रघु ठाकुर
लखनऊ। विनेश फोगाट के साथ हुई घटना ने समूचे देश को झकझोर दिया है और विनेश फोगाट के दुख के साथ सारा देश इसे राष्ट के साथ अन्याय के भाव से देखकर खड़ा है। यह आश्चर्यजनक है की रातो रात में किसी व्यक्ति का वजन 2.8 किलो बढ़ जाए और मात्र 100 ग्राम के वजन के नाम पर उसे ओलंपिक के फाइनल में से बहिष्कृत कर दिया जाए। मैं नहीं जानता हूं कि ओलंपिक समिति के सदस्यों में क्या राजनीतिक काट छांट है! किस प्रकार की भूमिका है, परंतु इतना तो निश्चित लग रहा है कि यह सब किसी योजना के तहत हुआ है वरना ऐसा कैसे हो सकता है की एक व्यक्ति का वजन रातों- रात 2.8 किलो बड़ जाए। ओलंपिक समिति यह भी कर सकती थी की अंतिम मैच के लिए यानि फाइनल मैच के लिए एक-दो दिन का समय दे सकती थी ताकि बजन के बारे में अपना संतुलन कर सके ।
मैं तो अभी भी कहना चाहूंगा ओलंपिक समिति से कि वह एक दिन का समय दें। हो सकता है कि आज भी अगर उनका बजन लिया जाए तो जो रात दिन उन्होंने दुख में काटे हैं निराशा में काटे हैं उनका वजन 100 ग्राम की जगह एक किलो घट चुका होगा और अगर इस पर भी ओलंपिक को आपत्ति है तो कम से कम यह जरूर कर दे कि जिनके साथ उनका फाइनल मैच होना था उनके साथ एक मैच करा दे भले ही वे पुरस्कार ना दें। परंतु कम से कम दुनिया को तो मालूम पड़ जाए कि विनोश फोगाट की शक्ति क्या है । उसके पहलवानी का स्तर क्या है । और बगैर गोल्ड मेडल के भी वह उसे हरा सकती है जो फाइनल मैच में उनकी प्रतिद्वंदी होती।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी भारत सरकार से व प्रधानमंत्रीजी से अपील करती है कि वह अपनी संवैधानिक मर्यादाओं में रहते हुए ओलंपिक समिति के सामने इस मुद्दे को उठाएं ।आखिर यह केवल प्रसिद्ध व्यक्ति या देश के भावनाओं का मुद्दा मात्र नहींहै बल्कि देश के साथ न्याय का प्रश्न हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है कि फिर से एक बार दुनिया रंगभेद के आधार पर काम कर रही हो और ओलंपिक में भी रंग भेद को आधार बनाया जा रहा हो घ् रघु ठाकुर संरक्षक लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी