कुछ विभागों के मंत्री पद रिक्त हैं, कुछ पर आयेंगे नये चेहरे
माननीयों तक ट्रांसफर के लिये सिस्टम से गये अफसरों की नींद उड़ी,कहीं माननीय की कुर्सी चली गयी तो…
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से शिष्टाचार भेंट की। मुलाकात शिष्टाचार भेंट की थी लेकिन सत्ता के गलियारों में खबर पहुंचते ही माननीयों के चेहरे की रंगत दगाबाज मौसम की तरह बदलने लगी। राजधानी से लेकर दिल्ली तक फोन की घंटी घटनाने में माननीय मशगुल हो गये, क्योंकि मुख्यमंत्री और राज्यपाल की बैठक को सभी मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देख रहे हैं। वैसे भी कुुछ विभागों के मंत्री पद रिक्त है और कुछ ऐसे चेहरे हैं, जिनके कार्यशैली को लेकर मुख्यमंत्री खुश नही हैं। गुरुजी,बात जो भी हो माननीयों के साथ-साथ उन अफसरों के चेहरों से हवाईयां उड़ती देखी जा सकती है, जिन्होंने शानदार कुर्सी के लिये औपचारिकता तो पूरी कर दी लेकिन सोच रहे हैं कि कहीं माननीय की कुर्सी ही चली गयी तो ? फिलवक्त सिस्टम से चलने वाले अफसर गुनगुना रहे हैं ओ राजा जी…।

मुख्यमंत्री और राज्यपाल की यह मुलाकात मुख्यमंत्री की मासिक नियमित बैठक का हिस्सा थी, जिसमें राज्य के विकास कार्यों, प्रशासनिक मुद्दों और नीतिगत निर्णयों पर चर्चा की गयी। हालांकि, इस बार यह मुलाकात महज औपचारिक नहीं मानी जा रही है, बल्कि इसे संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही आगामी चुनाव को देखते हुये जातीय समीकरण साधने के लिये नये चेहरों को बड़ी कुर्सी पर बिठाया जा सकता है। बता दें कि लोक निर्माण विभाग का मंत्री पद पिछले एक वर्ष से खाली पड़ा है, क्योंकि पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद यह पद रिक्त हो गया था। साथ ही विधान परिषद की एक सीट भी खाली है। इसके अलावा अन्य विभागों में भी मंत्री पदों को भरने की जरूरत महसूस की जा रही है,जिनका काम-काज ठीक नहीं चल रहा है।
मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच यह बैठक लगभग एक घंटे चली।शासन के भरोसेमंद सूत्रों की बात मानें तो भाजपा संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल बनाने के लिये जल्द ही मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है। कुछ नये विधायकों को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, वहीं कुछ मौजूदा मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर उन्हें हटाया भी जा सकता है। सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि आगामी विधानसभा सत्र और 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुये भाजपा मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन साधने की रणनीति पर काम कर रही है।
इसका मकसद सरकार की नीतियों को धरातल पर तेज़ी से लागू करना और संगठनात्मक मजबूती को बढ़ाना है। लेकिन संकेत स्पष्ट हैं कि योगी सरकार जल्द ही नसे चेहरों के साथ मंत्रिमंडल को फि र से सजाने की तैयारी में है। इससे पहले भी योगी सरकार ने बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कई अहम् फैसले लिये हैं। माना जा रहा है कि नई ऊर्जा और उत्साह के साथ इन योजनाओं को और गति देने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार जरूरी हो गया है।