हिन्दू धर्म में विभिन्न देवताओं के अवतार की मान्यता है। भगवान विष्णु के दस अवतार माने गये हैं जिन्हें दशावतार कहते हैं। इसी तरह शिव और अन्य देवी-देवताओं के भी कई अवतार माने गये हैं।
श्रीमद् भागवत में भगवन श्रीकृष्ण ने कहा है,
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥
अर्थात् जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ता है, तब-तब भगवान विष्णु अवतार लेते हैं और धर्म की स्थापना करते हैं। विष्णु पुराण में भगवान के 10 मुख्य अवतारों के बारे में बताया गया है। यहां हम आपको इन्हीं अवतारों के बारे में बताने जा रहे हैं।
मत्स्य अवतार: प्राचीन समय में असुर हयग्रीव का आतंक इतना ज्यादा बढ़ गया था जिससे पूरी धरती जल मग्न हो गई थी। उस समय विष्णु भगवान ने मछली के रूप में पहला अवतार लिया था। इस अवतार का नाम मत्स्य था। इस दौरान मछली के रूप में विष्णुजी ने हयग्रीव का वध किया था। वहीं, धरती को जल से निकाला थ।
कूर्म अवतार: समुद्र मंथन देवता और दानवों ने मिलकर किया था। इस समय कछुए के रूप में विष्णुजी ने कूर्म अवतार लिया था। श्री हरी के इस अवतार ने मंदार पर्वत अपने कवच पर धारण किया था। इसके बाद ही देवता और असुरों ने समुद्र को मथा था।
वराह अवतार: हिरण्याक्ष नाम का एक दैत्य था। इस दैत्य ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था। उस समय श्रीहरि ने वराह का रूप लिया था। वराह अवतार ने हिरण्याक्ष का वध किया था और धरती को समुद्र से बाहर निकाला था।
नृसिंह अवतार: हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर था। इसके पुत्र का नाम प्रहलाद था। विष्णुजी ने प्रहलाद की रक्षा के लिए नृसिंह का अवतार लिया था। इस अवतार में श्रीहरि ने हिरण्यकश्यप का वध किया था।
वामन अवतार: असुरों का राजा था राजा बलि। जिसको बहुत घमंड था। इसके घमंड को तोड़ने के लिए ही विष्णुजी ने वामन अवतार लिया था। वामनदेव को राजा बलि ने तीन पग जमीन देने का वादा किया था। वामनदेव ने पहले पग में धरती तो दूसरे में स्वर्ग नाप लिया। वहीं, तीसरा पग बलि ने अपने सिर पर रख लिया था। इससे वह पाताल पहुंच गया था।
परशुराम अवतार: परशुराम के रूप में विष्णुजी ने अवतार लिया था। इस अवतार में श्रीहरि ने राजा सहस्त्रार्जुन का वध किया था।
श्रीराम अवतार: श्रीहरि ने श्रीराम का अवतार त्रेतायुग में लिया था। इस युग में श्रीराम ने रावण का वध किया था। रावण के वध से तीनों लोकों को उससे मुक्ति मिल गई थी।
श्रीकृष्ण अवतार: कंस और दुर्योधन जैसे अधर्मियों को खत्न करने के लिए द्वापर युग में श्रीकृष्ण के अवतार में श्रीहरि जन्मे थे। इस युग में एक तरफ उन्होंने अपने मामा यानी कंस का अंत किया। वहीं, दुर्योधन के कौरव वंश का अंत पांडवों से करवाया और धर्म की स्थापना की।
बुद्ध अवतार: माना गया है कि भगवान बुद्ध विष्णुजी के नौवें अवतार हैं। इन्होंने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। साथ ही हिंसा से दूर रहने का उपदेश भी दिया था।
कल्कि अवतार: यह अवतार अभी प्रकट नहीं हुआ है। यह भगवान विष्णु का दसवां अवतार है। कहा जाता है कि जब कलियुग में अधर्म काफी बढ़ जाएगा तब भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेंगे और धर्म की स्था पना करेंगे।