फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाले अधिकारी ने मांगा ‘मार्गदर्शन’, डीआईजी ने उसे ही बनाया ‘संदिग्ध’ !
संजय पुरबिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसे सुन आप दांतों तले ‘ऊंगलियां’ दबा लेंगे। मृतक आश्रित कोटे में उस लड़की को नौकरी दी जा रही है,जो अपनी मां की शादी से सात वर्ष पूर्व पैदा हो गयी। भईया, जिसकी शादी ही नहीं हुयी, उसे सात वर्ष पूर्व बेटी कैसे पैदा हो गयी ? इसकी जानकारी होते ही अधिकारियों का सिर घूम गया लेकिन ‘नोटों की गड्डी‘ देख ‘चौंधीया’ जाने वाले डीआईजी साहेब ने उसे मृतक आश्रित कोटे में नौकरी देने का आर्डर जारी कर दिया। चौंकाने वाली बात ये भी है कि मृतक के पिता चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं कि ये मेरी बहू नहीं है। मेरे बेटे की शादी नहीं है। लेकिन उस महिला ने आर्य समाज मंदिर का प्रमाण पत्र दिखाकर बताया कि मृतक उसके पति हैं। आर्य समाज मंदिर से शादी के प्रमाण पत्र के आधार पर दोनों की शादी 2012 में होना साबित करता है जबकि आश्रित पुत्री की जन्मतिथि 2005 बता रही है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर कौन सी विद्या अपनायी गयी कि शादी से सात वर्ष पूर्व ही पुत्री हो गयी और लड़के के मां-बाप,सगे-संबंधियों को मालूम भी नहीं चला कि देवलोक जाने वाले सरकारी कर्मचारी की शादी हो गयी है ? मामला होमगार्ड विभाग का है। यही इकलौता विभाग है जहां मंत्री,डीजी की सख्ती के बाद भी कुछ अफसर नियमों का तार-तार कर खाकी को बदनाम करते चले आ रहे हैं।
11 अक्टूबर 2023 को कमांडेंट-शाहजहांपुर रमेश कुमार ने डीआईजी,आगरा परिक्षेत्र संजीव शुक्ला को पत्र लिखा। पत्र में लिखा है कि शाहजहांपुर में कंपनी ए- नगर में तैनात सहायक कंपनी कमांडर पंकज अग्निहोत्री रे.न. 102 की 24 अप्रैल 2020 को मृत्यु हो गयी। उसकी आश्रित पत्नी मधु अग्निहोत्री निवासी पहला पता-गंगा नगर कालोनी,फर्रूखाबाद, दूसरा पता-ताजूखेल ओबेराय रिसोर्ट, शाहजहांपुर है। 15 जून 2023 को स्व. पंकज अग्निहोत्री की पत्नी मधु अग्निहोत्री ने पत्र लिखक र अवगत कराया है कि उसके पति स्व. पंकज अग्निहोत्री के स्थान पर महिला होमगार्ड के पद पर मेरी पुत्री अमृता (नाम बदला हुआ है) अग्निहोत्री को मृतक आश्रित कोटे में भर्ती किया जाये। मेरी पुत्री इंटरमीडिएट पास है। साथ ही उन्होंने उप-जिलाधिकारी फर्रूखाबाद द्वारा 10 जुलाई 2020 को वारिसान प्रमाण पत्र भी दिया। इसके बाद जिला कमंाडेंट कार्यालय द्वारा अमृता अग्निहोत्री का 16 जून 2023 को दौड़ की परीक्षा करायी गयी,जिसमें वो पास हो गयी। बताया जाता है कि मामला तब गहराया जब पंकज अग्निहोत्री के पिता विद्याधर अग्निहोत्री ने कमांडेंट-शाहजहांपुर रमेश सोनकर को फोन कर बताया कि ‘मैंने अपने पुत्र स्व. पंकज अग्निहोत्री की शादी ही नहीं करवायी तो अमृता पुत्री कैसे हो गयी’? इतना सुनते ही कमांडेंट रमेश सोनकर के होश फाख्ता हो गये और उसने अग्रिम आदेश तक अमृता अग्निहोत्री की भर्ती की कार्यवाही पर रोक लगा दी। मधु अग्निहोत्री को शादी संबंधित समस्त अभिलेखों के साक्ष्य देने का निर्देश दिया गया। मधु अग्निहोत्री ने कमंाडेंट को आर्य समाज मंदिर,फतेहगढ़,जिला फर्रुखाबाद का एक प्रमाण पत्र दिया है जिसमें पंकज अग्निहोत्री पुत्र विद्याधर अग्निहोत्री निवासी गंगानगर निकट कल्लू पाण्डेय वाली गली,थाना,कोतवाली फर्रूखाबाद एवं मधु पुत्री काशीनाथ निवासी कटिया टोला लाल इमली चौराहा,थाना सदर,जिला शाहजहांपुर का शुभ पाणिग्रहण का संस्कार 22 जुलाई 2012 को शादी का प्रमाण है। इसी तरह,नगर पालिका फर्रूखाबाद की सभासद ने अपने लेटर पैड पर प्रमाणित किया है कि ‘मेरी निजी जानकारी के अनुसार श्रीमति मधु अग्निहोत्री पत्नी स्व. पंकज अग्निहोत्री निवासी फर्रूखाबाद उ.प्र. की रहने वाली हैं एवं मधु ने शादी साक्ष्य हेतु कुछ फोटो भी पत्र के साथ संलग्न किये हैं’।
चलिये, अभी तक तो पत्राचार का सिलसिला चलता रहा और चौंकाने वाले खुलासे होते रहें लेकिन मजेदार मोड़ तब आया जब कमांडेंट रमेश कुमार ने मृतक की पत्नी मधु अग्निहोत्री द्वारा दिये गये शादी के प्रमाण पत्र और पुत्री अमृता अग्निहोत्री की जन्मतिथि के प्रमाण पत्रों का मिलान किया। शादी की तिथि 22 जुलाई 2012 और पुत्री अमृता की हाई स्कूल मार्कशीट व हाई स्कूल प्रमाण पत्र में जन्मतिथि 11 अप्रैल 2005 है। अब आप समझ सकते हैं कि कमांडेंट रमेश कुमार की मानसिक स्थिति क्या रही होगी। कमांडेंट ने वहां तैनात विद्वान कर्मचारियों को बुलाकर दर्जनों बार शादी और पुत्री के जन्मदिन के प्रमाण पत्रों का मिलान कराया ताकि समझ में आ सके कि मृतक की शादी पहले हुयी या पुत्री? बार-बार पुत्री शादी से 7 वर्ष पूर्व पैदा हुयी, जानकर वहां मौजूद सभी कर्मचारियों की स्थिति ऐसी हो गयी मानों दो-दो गिलास भांग गटक गये हों…। मामला गंभीर होते देख कमंाडेंट ने डीआईजी,आगरा परिक्षेत्र संजीव शुक्ला को पत्र लिखा और सभी बात से अवगत कराते हुये कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश में निर्देश प्राप्त हुआ है कि इस प्रकरण की जांच दो माह के अंदर निस्तारित करते हुये आगामी एक माह के अंदर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के संदर्भ में याची एवं उसकी मां के प्रत्यावेदन को निस्तारित करना सुनिश्चित करें। इसलिये अमृता अग्निहोत्री को आश्रित के रुप में महिला होमगार्ड केे पद पर भर्ती,सेवा योजित करने के लिये मार्ग दर्शन प्रदान करने की कृपा करें।
इसके जवाब में डीआईजी संजीव शुक्ला ने 8 नवंबर 2023 को कमांडेंट,शाहजहांपुर को पत्र लिखकर पूरी तरह से दबाव में ले लिया। पत्र का मजनून कुछ इस तरह से है-कमांडेंट रमेश सोनकर की कार्यशैली संदेहास्पद है क्योंकि सिर्फ मृतक के पिता द्वारा फोन पर बताने पर आश्रित अमृता अग्निहोत्री का सेवायोजन प्रक्रिया पर रोक लगा दी गयी? अमृता के पिता की मृत्यु के तीन वर्ष बाद सेवायोजन की प्रक्रिया शुरू की गयी। तीन वर्ष के अंदर इस तरह की बात थी तो जांच क्यों नहीं की गयी? शासन का निर्देश है कि एक माह के अंदर मृतक आश्रित की भर्ती करा दी जाये लेकिन कमांडेंट ने इस निर्देश का अनुपालन नहीं किया। होमगार्ड मुख्यालय द्वारा 14 सिंतबर 2023 को दिये गये निर्देश का पालन ना करना भी कमांडेंट द्वारा दुराशय का प्रमाण पत्र है। मृतक के पिता विद्याधर ने कब फोन किया,किस नंबर से किया,समय क्या था,19 जून 2023 को ही विद्याधर को कैसे मालूम चला कि अमृता चयनित हो गयी है और उसका प्रशिक्षण शुरु होने वाला है…। उक्त तथ्यों का कमांडेंट द्वारा उल्लेख ना करना भी शंका पैदा करता है। अमृता अग्निहोत्री के आधार कार्ड,हाई स्कूल के अंक पत्र,इंटरमीडिएट के अंक पत्र पर स्व. पंकज अग्निहोत्री एवं माता का नाम मधु अग्निहोत्री अंकित होना दर्शाता है कि अमृता अग्निहोत्री ही स्व. पंकज अग्निहोत्री की आश्रित पुत्री है। इसलिये कमांडेंट ,शाहजहांपुर द्वारा 19 जून 2023 के पारित आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है और एवं चयनित महिला होमगार्ड अमृता अग्निहोत्री को बेसिक प्रशिक्षण में भेजने का निर्देश दिया जाता है।
इस प्रकरण में कई अनसुलझे सवाल उठ रहे हैं ,जो लाज़मी है। शासन स्तर से मृतक आश्रित स्तर के प्रकरण को करने का अधिकार जब जिला कमांडेंट को है तो डीआईजी संजीव शुक्ला कहां से फांद गये ? कमांडेंट, शाहजहांपुर रमेश सोनकर ने सभी वस्तु स्थिति को अवगत कराते हुये डीआईजी से सिर्फ मार्गदर्शन मांगा था,ये नहीं कि शासन की नियमावली के विपरित खुद मामले को हैंडल करने लगें और एक तरफा फरमान जारी कर दें…। सवाल यह भी है कि जब मृतक के घर से किसी ने आश्रित कोटे से नौकरी की पहल नहीं की तो इसमें कमांडेंट कहां से दोषी है? वैसे भी ना तो उसकी शादी हुयी थी और ना ही कोई बेटा या बेटी थी… जैसा की मृतक के पिता बोल रहे हैं…। तीन वर्ष बाद जब मधु अग्निहोत्री आती हैं और अपने को मृतक पंकज अग्निहोत्री की पत्नी बताती हैं तो कमांडेंट ने शीघ्र पुत्री अमृता की दौड़ करायी और चयन भी कर लिया लेकिन जब मृतक के पिता ने कहा कि उनके बेटे की शादी ही नहीं हुयी तो बेटी कहां से पैदा हो गयी? इस बयान के बाद भूचाल आया और यहीं पर कमांडेंट ने गल्ती कर दी और डीआईजी संजीव शुक्ला से मार्ग दर्शन मांग ली…। देखा जाये तो कमांडेंट रमेश सोनकर द्वारा इस फर्जीवाड़े का खुलासा करने पर डीआईजी को प्रशस्ति पत्र देना चाहिये था लेकिन साहेब ने उसे की सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया।
इस बाबत जब मृतक स्व. पंकज अग्निहोत्री के पुत्र आदर्श अग्निहोत्री से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि ‘पंकज अग्निहोत्री मेरे पापा हैं लेकिन दादा जी अब हमलोगों के साथ नहीं रहते हैं। वे अपने बेटी के यहां पर हैं और उनकी तबीयत ठीक नहीं है। यदि आप होमगार्ड विभाग में नौकरी से संबंधित बात करना चाहते हैं तो प्लीज ना करें’।
कमांडेंट, शाहजहांपुर रमेश सोनकर से बात की गयी तो उनका जवाब था कि ‘शादी और अमृता के जन्मतिथि को देखकर ही मेरा माथा ठनका था। भर्ती की प्रक्रिया तक मालूम नहीं था कि मृतक पंकज अग्निहोत्री की शादी 2012 में हुयी और बेटी 2005 में पैदा हुयी। मृतक की पत्नी ने एसडीएम का सर्टिफिकेट सहित वारिसाना पत्र दिया था,जिस आधार पर भर्ती कर रहा था। लेकिन मृतक के पिता के बयान के बाद मैंने आगे की प्रक्रिया रोक दी और मुख्यालय सहित डीआईजी,आगरा परिक्षेत्र को मैंने पत्र भेज दिया है। मैंने भी यही मुदद उठाया है। हां, डीआईजी संजीव शुक्ला से मैंने सिर्फ मार्ग दर्शनमांगा था लेकिन मुख्यालय से जवाब मिला कि आप अपने स्तर से निर्णय लें’। इस बाबत डीआईजी,आगरा परिक्षेत्र संजीव शुक्ला को कॉल किया गया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
अब विभागीय अधिकारियों की बात मानें तो प्रत्यावेदन कमांडेंट को निस्तारित करना था लेकिन डीआईजी ने कमांडेंट का अधिकार छिन लिया और अपने खास सहयोगी कमांडेेंट कार्यालय में तैनात सहायक राकेश कुमार के माध्यम से मोटी रकम लेकर अमृता अग्निहोत्री का चयन करने का आदेश कर दिया्र। (किसने कितनी रकम ली या नहीं नहीं ली, द संडे व्यूज़ इसकी पुष्टिï नहीं कर रहा है)एक तरह से डीआईजी ने कमांडेंट के अधिकार का हनन करने का काम किया है। नियम की बात करें तो डीआईजी संजीव शुक्ला को कमांडेंट से सभी दस्तावेज लेकर जांच करने का निर्देश देना चाहिये लेकिन उन्होंने खुद ही फैसला सुनाकर एक दलित, प्रमोटी कमांडेंट का अरदब में लेकर अमृता के परिजन से सब कुछ वसूल करने के बाद आदेश जारी कर दिया। विचित्र किंतु सत्य प्रकरण देख मुख्यालय के अधिकारी भी चकरा गये हैं लेकिन सबने चुप्पी साध ली क्योंकि मामला शुक्ला जी का जो है…।
क्रमश:…