गोपालगंज, बिहार |जमीरुल हक|काफी पुरानी कहावत है कि नदियों के धाराओं को रास्ते की जरूरत नहीं पड़ती वे तो अपना रास्ता खुद ही बना लेती है। आज ये कहावत चरितार्थ होती है,आज के बिहार सरकार के समाज के कल्याण की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाने वाले समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह पर।
जिन्होंने बचपन में गरीबी का हर वह रूप देखा जहां से लाखों में शायद एक ही इंसान ऐसा होता है जो अपनी काबिलियत कार्यकुशलता एवं जन भावनाओं के साथ अपनी अलग पहचान बना पाता है । गोपालगंज जिले के उचकागांव थाने के असनन्द टोला बलेसरा निवासी पेशे से किसान एवं फार्मासिस्ट पिता राजबली सिंह एवं माता फूलमती देवी के छ्ठे संतान रामसेवक सिंह की बचपन काफी गरीबी में गुजरी तब पिता संग किसानी किया खेतों में सब्जियां उगाई और फिर दो जून की रोटी के लिए सब्जियों को सर पर लेकर बाजारों में बेचा तथा बैलगाड़ी पर ईंख लेकर चीनी मिल तक पहुंचाया। लेकिन जुनून को कहीं कम नहीं होने दिया। प्रारंभिक शिक्षा इन्होने गांव के प्राइमरी स्कूल से ग्रहण किया और फिर हाई स्कूल बगल के इटवा से पास कर आईएससी गोपेश्वर कॉलेज हथुआ से पास किया फिर पैसे के अभाव में पढ़ाई बंद कर पिता संग फार्मासिस्ट के काम में लग गए। बात करते हुए उन्होंने भरे गले से बताया कि पढ़ाई छूटने का गम आज भी सताता है। किसी तरह एक दवा की दुकान खोली और 16 सालों तक दवा के व्यवसाय में रहे परंतु पंचायत के मुखिया द्वारा क्षेत्र के विकास में कोताही तथा गांव पंचायत के दलित महादलित पिछड़े लोगों के कहने एवं सहयोग के बाद पहली बार मुखिया का चुनाव 2001 में जीता और 40 साल से लगातार मुखिया रहे प्रत्याशी को हराया। जिसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और हर चुनाव में वोटों का प्रतिशत लाभ दोगुना होता गया। इसी जन समर्थन एवं कुशलता के बल पर बिहार के प्रमुख मंत्रालयों में एक समाज कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं।
जब गांव आते हैं तो गांव घर के एक एक लोगों की खैरियत से लेकर उनके बच्चों की खैर खैरियत तक जानते हैं तथा सभी के साथ बैठकर चाय पीते हैं। अपनी जिंदगी की आखिरी पड़ाव में पहुंची फूलमती देवी कहती हैं कि उनके जैसा कहां कोई है, जब भी कहीं जाते हैं तो सभी बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर ही निकलते हैं। दूसरी तरफ उनके मंत्रालय से जुड़े एक महिला पदाधिकारी ने बताया कि उनके जैसा कुशल व्यवहार का इंसान आज तक नहीं देखा। हमने जब उनसे बात की और जानना चाहा कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए पिछले 15 सालों में क्या बदला तो उन्होंने बताया कि हाशिये पर रह रहे सुदूर गांव के गरीबों को मुख्यधारा में लाकर उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाना ही उनके कार्यकाल का सबसे बड़ी उपलब्धि है।