
पीलीभीत। धर्मेन्द्र सिंह चौहान: यूपी के पीलीभीत में बीते दाे दिन पूर्व तहसील पुरनपुर के नेशनल हॉइवे पर सड़क दुघर्टना में 11 लोगो की मौत हाे गई थी, जिसमे 32 लाेग गंभीर घायल हुए हुए थे जिन्हे बरेली और लखनऊ रेफर किया गया था। राेडवेज और पिकअप में भिड़त से हुआ इस दर्दनाक हादसा के बाद पीलीभीत से लेकर लखनऊ मुख्यमंत्री ने भी गहरा दुख व्यक्त किया था। सड़क हादसे पर राेकथाम लगाने के लिए जिलाधिकारी पुलकित खरे के निर्देश पर सड़को पर चलने वाले ट्रैक्टर ट्रालियों सहित सभी बड़े वाहनों में सिटी मजिस्ट्रेट व एआरटीओ ने अधिकारियों के साथ मिलकर रिफ्लेक्टर चिपका कर हॉइवे पर चलने वाले लोगो को जागरूक करते नजर आए है।

यही नहीं इन दिनों धान खरीद का सीजन चल रहा है जिसको लेकर नगर मजिस्ट्रेट अरुण कुमार सिंह किसानो की ट्रालियों में रिफ्लेक्टर लगाते दिखे, हालाकि आधिकारियाें के इस जागरुक अभियान से रात के समय सड़क दुर्घटनाओं पर कुछ काबू जरुर पाया जा सकेगा। अधिकारियों का कहना है कि इन दिनों यातायात नियमो का पालन कराने के लिए सड़क पर वाहनों से चलने वाले लोगो को नियमो के प्रति जागरूक किया जा रहा है, और ट्रैक्टर ट्रालियों सहित सभी बड़े वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगवाकर सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा रहा हैं ।

आपकाे बता दें जिले की सड़क पर हुआ ये दर्दनाक हादसा पहला नहीं हैं। कभी चालक की लापरवाही तो कभी सिस्टम की नाकामी मगर हर बार आम लोगों ने इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकाई है। शनिवार को हादसे में 11 मौतों के बाद बेशक हड़कंप मचा हो ,मगर हर बड़ी सड़क दुघर्टना के बाद मचने वाले हल्ले जैसा ही है। बाद में सब कुछ शांत हो जाता है। ट्रैफिक विभाग और पीडब्ल्यूडी से जुड़े अफसरों ने हाईवे और अन्य मार्गों पर दुघर्टनाओं वाली जगहों को ब्लैक स्पॉट तो घोषित कर दिया। मगर खतरनाक मोड़ों पर एक्सीडेंट रोकने के लिए अभी भी ठोस कदम नहीं उठाए गए। ज्यादातर ब्लैक स्पॉट पर जेबरा लाइन, स्पीड ब्रेकर और साइन बोर्ड तक नहीं लगाए गए हैं।

जागरूकता के अभाव में वाहनों की रफ्तार और ट्रैफिक नियमों की जानकारी न होना राहगीरों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। सड़क हादसे में हर साल सैकड़ों लोग जान अपनी गवांते हैं। तराई के छोटे से जिले पीलीभीत में सात साल में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2411 सड़क हादसे हुए। उन हादसों में 990 लोगों की जान चली गई जबकि 1865 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। यह वह हादसे हैं, जो सरकारी आंकड़ों में दर्ज है। वरना नियमों की अनदेखी और सड़कों पर सिस्टम की लापरवाही से रोजाना पांच से दस सड़क हादसे हो रहे हैं।
