Shakuntala Devi Review – ह्यूमन कंप्यूटर की असाधारण जिंदगी


मानव कम्प्यूटर के नाम से मशहूर शकुंतला देवी महज एक अद्भुत गणितज्ञ ही नहीं वह स्त्री सशक्तीकरण का जबर्दस्त उदाहरण भी थीं। आर्यभट्ट और रामानुज के बाद शकुंतला देवी ने गणित के क्षेत्र में भारत का परचम विश्व में लहराया।

बहुमुखी व्यक्तित्व की धनी इन्हीं शकुंतला देवी की जिंदगी का जश्न मनाती है फिल्म ‘शकुंतला देवी: ह्यूमन कम्प्यूटर’, जो ओटीटी प्लैटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई है। कॉमिक अंदाज में भारत की एक रियल लाइफ बुद्धिमान महिला ‘शकुंतला देवी ‘ की जीवनी है

हमारे समाज में आमतौर पर यह माना जाता था कि गणित लड़कियों के लिए नहीं है, उनके लिए हिंदी, अंग्रेजी जैसे आट्र्स के विषय ही ठीक हैं। अगर किसी लड़की को साइंस पढ़ना हुआ भी, तो उसके लिए बायोलॉजी ही विकल्प होता था। वैसे समय में शकुंतला देवी (1929-2013) ने न सिर्फ इस धारणा को खत्म किया, बल्कि मनुष्यों के लिए असंभव सी दिखने वाली गणनाओं को चुटकियों में हल करके पूरी दुनिया को चौंका दिया। कम्प्यूटर से भी कम समय में वह भी बिना किसी शिक्षा के। उन्होंने स्कूल का मुंह भी नहीं देखा था। इसी असाधारण योग्यता की वजह से उन्हें ‘मानव कम्प्यूटर’ की उपाधि मिली और उनका नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वल्ड्र्स रिकॉर्ड’ में शामिल किया गया।

कहानी शुरू होती है अनु से जो अपनी मां शकुंतला देवी से कानूनन सम्बन्ध विच्छेद चाहती है, पर क्यों और कैसे, और कहानी 1940 के बैकग्राउंड में बनी है। बैंगलोर के पास एक गांव है जहां एक कन्नड़ परिवार की लड़की अपने तेज दिमाग से सबको आश्चर्यचकित कर देती है और ये उसके परिवार के लालन पालन का जरिया बन गया था। बिना स्कूल गए शकुंतला कठिन गणित के सवाल चुटकियों में हल देती है। उसके पिता उसकी कला को अपने लालच में बदल देते हैं। अपनी बहन की मौत शकुंतला को बागी बना देती है लेकिन उसके मैथ्स का हुनर, जज्बा और हाजिरजवाबी शकुंतला को लंदन तक लेकर जाता और विश्व मंच पर वो बन गयी है एक ह्यूमन कंप्यूटर। नाम पैसा और शोहरत शकुंतला देवी को मिलता है लेकिन परिवार से दूर हो जाती है।

सफलता के बीच शकुंतला को कई बार प्यार होता है, दिल टूटता है और आख‍िरकार परितोष से शादी करके वो घर गृहस्थी में फंसकर मां बन जाती है लेकिन वो फिर से अपने शोज में बिजी हो जाती है। लेकिन इन सब के बीच उसकी शादी टूट जाती है और वो अपनी बेटी को लेकर अलग हो जाती है। वो बेटी को पूरा प्यार देती है लेकिन अपनी बेटी को पिता से दूर कर देती है जिससे मां और बेटी के बीच में प्यार अलगाव में बदल जाता है। सफलता के मद में शकुंतला अपनी बेटी और दामाद को भी खुद से दूर कर देती है। शंकुन्तला को तब अपने अकेलेपन का एहसास होता है।

विद्या बालन पूरी तरह अपने किरदार में रम गई हैं और उन्होंने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है। लंदन जाने के बाद विद्या बालन का मेकओवर जबर्दस्त तरीके से फिल्माया गया। फिल्म में शकुंतला देवी के पति परितोष बनर्जी का किरदार जिशू सेनगुप्ता ने निभाया है। अनुपमा के किरदार में सान्या मल्होत्रा और अनुपमा के पति के किरदार में अमित साध। डायरेक्टर अनु मेनन ने किरदारों को दर्शाने के साथ न्याय किया है।

यह फिल्म जिंदगी से भरपूर एक असाधारण महिला की रोचक कहानी है। जिसे देख कर प्रेरणा भी मिलती है और लुत्फ भी आता है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *