नौकरशाह ने एक सीनियर अफसर की जमकर की बेइज्जती,कहा ‘तुुमको तो ‘…’ से मारुंगा’…


संजय श्रीवास्तव

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में नौकरशाहों पर काम का इस कदर दबाव है कि वे सिर्फ और सिर्फ सरकार की ‘नीतियों’ को अमल कराने में व्यस्त हैं। होना भी चाहिये, लेकिन यदि मुख्यालय पर बैठने वाले सीनियर अफसर ‘कामचोरी’ करे या यूं कहें कि सरकारी नीतियों को टालकर सिर्फ अपना ‘हित’ साधे…तो…। लेकिन पूरे प्रदेश से किसी ना किसी बहाने से ‘रुपये बटोरने’ और सीएम की नीतियों को नजर अंदाज करने वाले अफसरों पर शासन में बैैठे अफसर चाबुक चलाने से रत्ती भर नहीं हिचक रहे हैं। एक बैठक में नौकरशाह ने मुख्यमंत्री की नीतियों में बेहद लापरवाही बरतने पर मुख्यालय के बड़े साहेब पर इतना गुसिया गये कि कहा तुमको तो ‘…’ से मारुंगा …। ऐसा कहा जो बड़े साहेब अपने कमरे के बाहर खड़े अदने से संतरी को कहने में सात जनम ले लें तो भी ना कह पाये। द संडे व्यू$ज इस बात की पुष्टिï नहीं करता लेकिन ‘खबरिया’ द्वारा लोकभवन के बंद कमरे में हो रही ‘चकल्लस’ की सही खबरें आप तक पहुंचाने का दम रखता है। अब ये मत कहियेगा कि ‘द संडे व्यूज़’ को सबसे पहले खबर कौन देता है…। ‘बुझ रहे हैं ना’…।

‘द संडे व्यूज़’ को खबरिया ने बताया कि नवंबर के आखिर माह में लोकभवन में एक नौकरशाह ने विभागीय कार्यों की समीक्षा बैठक रखी। उसमें वर्दीधारी विभाग के एक सीनियर अफसर अपने जूनियर लेडिज अॅाफिसर के साथ पहुंचे। शुरू हुयी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा निर्देशित कार्यों की प्रगति रिपोर्ट पर, वर्दी पहने बड़े साहेब जवाब देने में अचकचा गये…। नौकरशाह ने फिर सवाल दागा कि काम अभी तक पूरा क्यों नहीं हुआ? मुख्यालय से आये बड़े साहेब लगे काम ना करने के बारे में ज्ञान झोंकने, फिर क्या था नौकरशाह अपने तेवर में आ गये। वहां मौजूद सभी अफसरों की तरफ देखकर कहा कि ये जब कमरे में आता है, ‘निगेटिव सोच’ के साथ आता है… इसकी ‘सोच’ ही विभागीय कार्यों के प्रति ‘नकारात्मक’ है… जब कोई काम बताओ उसमें कोई ना कोई कमियां निकाल देता है…। एक काम करो मेरे जानने वाले योग टीचर हैं,मैं तुम्हारे पास भेजता हूं तुम ‘योगा’ करो…शायद तुम सकारात्मक सोचने लगो…। बैठक खत्म मुख्यालय पर लंबे समय से सभी कमाऊ कुर्सियों पर घात लगाकर बैठे बड़े साहेब बाहर निकलें और ‘फर्जी मुस्कान’ मारकर जूनियर अफसरों के साथ ऐसे चले मानों कुछ हुआ ही ना हो…। हालांकि वहां मौजूद सभी सहयोगियों ने शाम होते-होते पूरे प्रदेश में सभी को बता दिया कि अपने नौकरशाह ने बड़े साहेब की किस अंदाज में हुड़की दी है। उसके बाद से तो हर बैठक में बड़े साहेब की नौकरशाह फजीहत निकालने लगे। बात तो यहां तक पहुंच गयी है कि नौकरशाह ने बड़े साहेब को एक-दो नोटिस भी भेज दिया।

हद तो तब हो गयी जब माह के आखिर में हुयी बैठक में नौकरशाह ने फिर बड़े साहेब को मुख्यालय से बुला लिया। बड़े साहेब तो उनका फोन आते ही पहले एक गिलास पानी पीते हैं, चेहरे पर उडऩे वाली ‘हवाईयों’ को सुधारने की नाकाम कोशिश कर अपने जूनियर आफिसर को लेकर निकल पड़ते हैं लोकभवन की ओर…। लोकभवन गेट के अंदर बड़े साहेब की गाड़ी प्रवेश करते ही उनके चेहरे की हवाईयां फिर से ये सोच कर उडऩे लगती है कि आज सबसे बड़े वाले साहेब क्या करेंगे? खबरिया ने बताया कि इस बैैठक में बड़े साहेब जो सोच रहे थे] उससे हजार गुना ज्यादा होने वाला था, जिसकी उन्होंने बचपन में भी कल्पना नहीं की थी। नौकरशाह ने पूछा जवानों की ईपीएफ में क्या काम हुआ? सवाल सुन बड़े साहेब कभी मुस्कराए तो कभी लगे आंय-बांय-सांय…बकने। फिर क्या था…। नौकरशाह का पारा सातवें आसमान पर और उन्होंने बोला-तुम्हारा दिमाग खराब है,मैं यहां फालतू बैैठा हूं तुमको तो ‘…’ से मारना चाहिये। चलो जाओ यहां से…फिर क्या था, ‘पसेनियाए’ बड़े साहेब कमरे से बाहर भागे…।

खैर, किसी तरह बड़े साहेब लिफ्ट से नीचे उतरे तो वहीं पर नौकरशाह कार्यालय से जुड़े तीन अधिकारी मौजूद थे। बड़े साहेब की मनोदशा देख,सबने पूछा क्या हुआ? इस पर बड़े साहेब ने जवाब दिया लगता है मुझे भी ‘वेंटिलेटर’ पर जाना पड़ेगा…। खैर,फिलहाल बड़े साहेब बिल्कुल ठीक हैं लेकिन सोच रहे होंगे कि बंद कमरे में जूनियर महिला अधिकारी के सामने नौकरशाह के जो बोल थे, अपने संतरी को बोलने के लिये मुझे कम से कम सात जनम लेना पड़ेगा…। बात जो भी’द संडे व्यूज़’ को ‘खबरिया’ की सभी बातों पर पूरा भरोसा है लेकिन खबर सच या झूठ इस पर पुष्टि नहीं करता। हां,एक बात तो है कि नौकरशाह के (…)से मारने’ वाले शब्द ने पूरे विभाग में सर्दी में ठिठुरन बढ़ा दी है।


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