सोनभद्र : देश के 115 अति पिछड़े जिले में शामिल जनपद सोनभद्र है इतना ही नही भारत का पहला एकमात्र ऐसा जिला जहा पर चार राज्यो की सीमाएं लगती है। आदिवासी बाहुल्य होने के कारण सरकार की कई योजनाएं धरातल पर नही उतर पाती। जिले में स्वास्थ्य सेवाएं को पटरी पर लाने का काम जिले के कोरोना योद्धा सीएमओ डॉ शशि कांत उपाध्याय ने बीड़ा उठाई है। वही सीएमओ ने लगातार बिना थके बिना रुके जिले के अंतिम ब्यक्ति तक सरकार की स्वास्थ्य सम्बंधित सुविधाएं देने का अलख जगा रहे है। इतना ही नही सुदूर व आदिवासी क्षेत्र में जाकर लोगो को हर घर मे मेडिकेटेड मछर दानी बांट रहे है। जिला मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर एक तहसील दुद्धी है। गरीबी होने के कारण बच्चो को भरपूर पोषण न मिलने से बच्चे कुपोषण का शिकार होना पड़ता था। जिससे कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए यहां के लोगो को मुख्यालय पर स्थित जिला अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता था। इसको देखते हुए सीएमओ साहब ने यहां पर एन आर सी यानी पोषण पुनर्वास केंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुद्धी व कई वर्षों से बदहाल व जर्जर हालत शव गृह को पानी बिजली व लोगो को बैठने के साथ आधुनिक शव गृह का उद्धघाटन किया जिससे लोगो समस्या का सामना न करना पड़े। कोरोना जैसे वैशिक माहमारी में भी रातो दिन इन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर अपनी सेवाएं देते आ रहे है। इसलिए शाशन ने सीएमओ के इस बेहतर कार्य को देखते प्रमोट कर अपर निदेशक बना दिया। इसलिए धरती का भगवान डॉक्टर को कहा जाता है।
रिपोर्ट : राजन चौबे