ब्यूरो, लखनऊ। वर्ष 2027 के विधान सभा चुनाव के लिए तैयारी में जुटी पिछड़ों को साधने के लिए ताकत झोंक रही है। जिला स्तर तक पिछड़ा वर्ग भाईचारा कमेटियों के गठन के बाद अब ताकत बढ़ाने की तैयारी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने पिछड़ा वर्ग समाज भाईचारा संगठन को जमीनी गतिविधियों को और तेज करने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने कहा कि बसपा ने अपनी हर सरकार में इस वर्ग के हित के लिए काम किया, जबकि कांग्रेस, सपा और भाजपा आदि दलों का उनके संवैधानिक हक को लेकर संकीर्ण रवैया रहा है। ओबीसी समाज, बसपा के बैनर तले सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के लिये जितनी जल्दी संगठित होकर मजबूती से कार्य करेगा, उनके अच्छे दिन उतनी ही जल्दी जरूर आएंगे।
शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर बैठक में बसपा सुप्रीमो ने कहा कि ओबीसी, ””बहुजन समाज”” का महत्वपूर्ण अंग है, परंतु जातियों में बिखरे होने और इनमें से कुछ के अलग से पार्टी आदि बना लेने से, इनकी एकता प्रभावित है। जातिवादी पार्टियां चुनावों में इसका लाभ उठाती रहती हैं। जबकि बसपा जाति के आधार पर सदियों से तोड़े, पछाड़े व सताये जा रहे इन लोगों को बहुजन समाज की एकता में जोड़कर कल्याण करने के लिए संघर्षरत है। उन्होंने सदस्यता के जरिए पार्टी के जनाधार बढ़ाने के निर्देश दिए।
बैठक में बसपा सुप्रीमो ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को लेकर कहा कि हर व्यक्ति के वोट की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसीलिये सभी योग्य लोगों को मतदाता सूची में अपना नाम व वोटर कार्ड बनवाना जरूरी है। पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं को चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के हिसाब से पुनरीक्षण में ज्यादा से ज्यादा लोगों के नाम जुड़वाने के लिए तत्परता से काम करें।
उन्हाेंने बामसेफ को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों को लेकर भी सतर्क किया। कहा कि बामसेफ राजनीतिक संगठन या पार्टी नहीं है, बल्कि यह पढ़े-लिखे कर्मचारियों का एक सामाजिक संगठन है, जिनका प्रमुख कार्य अपनी सुविधानुसार बहुजन समाज में सामाजिक चेतना पैदा करने का है। सबसे पहले बामसेफ की कांशीराम जी ने स्थापना की थी, जो रजिस्टर नहीं है।
वही असली बामसेफ भी है। इस संगठन के लोग बीच-बीच में मुझसे व बसपा परिवार के लोगों से मिलकर अपनी जिम्मेदारी को निभाते रहते है। इनकी अलग से बैठक बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती। वहीं रजिस्टर्ड वाली बामसेफ स्वार्थी व अवसरवादी लोगों की है, जिनसे कांशीराम जी ने अपने जीते-जी हमेशा सतर्क रहने के लिए भी सलाह दी थी।
इसलिए लोग इस संगठन का गलत प्रचार ना करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश में उच्च वर्ग समाज राजनीतिक तौर पर काफी जागरूक हो चुका है, इसलिए इनको बसपा में जोड़ने के लिए अलग से भाईचारा संगठन बनाने की जरूरत महसूस नहीं की गई है।