अधिकांश कमांडेंट लखनऊ में जुगाड़ बिठाने और बहुतेरे प्रापर्टी का धंधे को रफ्तार देने के लिये लगे हैं। असल बात ये है कि इस विभाग में शातिर अफसर अपने ही ईमानदार डीजी को गुमराह कर अपनी दुकान को बेहतरीन तरीके से सजा रहे हैं। प्रदेश के जनपदों में तैनात मंडलीय कमांडेंट और जिला कमांडेंट की कार्यशैली पर पैनी नजर रखने व जिला छोड़कर गायब रहने वाले अधिकारियों पर सख्ती बरतने के लिये डीजी ने होमगार्ड मुख्यालय के कंट्रोल रुम में टीम लगा रखी। टीम के कर्मचारी प्रतिदिन सुबह सभी मंडलीय कमांडेंट और जिला कमांडेंट का लोकेशन लेकर डीआईजी,मुख्यालय व स्टाफ अफसर टू कमांडेंट जनरल को सौंपते हैं। ये लोग डीजी के सामने लोकेशन चार्ट पेश करते हैं ताकि ये पता चल सके कि सभी अधिकारी जिले में तैनात हैं। इसी तरह डीआईजी का भी एक ग्रुप है जिसमें उस परिक्षेत्र के मंडल व कमांडेंट अपनी लोकेशन भेजते हैं। दूसरी तरफ, यदि बात जनपदों में दिखने वाले अधिकारियों की कि जाये तो उसमें डीआईजी संतोष सुचारी, मंडलीय कमांडेंट पीयूषकांत, सुबास राम, प्रमोद कुमार, महेन्द्र यादव, रामकृष्ण वर्मा, अमित मिश्रा, तेज प्रकाश एवं जिला कमांडेंट कुशीनगर, गोरखपुर, महराजगंज, बहराइच, अयोध्या, सुल्तानपुर, प्रयागराज, बरेली, पीलीभीत, बदायूं, एटा, कासगंज, अलीगढ़, गाजियाबाद, मुरादाबाद, संभल, शामली, बिजनौर.मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, बुलंदशहर को छोड़ दिया जाये तो कोई भी अधिकारी अपने तैनाती स्थल पर नहीं रहते।
अब बात ये आती है कि कमांडेंट ने जो रिपोर्ट भेजी वो सही है या नहीं,इसकी जांच कौन करेगा? क्या हर दिन डीआईजी या कंट्रेाल रुम में बैठे कर्मचारी वीडियो कॉल कर मंडल व कमांडेंट के लोकेशन की रिपोर्ट लेते हैं? यदि नहीं तो क्या फायदा,इस फर्जी लोकेशन का? अहम बात ये है कि चाहें सभी परिक्षेत्र के डीआईजी हों या फिर मुख्यालय के कंंट्रोल रूम पर बैठी टीम,सभी रिपोर्ट को डीआईजी, मुख्यालय और स्टाफ अफसर टू कमांडेंट जनरल को भेजते हैं। दोनों इस फर्जी रिपोर्ट को डीजी को सौंपते हैं, जिसे देख वे भरोसा जताते हैं कि चलो जिले के अफसर मन लगाकर काम कर रहे हैं। लेकिन हकीकत में क्या हो रहा है…।
अफसर लखनऊ में मौज कर रहे हैं और बड़े जिले में तैनाती की चाह में मंत्री से लेकर शासन के अफसरों की परिक्रमा लगा रहे हैं। यही वजह है कि जिलों में जवानों की कोई सुनने वाला नहीं,झक मारकर उन्हें मुख्यालय से इंसाफ की गुहार लगानी पड़ रही है। ये देखना होगा कि गुमराह करने वाले अधिकारियों के खिलाफ ईमानदार डीजी बी.के.मौर्या क्या कार्रवाई करते हैं ?