पहलगाम के आंसू और सिंदूर की ज्वाला…



अनिल शर्मा

नई दिल्ली। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ हमला भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नये और भयावह मोड़ का प्रतीक बन गया। इस निर्मम घटना में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गयी, जिन्हें केवल उनके धर्म के आधार पर चुन-चुनकर मारा गया। आतंकियों ने पहले लोगों से उनका धर्म पूछा और जो लोग मुस्लिम धर्म की कलमा पढऩे या अन्य धार्मिक गतिविधियां निभाने में असमर्थ पाये गये, उन्हें बेरहमी से गोली मार दी गयी। यह हमला न सिर्फ एक आतंकवादी कार्रवाई थी, बल्कि भारत की धर्मनिरपेक्ष अस्मिता पर किया गया सीधा हमला था। आतंकवाद अब केवल राजनीतिक या सामरिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि वह धार्मिक कट्टरता और मानवता के मूल्यों के पूर्ण पतन का रूप ले चुका है। इस हमले ने न केवल देश को आक्रोशित किया, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद अब इतनी गहराई तक जा चुका है कि वह निर्दोष नागरिकों की धार्मिक पहचान को निशाना बनाकर समाज में भय और नफरत फैलाना चाहता है।

भारत ने इस हमले को अपनी संप्रभुता और सामाजिक एकता के खिलाफ माना और इसके बाद लिये गये निर्णयों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब हर हमले का जवाब निर्णायक और नीतिगत तरीके से दिया जायेगा। भारत सरकार ने तीव्र प्रतिक्रिया देते हुये सैन्य स्तर पर एक व्यापक कार्रवाई की योजना बनायी। इस सटीक और गोपनीय सैन्य कार्रवाई को नाम दिया गया- ऑपरेशन सिंदूर। यह नाम प्रतीक था भारत की सांस्कृतिक विरासत का, जिसमें सिंदूर शक्ति, सम्मान और संरक्षण का प्रतीक है। ऑपरेशन सिंदूर न केवल आतंक के विरुद्ध सर्जिकल कार्रवाई थी, बल्कि यह उन निर्दोष नागरिकों को सच्ची श्रद्धांजलि भी थी, जिन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की बलि चढकऱ अपना जीवन खोया। 7 मई 2025 की सुबह जब देशवासी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में व्यस्त थे, मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारत के मिशन सिंदूर की खबरों ने भारत के जनमानस का सीना चौड़ा कर दिया। भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की संयुक्त रणनीति ने 6 मई 2025 रात्रि को पाकिस्तान के भीतर 9 प्रमुख आतंकवादी ठिकानों पर जोरदार हमला कर दिया। यह हमले न केवल लाइन ऑफ कंट्रोल के पास स्थित आतंकी लॉन्चपैड्स पर किये गये, बल्कि पाकिस्तान के भीतरी हिस्सों में भी उन ठिकानों को टारगेट किया गया, जो लंबे समय से आतंक की फैक्टरी बने हुये थे। ऑपरेशन सिंदूर के तहत जिन 9 ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गयी, वे थे, बहावलपुर-जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय। मुरीदके- लश्कर-ए-तैयबा का आधार स्थल, जो 2008 मुंबई हमले से जुड़ा रहा है। गुलपुर- नियंत्रण रेखा के पास स्थित वह अड्डा, जहां से 2023-24 के हमलों की योजना बनी। सावाई- जहां से तीर्थयात्रियों पर हमलों की साजिश रची गयी। बिलाल- जैश का प्रमुख लॉन्चपैड। कोटली – हिज्बुल मुजाहिदीन की उपस्थिति वाला अड्डा। बरनाला, सरजाला और महसुन्ता – आतंकी ट्रेनिंग और लॉन्चिंग सेंटर। इन हमलों में अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया। दूरवर्ती स्थानों को मिसाइलों और ड्रोन हमलों द्वारा ध्वस्त किया गया। खास बात यह रही कि इस पूरे ऑपरेशन में भारतीय पक्ष को कोई नुकसान नहीं हुआ, और सभी सैनिक सुरक्षित वापस लौटे। भारतीय सेना आज विश्व की सबसे शक्तिशाली और संगठित सेनाओं में से एक मानी जाती है। इसकी ताकत न केवल इसके अत्याधुनिक हथियारों, तकनीकी क्षमताओं और रणनीतिक कौशल में निहित है, बल्कि उस अडिग संकल्प में भी छुपी है जो हर भारतीय सैनिक की रगों में बहता है। भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और जनमानस की एकता पर यदि कोई खतरा मंडराता है, तो भारतीय सेना उसका जवाब शौर्य और संयम के अदभूत संतुलन के साथ देती है। वर्ष 2014 के बाद देश ने ऐसे कई उदाहरण देखे हैं, चाहे वह उरी हमले के बाद की सर्जिकल स्ट्राइक हो, पुलवामा के बाद बालाकोट एयरस्ट्राइक या हाल ही में पहलगाम हमले के पश्चात ऑपरेशन सिंदूर, हर बार भारतीय सेना ने यह सिद्ध किया है कि भारत अब केवल सहन नहीं करेगा, बल्कि हर आघात का उत्तर निर्णायक रूप से देगा। वर्ष 1947 का भारत-पाक विभाजन केवल दो राष्ट्रों का निर्माण नहीं था, बल्कि वह एक ऐसी घटना थी जिसने उपमहाद्वीप को खून से रंग दिया। पाकिस्तान ने अपने निर्माण के तुरंत बाद ही भारत विरोधी गतिविधियां शुरू कर दीं। 1947, 1965 और 1971 में उसने सीधे युद्ध छेड़े। 1999 में कारगिल में तो उसने गुपचुप तरीके से घुसपैठ कर युद्ध का षड्यंत्र रचा, जिसे भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इन सभी युद्धों में भारत ने विजय प्राप्त की, परंतु हर बार भारत ने युद्ध के बजाय शांति की पहल की। लेकिन पाकिस्तान ने इस सदभावना का बदला आतंकवाद से दिया। उसकी सेना और आईएसआई लगातार जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल जैसे संगठनों को पैसा, प्रशिक्षण और संरक्षण देती रही। मुंबई हमले, उरी हमला, पुलवामा विस्फोट और अब पहलगाम कांड, हर घटना में पाकिस्तान की भूमिका उजागर होती रही है। भारत एक शांति प्रिय राष्ट्र है, लेकिन जब देश की संप्रभुता, नागरिकों की सुरक्षा और मानवता पर आघात होता है, तब भारत यह भी दिखाता है कि वह केवल सहनशील ही नहीं, बल्कि निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम राष्ट्र है। ऑपरेशन सिंदूर इसी रणनीतिक और सांस्कृतिक सोच का परिणाम है। पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर एक नये युग की शुरुआत है। यह युग है आत्मरक्षा के अधिकार के उपयोग का, कू टनीति और शक्ति के संतुलन का, और आतंक पर बिना समझौते की नीति का।भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं करता, वह भविष्य की संभावित साजिशों को रोकने के लिये भी तत्पर है। यह संदेश स्पष्ट है कि भारत अब हर गोली का जवाब गोली से, और हर आतंकी योजना का जवाब निर्णायक सैन्य रणनीति से देगा। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों ने न केवल पाकिस्तान को चेतावनी दी है, बल्कि भारतीय नागरिकों के मन में विश्वास भी जगाया है कि उनका देश अब चुप नहीं बैठेगा। पहलगाम के निर्दोषों की हत्या ने भारत को झकझोर कर रख दिया, लेकिन उसी आघात ने ऑपरेशन सिंदूर जैसी सटीक और निर्णायक प्रतिक्रिया को जन्म दिया। यह केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक चेतना, राष्ट्रीय संप्रभुता और नागरिक सुरक्षा का प्रतीक है। अब आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *