नई दिल्ली: रिलायंस रिटेल ने ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ के तहत जोड़े 30,000 से ज्यादा कारीगर


मुकेश अंबानी

नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्‍ट्रीज की सहयोगी कंपनी रिलायंस रिटेल ने फेस्टिव सीजन के दौरान स्‍थानीय स्‍तर पर बनाए गए उत्‍पादों को प्रोत्‍साहित करने के लिए बड़ा कदम उठाया। रिलायंस रिटेल ने त्‍योहारी सीजन में 30,000 से ज्‍यादा कारीगरों, बुनकरों और शिल्पकारों को अपने साथ जोड़ा। इस दौरान कंपनी ने उनके 40,000 से ज्‍यादा उत्पादों को ग्राहकों तक पहुंचाया। कंपनी ने इन प्रोडक्‍ट्स को 50 से ज्‍यादा जीआई क्लस्टर से चुना था। कंपनी की तीन साल पुरानी पहल Indie by AJIO और Swadesh ने स्थानीय कारीगरों की मदद के लिए ये कदम उठाया।

रिलायंस रिटेल की इस पहल से जहां कारीगरों, बुनकरों और शिल्पकारों को उनके उत्‍पादों के अच्‍छे दाम मिले। वहीं, ग्राहकों में उत्‍पादों की क्‍वालिटी को लेकर भरोसा बना रहा। बता दें कि कपड़े, हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित प्राकृतिक सामानों की बड़ी रेंज में 600 से ज्‍यादा तरह के उत्‍पादों को शामिल किया गया है। रिलायंस फैशन एंड लाइफस्टाइल के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद ने कहा कि पिछले कुछ साल के दौरान शिल्प क्षेत्र में हमारे विकास के प्रयास से अच्छे नतीजे हासिल हुए हैं। कारीगरों और उत्पादों की संख्या लगातार बढ़ी है. साथ ही ग्राहकों ने भी इन उत्‍पादों को तेजी से अपनाया है। उन्‍होंने बताया कि इंडी बाय एजियो स्थानीय कारीगरों और दस्तकारी उत्पादों के लिए ऑनलाइन बाजार है।

प्रसाद ने कहा कि भारत के शानदार कपड़ा उत्पादों और हथकरघा परंपराओं को सावधानी व खूबसूरती के साथ चुना गया है। परिधान से लेकर होम फर्निशिंग और सहायक उपकरण जैसे व्यापक जीवन शैली के उत्पाद, आभूषण व जूते AJIO प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं। तेजी से विस्तार करने वाले पोर्टफोलियो के साथ AJIO भारतीय ग्राहकों को सबसे बेहतरीन भारतीय फैशन और शिल्प को खोजने में मदद करता है। इसके बाद उनके चुने गए प्रोडक्‍ट्स को घर के दरवाजे तक पहुंचाने की सुविधा उपलब करता है। इससे कारीगरों की आमदनी बढ़ाने में काफी मदद मिल रही है।

इंडी रेंज में इकत, शिबोरी, बनारसी, अजरख से जामदानी, तांगड़, बाग, चंदेरी जैसे क्राफ्ट्स शामिल हैं। इन्‍हें देशभर में 50 से ज्‍यादा जीआई शिल्प समूहों से चुनकर पेश किया गया है। इसमें गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, बिहार, झारखंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इनमें प्राकृतिक उत्पाद, हस्तशिल्प या किसी क्षेत्र या क्षेत्र के मूल निवासी के बाए सामान शामिल किए गए हैं। इनमें ध्‍यान रखा गया है कि प्रोडक्‍ट में क्षेत्र विशेष की झलक स्‍पष्‍ट नजर आनी चाहिए।


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